Friday, July 5, 2024
- Advertisement -
HomeUttar Pradesh NewsMeerutस्वच्छता की हर पहल मेरठ में हुई धीमी

स्वच्छता की हर पहल मेरठ में हुई धीमी

- Advertisement -

मेरठ शहर में स्वच्छता की हर पहल धीमी हो गई हैं। ऐसे में कैसे शहर स्मार्ट हो सकता हैं ? मेरठ शहर स्वच्छता सर्वेक्षण की सूची में भले ही 41वें पायदान से 27वें पायदान पर पहुंच गया हो। भले ही कमाई के मामले में पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 20 करोड़ रुपये अधिक का टैक्स वसूला हो, लेकिन जमीनी हकीकत तो कुछ ओर ही है। न तो स्वच्छता सर्वेक्षण और न ही कमाई का कोई असर शहर के नालों, सफाई और सड़कों पर दिखाई पड़ रहा है। जहां पहले कार्य होते थे। वहीं, आज भी हो रहे हैं और जहां आज तक कोई कार्य नहीं हुआ। वहां अब भी हालात बदतर हैं। सफाई के नाम पर सालभर में करोड़ों रुपये खर्च होते हैं, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं दिखाई पड़ता। अब प्रदेश में नये मंत्रीमंडल का गठन हुआ है तो शहरवासियों को नये नगर विकास मंत्री अरविंद शर्मा से भी ढेरों उम्मीदें बंधी है कि शायद वह शहर में कुछ कार्य करा सकें…

  • जरा इधर भी नजरे इनायत तो कीजिए, स्वच्छता सर्वेक्षण के नाम पर जनता को दिया जा रहा धोखा
  • टैक्स में वसूली बढ़ी, नहीं बढ़े विकास कार्य

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: प्रदेश में दोबारा से भाजपा की सरकार बन चुकी हैं और इसके नये मंत्री मंडल का भी गठन हो चुका है। सीएम ने भी मंत्रियों से उनके 100 दिनों के कार्यों की रिपोर्ट देने के लिये कह दिया है। जिसके बाद से सभी विभागों के मंत्री एक्शन मोड में हैं। अब यहां मेरठ की बात की जाये तो मेरठ एनसीआर में शामिल है और स्वच्छता सर्वेक्षण में मेरठ 27वें नंबर पर आया था, लेकिन बावजूद इसके यहां विकास कार्य धीमी रफ्तार के साथ हुए हैं।

कूड़ा, सड़कें, बदहाल पार्क और नालों से संबंधित जो समस्याएं पहले थी वो अब भी बरकरार है। यहां के वासियों को अब प्रदेश सरकार में नगर विकास मंत्री बने अरविंद शर्मा से ढेरों उम्मीदें हैं और यहां के लोग उन्हें मेरठ की हकीकत से भी रूबरू कराना चाहते हैं।

शहर में सफाई के नाम पर हर साल करीब 100 करोड़ रुपये खर्च होते हैं एक मोटी धनराशि शहर पर खर्च होती है, कई सालों की मेहनत के बाद नगर निगम स्वच्छता सर्वेक्षण की सूची में भी शामिल हुए, लेकिन लोगों को यह सब दिखावा लग रहा है। स्वच्छता सर्वेक्षण की बात करें तो पहले मेरठ 41वें स्थान पर था, लेकिन वर्ष 2021 में आई सूची में मेरठ ने 27वां स्थान प्राप्त किया, लेकिन यहां के हालात देखकर ऐसा नहीं लगता कि मेरठ स्वच्छता सर्वेक्षण की सूची में आया है। यहां अधिकारी तो अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, लेकिन जनता और शहर में फैली गंदगी उनकी पोल खोलती नजर आ रही है।

सड़कों पर कूड़ा, गंदगी से अटे नाले खोल रहे विकास की पोल

जनवाणी टीम ने शहर के कुछ नाले और सड़कों और पार्कों का जायजा लिया तो यहां अब भी गंदगी के ढेर पड़े मिले। ओडियन नाले में भरी सिल्ट सूखी नजर आ रही है। यह सिल्ट नगर निगम की पोल खोलने के लिए काफी है। इस नाले से बड़ा इलाका जुड़ा है।

25 7

आए दिन ब्रह्मपुरी, भुमियापुल से सटे इलाके जलमग्न रहते हैं। कारण है कि छोटे नालों का पानी ओडियन नाले तक पहुंच ही नहीं पाता है। शहर की सड़कों पर भी गंदगी की हद है। जगह-जगह कूड़े के ढेर अब भी लगे हैं। कमेला रोड पर अब भी नाले की सिल्ट सड़क किनारे पड़ी है, जो अपने आपमें नगर निगम के कार्यों की पोल खोलती नजर आ रही है। सिर्फ कुछ क्षेत्र में कार्य करने से कुछ नहीं होगा पूरा शहर ही साफ करना होगा।

पार्कों की हालत खराब, अभी तक नहीं हुई पुताई

शहर के पार्कों की ही बात की जाये तो अधिकांश पार्कों की हालत बदहाल है। लोहिया नगर स्थित सत्यकाम इंटरनेशनल स्कूल के पास ही यहां सबसे बड़ा पार्क स्थित है, लेकिन यह पार्क बदहाल स्थिति में है। यहां न तो दीवारें हैं और न ही यहां कोई अन्य व्यवस्था की गई है। पार्क झाड़ियों से अटा पड़ा है।

24 7

उधर, शहर के पॉश एरिया की बात की जाये तो शास्त्रीनगर के ब्लॉक में जहां रामलीला लगती है। उसी पार्क की स्थिति बेहद खराब हालत में है। जबकि यहां से सांसद आवास महज कुछ दूरी पर है और पहले सांसद आवास इसी रोड पर था। यहां अभी तक न तो पुताई कराई गई है और न ही पार्क में मेंटीनेंस कार्य कराया गया है।

पिछले साल 34, इस साल वसूला 54 करोड़ टैक्स

पिछले साल जहां नगर निगम ने वर्ष 2021 वित्तीय वर्ष में 34 करोड़ रुपये का टैक्स वसूला था तो वहीं अगर इस वर्ष की बात की जाये तो मेरठ नगर निगम ने वर्ष 2022 में 54 करोड़ रुपये टैक्स के रूप में वसूले हैं और शहर के विकास की बात की जाये तो वो कहीं दिखाई नहीं पड़ रहा है। जो हाल सड़कों, पार्कों और नालों के पहले थे वही हाल आज भी नजर आ रहे हैं। नगर निगम ने अपनी आय तो बढ़ाई है, लेकिन शहर के विकास पर खर्च महज कुछ ही रुपया हुआ है जो हाल मुस्लिम क्षेत्र का पहले था वो ही हाल आज भी है।

शहर की सफाई व्यवस्था के खर्च पर एक नजर

शहर में सफाई व्यवस्था सुधारने के लिए नगर निगम प्रशासन ने कर्मचारियों का बीट चार्ट तैयार करने का निर्णय लिया था। तत्कालीन नगरायुक्त ने एक वार्ड से इसकी शुरुआत करने का निर्णय भी लिया था। उनके स्थानांतरण के बाद बीट चार्ट पर काम नहीं हुआ। परिणाम यह हुआ कि सफाई व्यवस्था बिगड़ती चली गई।

इसके अलावा स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर में दिन में दो बार सफाई अनिवार्य है, नगर निगम प्रशासन यह व्यवस्था भी लागूू नहीं करा पाया। शहर में नगर निगम की ओर से घर घर से कूड़ा उठाने का ठेका एक कंपनी को दिया गया है। बीते बुधवार से 25 वार्डों में कूड़ा भी उठना शुरू हो गया है, लेकिन यह व्यवस्था पटरी पर आने में अभी थोड़ा समय लगेगा। क्योंकि कंपनी को लोगों के घरों के बाहर बार कोड़ भी लगाने हैं जिसके बाद यह व्यवस्था पूरी तरह से शुरू हो सकेगी।

सफाई व्यवस्था पर खर्च

  • सफाई कर्मचारी वेतन करीब 6 करोड़ प्रतिमाह
  • ड्राइवर वेतन खर्च 50 लाख प्रतिमाह
  • कूड़ा गाड़ी डीजल खर्च 85 लाख प्रतिमाह
  • वाहन मरम्मत खर्च 25 लाख रुपये प्रतिमाह
What’s your Reaction?
+1
0
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments