Friday, December 20, 2024
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सबको भोगना पड़ता है कर्म का दंड: पं. प्रदीप मिश्रा

  • शताब्दी नगर में चल रही शिव महापुराण में कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने पंचम दिवस पर तारकासुर का प्रसंग सुनाया

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: अकाल मृत्यु वो मरे जो कर्म करे चांडाल का काल उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का। शताब्दी नगर में चल रही शिव महापुराण में कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने पंचम दिवस पर तारकासुर का प्रसंग सुनाया। कथा के पंचम दिवस पर भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। कथा का प्रारंभ ओम नम: शिवाय की स्तुति के साथ हुआ। कथा के पंचम दिवस पर फ्लाइट बाबा और पूर्व सांसद राजेंद्र अग्रवाल कथा में पहुंचे।

इस अवसर पर पूर्व सांसद ने अपने विचार रखते हुए कहा कि कुछ बात है हस्ती मिटती नहीं हमारी। हमारी सांस्कृतिक जड़े बहुत गहरी और व्यापक है। सनातन अमर है। उन्होंने कहा कि महाराज के श्री मुख से पूरे देश के अंदर यह जो सांस्कृतिक वैभव का उद्घाटन व उसकी व्याख्या और स्थापना होती है यह विशाल समागम उसका परिणाम है। हम शिवतत्व के साथ जुड़े रहे।

कर्म का दंड सबको भोगना पड़ता है

मिश्रा ने कहा कि हम जब प्राण त्याग कर 83 लाख 99 हजार 999 योनिया काटकर ऊपर जाते हैं। कर्म का भोग भोगने के बाद ऊपर से छुट्टी हो जाती है और 84 लाख योनि के बाद मनुष्य की योनि पाते हैं तो ऊपर से अपने मस्तक पर अपने दुखों का पर्चा बनवाकर लाते हैं। कर्म का दंड सबको भोगना पड़ता है। भगवान राम व कृष्ण को भी अपने कर्म भोगने पड़े थे। उन्होंने कहा कुछ अच्छा करने का प्रयास करो अच्छे कर्म करो कहते हैं जैसे हर महीने महिला में रजस्वला होती है, वैसे ही किसी की बुद्धि भी महीने दो महीने में रजस्वला होती है।

और बड़े-बड़े संत महात्माओं की भी बुद्धि गड़बड़ हो जाती है अधिपति रावण जैसा विद्वान की बुद्धि भटक सकती है जो विविधता में भी कल था उसकी बुद्धि भटक गई थी। जैसे हर महीने महिला में रजस्वला होती है महिला राजस्वला धर्म धारण करती है और घर में काम नहीं करती है पूजन पाठ नहीं करती वैसे ही किसी की बुद्धि भी महीने दो महीने में रजस्वला होती है। ऐसे में जैसे महिला एकांत में रहती है उसी तरह शिव महापुराण रहती है हमारी बुद्धि काम करना बंद कर दे लगे कि यह गलत जगह जा रही है

जैसे वैश्यावृत्ति, धूम्रपान, निंदा, चुगली में जाने लगे उस समय जैसे रजस्वला सत्री एकांत में रहती है इसी तरह एकांत में बैठकर ओम नम: शिवाय का जाप करो बुद्धि अपने आप ठीक हो जाएगी। पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि अपने घरों और गाड़ियों पर श्री शिवाय नमस्तुभ्यं के स्टीकर लगवा लीजिए जिससे दरवाजा बजाने वाला जब दरवाजे पर दरवाजा बजाएगा और कोई बुरी खबर देने से पहले श्री शिवाय नमस्तुभ्यं पढ़ेगा तब श्री शिवमहापुराण के अंदर विदेश्वर सहिता कहती है कि जब हम दरवाजा खोलेंगे

तो हमें कोई गलत सूचना नहीं मिलेगी सूचना भी अच्छी ही प्राप्त होगी। मिश्रा कहते हैं की जन्म प्रमाण पत्र और मृत्यु प्रमाण पत्र दोनों ही हमारे हाथ मे नहीं है। जन्म प्रमाण पत्र से मृत्यु प्रमाण पत्र तक के बीच का जो सफर है, उसमें ऐसे प्रमाण पत्र लेने का प्रयास करें वह जीवन की सार्थकता सिद्ध कर दे। अंत में महादेव, कार्तिकेय, गणपति महाराज अशोक सुंदरी की झांकी प्रस्तुत की गयी। शिव आरती के पश्चात कथा का समापन हुआ।

ईश्वर सबको एक मौका जरूर देता है

कथा प्रारंभ करते हुए पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि ईश्वर एक मौका सबको जरूर देता है। पानी में भी अगर कोई डूब रहा होता है तो पानी भी उसे उछाल कर एक मौका देता है। प्रकृति भी एक मौका देती है। आप उन्नति की सीढ़ी पर चढ़ लो आगे बढ़ो ऐसा संसार में कोई जन्म नहीं लेता जिसको परमात्मा आगे बढ़ाने, उन्नति और तरक्की के लिए मौका नहीं देता। शिव महापुराण कथा कहती है जो परमात्मा ने मौका दिया है। उसका सदुपयोग कर लो और यदि उसे मौके का उपयोग कर लिया फिर कोई गिराने वाला नहीं मिलेगा। आप उन्नति की सीढ़ी पर बढ़ते चले जाओगे। उन्होंने कहा कि एक दीपक होता है और एक अगरबत्ती होती है दोनों में फर्क सिर्फ इतना होता है

यदि दीए को फूंक मारो तो वह बुझ जाएगा मगर अगरबत्ती को फूंक मारोगे तो वह बुझती नहीं है, बल्कि सुगंध फैलाती है। शिव महापुराण कहती है कि जो दुनिया को सुगंधित करता है। उसको दुनिया के लोग कितनी भी फूंक मारे परंतु वह बुझता नही है। वो आगे बढ़ता है। संत तुकाराम जी, मीराबाई, चैतन्य, संत नामदेव जी, प्रहलाद, ध्रुव, रामकृष्ण परमहंस, वल्लभाचार्य जी जगतगुरु शंकराचार्य जी भारत की जितने संत, साधु साधक व उपासक है। ये वह अगरबत्ती है जो संसार मे सनातन की अलख जगा रहे है। सुगंध फैलाने वाली अगरबत्ती को कोई फूंक मारकर बुझा नहीं सकता।

बंटोगे तो कटोगे को चींटी के उदाहरण से समझाया

मिश्रा ने कहा कि चींटी से बहुत कुछ सीखने को मिलता है एक चींटी सामूहिकता में रहती है एक साथ रहती है। कतारबधता में चलती है और मिट्टी में भी कचरे मे भी जो कण पड़ा होता है वह उठा लाती है। चींटी मनुष्य को समहू में रहने की सीख देती है उन्होंने कहा यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक नारा दिया जनमानस को बंटोगे तो कटोगे वो इस नारे से चींटी का वो समूह बता रहे हैं, जो जब एक साथ रहती है तो बड़े से बड़ी लकड़ी को कचरे को सामूहिकता में उठाकर ले जाती है और जब हम और आप समूह में रहेंगे तो किसी की क्षमता नहीं काट दे।

आपके समुख पुराने जमाने की सोच को रखा जा रहा है। अपने धर्म को छोड़कर दूसरे में मत जाओ। संसार में जो अच्छा लगे उसे अपना लो और उसकी बुराइयां वही छोड़ दो। जगतगुरु शंकराचार्य जी जब प्रकृति पर प्रकट हुए तो अपनी शिव भक्ति की सुगंध सम्पूर्ण विश्व में फैला दी। चार पीठों का निर्माण कर दिया भारत के चार कोनों पर शंकर को विराजमान कर दिया। चारों कोनों में रामेश्वर, सोमनाथ, केदारनाथ तो कही स्वयं शिव है। इस दौरान विरोधियों पर निशाना साधते हुए मिश्रा ने कहा कि कई लोग कहते हैं। हम भारत पर अपना वर्चस्व फैलाएंगे भारत को अपना बनाएंगे वो यह नहीं जानते कि जिस भारत की सीमा पर उसकी रक्षा करने को त्रिशूल लेकर त्रिपुरारी बैठा हो। उस भारत का बाल भी बांका नहीं हो सकता।

पैसे का सदुपयोग करें

मिश्रा ने कहा कि आप किसी को अठन्नी मत दो पर उस पैसे का सदुपयोग अपने पर और अपने आसपास करो। अगर पैसे का सदुपयोग अपने ऊपर नहीं कर पा रहे हो तो परिवार या आसपास में कोई बच्चा है जो शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहा है, उसके पास पढ़ने के लिए धन नहीं है तो उस बच्चों को पढ़ाकर उसकी मंजिल तक पहुंचाए। अपने कुटुंब परिवार या आसपास कोई भी जरूरतमंद है तो उसकी मदद करो।

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