- जिला आबकारी अधिकारी को दिया गया मंडलीय मद्यनिषेध अधिकारी का चार्ज
- लोगों को नशे से दूर रखने के लिए बना है मद्य निषेध विभाग
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नशा एक धीमा जहर है जिसकी वजह से हजारों परिवार प्रभावित हो रहें हैं। लोग नशे से दूर रहें इसके लिए सरकार ने मद्यनिषेध विभाग बना रखा है जिसका काम जनता को नशे से बचानें के लिए जागरूक करना है। दूसरी ओर आबकारी विभाग है जिसका काम शराब के शौकीनों को अच्छी शराब मिले,
कहीं पर भी जहरीली या मिलावटी शराब की बिक्री रोकना है। साथ ही शराब से मिलने वाले राजस्व को भी बढ़ाना है। मद्यनिषेध विभाग और आबकारी विभाग दोनों ही सरकारी विभाग है जिनकी जिम्मेदारियां बिल्कुल विपरीत है। वहीं मेरठ के जिला आबकारी अधिकारी को मंडलीय मद्यनिषेध अधिकारी का भी चार्ज सौंपा गया है जिससे वह इस कशमकश में फंस गए है कि वह शराब बिकवाएं या उसे रोके?
क्या है मद्यनिषेध विभाग का काम
मद्यनिषेध विभाग पूरे जिले में अभियान चलाकर जनता को नशे से दूर रहने के लिए जागरूक करता है। इसके द्वारा स्कूल-कॉलेजों में मद्यनिषेध के पक्ष में छात्रों को जागरूक करने से लेकर नशे से दूर रहने के लिए कार्यक्रम चलाना है। साथ ही युवाओं को मद्यपान से दूर रखनें के लिए तरह-तरह की खेल प्रतियोगिताएं, मद्यपान के दुष्परिणाम के बारे में समझाना, मद्यपान के विरूद्ध वातावरण तैयार करना है।
केन्द्र व राज्य सरकारों के सहयोग से समाज सेवी संस्थाओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं के माध्यम से नशे के खिलाफ अभियान चलाना है। मलिन बस्तियों, प्रमुख मेलों, उत्सवों, त्यौहारों, धार्मिक पीठों, विकास प्रदर्शनियों व राष्टÑीय पर्वों पर मद्यनिषेध गोष्ठियों, प्रचार अभियान, प्रदर्शन कक्ष व पदयात्राओं, प्रभात फेरियों व रैली आदि का आयोजन कर लोगों को जागरूक करना है। इसके लिए सरकारें हर साल लाखों रूपये का बजट देती है जिससे आम जनता को मद्यपान से दूर रखा जा सके।
क्या है आबकारी विभाग का काम
आबकारी विभाग का सबसे महत्वपूर्ण काम है सरकार के राजस्व को बढ़ाना। किसी भी सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व आबकारी विभाग से ही मिलता है। इसी की बदौलत सरकार जनहित में विभिन्न योजनाएं चलाती है। उसके लिए फंड का इंतजाम भी आबकारी विभाग से मिलने वाले राजस्व से ही मिलता है। जिले में कहीं पर भी जहरीली व अवैध शराब की बिक्री न हो सके इसके लिए काम किया जाता है।
सरकारी शराब की दुकानों पर बिकने वाली देशी या अंग्रेजी शराब की निगरानी करना। ओवर रेट शराब न बेची जाए, तस्करी की शराब पर रोक लगाना, शराब के शौकीनों को समय पर दुकानों पर अच्छी शराब उपलब्ध कराना आदि काम आबकारी विभाग द्वारा किए जाते है। शराब की बिक्री बढ़ानें के लिए सरकार द्वारा दिए गए लक्ष्य को पूरा कराना भी आबकारी विभाग की ही जिम्मेदारी है।
यहां तक की शराब के शौकीनों को सरकारी दुकानों से ही शराब खरीदनें के लिए प्रेरित करना है। अवैध शराब पीने की वजह से किसी की जान जाने पर उचित कानूनी कार्रवाई करना भी आबकारी विभाग की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। जिला आबकारी अधिकारी आलोक कुमार सिंह को अब मंडलीय मद्यनिषेध अधिकारी की भी जिम्मेदारी दी गई है। इसको लेकर आबकारी अधिकारी कशमकश में फंस गए है।
उनके सामने अब यह चुनौती पैदा हो गई है कि वह किस जिम्मेदारी को प्राथमिकता के साथ निभाएं। एक ओर तो मंडलीय मद्यनिषेध अधिकारी का पद है तो दूसरी ओर जिला आबकारी अधिकारी का। ऐसे में वह जनता को मद्यनिषेध कार्यक्रम चलाकर नशे से दूर रहने के लिए जागरूक करें या सरकार का राजस्व बढ़ाने के लिए शराब के शौकीनों से सरकारी दुकानों से ही अच्छी शराब खरीदनें के लिए जागरूक करें यह सवाल पैदा हो गया है।
आबकारी अधिकारी के पद पर रहते हुए हमने इस बार पहले के मुकाबले अधिक राजस्व सरकार को दिया है। लेकिन मंडलीय मद्यनिषेध अधिकारी की जिम्मेदारी मिलने से कुछ असमंजस की स्थिति जरूर बन गई है, लेकिन काम तो करना ही है। -एके सिंह, जिला आबकारी अधिकारी मेरठ।