Friday, April 18, 2025
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नकली तेल का भंडाफोड़, एक हजार लीटर बरामद

  • बजौट गांव में चल रहा धंधा, आरोपी फरार, आपूर्ति विभाग ने दर्ज कराई रिपोर्ट
  • ग्रामीणों ने कहा कई दिनों से चल रहा था ‘खेल’

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: परतापुर थानांतर्गत बाजोट गांव में काफी समय से चल रहे मिलावटी व नकली पेट्रोल व डीजल के धंधे का रविवार को पुलिस ने भंडाफोड़ कर दिया। पुलिस ने गांव में दीपक त्यागी के गोदाम से एक हजार लीटर तेल व उपकरण आदि बरामद हुआ है। पुलिस के पहुंचने ही आरोपी अपने साथियों समेत फरार हो गया। आपूर्ति विभाग की तरफ से परतापुर थाने में तहरीर दी गई है।

इंस्पेक्टर परतापुर शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि गश्त के दौरान शक होने पर रविवार सवेरे पुलिस ने बाजौट गांव में एक गोदाम पर छापा मारा तो वहां से एक हजार लीटर डीजल व पेट्रोल ड्रमों में भरा मिला। मौके पर सप्लाई इंस्पैक्टर ने सैंपल लेकर डीजल पेट्रोल जब्त कर लिया। इस दौरान ग्रामीणों की भीड़ जुटी रही। बाजौट निवासी दीपक त्यागी गांव में ही दुर्गा मंदिर के बराबर स्थित घेर में कई सालों से अवैध पेट्रोल का कारोबार कर रहा था।

रविवार सुबह गश्त के दौरान रिठानी चौकी प्रभारी हरिश्चंद चंद को पेट्रोल-डीजल की गंध आई तो उन्होंने घेर को खुलवाया तो वहां डीजल-पेट्रोल का जखीरा मिला। दारोगा ने इस बात की सूचना सीओ विवेक यादव व इंस्पेक्टर शैलेंद्र प्रताप को दी। इंस्पेक्टर परतापुर ने सप्लाई इंस्पेक्टर दिनेश चंद्रा को टीम के साथ बुलाया। टीम ने पेट्रोल-डीजल की माप की। जिसमें एक हजार लीटर तेल मिला।

जिसको सैंपल भरने के बाद जब्त कर लिया गया। मौके से तीन ड्रम, कैन और मिलावट करने वाले उपकरण मिले हैं। सप्लाई इंस्पेक्टर का कहना था कि अगर यहां ब्लास्ट हो जाता तो आधा गांव आग की चपेट में आ जाता। मौके से माल सहित दीपक त्यागी के दो वसीम व राजू को हिरासत में ले लिया गया। जबकि दीपक त्यागी फरार हो गया।

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जिला आपूर्ति अधिकारी राघवेन्द्र सिंह ने बताया कि इस मामले में परतापुर थाने में तहरीर दी गई है। दीपक त्यागी के पास किसी भी तरह का लाइसेंस नहीं है और जांच के बाद पता चलेगा कि नकली तेल में क्या-क्या मिलाया जा रहा था। आपूर्ति विभाग के अधिकारियों का मानना है कि प्रथम दृष्टया ऐसा लग रहा है कि जो डीजल-पेट्रोल बरामद हुआ है वह मिलावटी है। इसे साल्वेंट की मदद से बनाया जा रहा था।

नकली पेट्रोल और डीजल का हब बन गया मेरठ

क्रांतिधरा नकली पेट्रोल और डीजल बनाने वालों की हब बनती जा रही है। परतापुर, टीपी नगर और खरखौदा थाना क्षेत्र के इलाके इस काले धंधे के लिये बदनाम हो चुके हैं। दर्जनों बार खुलासा होने और पुलिस की कार्रवाई के बाद भी नकली तेल बनाने वाले बाज नहीं आ रहे है। इस धंधे में निश्चित रूप से पुलिस और आपूर्ति विभाग की मिलीभगत भी सामने आती है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर शून्य होने के कारण ऐसे धंधे आए दिन सुर्खियों में आ जाते हैं।

एक महीने पहले खरखौदा क्षेत्र में फार्म हाउस में नकली डीजल व पेट्रोल बनाया जा रहा था। पुलिस ने 640 लीटर नकली पेट्रोल बरामद किया था। पुलिस की जांच में आया था कि आरोपी रोज मिलावटी डीजल व पेट्रोल बेचते थे। आपूर्ति विभाग की तरफ से खरखौदा थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी।

पुलिस ने मौके से लोहे के 200 लीटर के बैरल भी पेट्रोल से भरे हुए थे। इससे पहले 20 अगस्त 2019 को मेरठ में 2.20 लाख लीटर मिलावटी तेल परतापुर और टीपीनगर थाना क्षेत्र में पकड़ा गया था। टीपीनगर थानाक्षेत्र में पारस केमिकल फैक्टरी में छापे के दौरान पता चला था कि माफिया राजीव जैन और प्रदीप गुप्ता की दो फैक्टरियों से रोजाना करीब 60 हजार लीटर नकली तेल बन रहा था, जो कि 1.40 लाख लीटर पेट्रोल-डीजल में मिलाया जाता था।

इस तरह रोज दो लाख लीटर मिलावटी तेल बनाकर पंपों पर सप्लाई किया जा रहा था। केमिकल फैक्टरी में थिनर, सॉल्वेंट और बैंजीन केमिकल में फूड कलर मिलाकर रोजाना करीब 60 हजार लीटर नकली तेल तैयार किया जा रहा था। पेट्रोल पंपों पर आॅयल कंपनियों के डिपो से आने वाले पेट्रोल-डीजल से भरे टैंकर दोनों तेल माफिया की फैक्टरी पर जाते थे।

एक टैंकर से 30 फीसदी या उससे अधिक तेल निकालकर उसमें उतना ही नकली तेल भर दिया जाता था। इसके बाद ये टैंकर पेट्रोल पंपों पर पहुंचाए जाते थे। आरोपियों का गिरोह थिनर और सॉलवेंट में जलेबी बनाने वाला रंग मिलाकर नकली पेट्रोल-डीजल तैयार करते थे। एक लीटर डीजल-पेट्रोल बनाने में 30 से 38 रुपये खर्च होते थे और वे इसे पेट्रोल पंपों पर सप्लाइ करते थे। पेट्रोल पंपों से यह नकली तेल मार्केट दामों पर बेचा जाता था।

पहेली बनकर रह गया बड़ा कांड

लगभग तीन साल पहले परतापुर में तेल कारोबारी संजय गुप्ता के गोदाम पर छापा मारा गया था। जमीन के अंदर केरोसिन के टैंक में खेल पकड़ा गया था। टैंक में पहले डीप स्टिक डाली गई तो शून्य माप आया, लेकिन जब दो-तीन बार ताकत के साथ रॉड डाली गई तो 70 हजार लीटर केरोसिन आयल मिला।

एनएच-58 स्थित रतिराम खूबचंद आॅयल डिपो से 70 हजार लीटर बिना हिसाब-किताब के मिले केरोसिन आॅयल मामले में पूर्ति निरीक्षक जोगेंद्र सिंह की तरफ से मुकदमा दर्ज कराया गया था। आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के तहत शंभूनगर निवासी संजय कुमार और माधवपुरम निवासी विक्की कुमार को आरोपी बनाया गया था। प्रशासन ने शुरुआती महीनों में तो सख्ती दिखाई और मजिस्ट्रेट और पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई,

लेकिन बाद में जब मामला अदालत में गया तो पुलिस और प्रशासन खामोश हो गये। तत्कालीन आईजी आलोक सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पूरे गोदाम को सील कराकर मजिस्ट्रेट तैनात करवा दिये थे। बाद में जब कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हुई तो कार्रवाई बंद हो गई। प्रशासन जमीन में दबे टैंकर से तेल भी नहीं निकलवा पाया।

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