Tuesday, May 6, 2025
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खाद जरूरी, लेकिन कीटनाशक खरीदना क्यों मजबूरी ?

  • प्राइवेट खाद की दुकानों से ना चाहते हुए भी खाद के साथ किसानों को खरीदने पड़ रहे महंगे कीटनाशक
  • दुकानदारों की मनमानी के चलते किसान कीटनाशक नहीं खरीदेंगे तो नहीं होगा खाद मयस्सर

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: प्राइवेट खाद की दुकानों पर किसानों को जमकर चूना लगाया जा रहा है। दुकानदारों की मनमानी के चलते किसानों को खाद के साथ अन्य कीटनाशक भी मजबूरन खरीदने पड़ रहे हैं। क्योंकि यदि किसान दुकानदार से उसकी मर्जी के कीटनाशक नहीं खरीदेगा, तो दुकानदार द्वारा किसान को खाद भी नहीं दिया जाएगा।

ऐसे में किसानों के सामने बड़ी विकट समस्या पैदा हो गई है, जिसका निस्तारण होना जरुरी है, लेकिन मजे की बात यह है कि भोले-भाले किसानों को ठगने वाले प्राइवेट दुकानदारों पर शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। ऐसे में किसान काफी परेशान हैं, किसानों ने समस्या से निजात दिलाने की मांग की है।

बता दें कि किसानों को अपनी फसलों में डालने के लिए रासायनिक उर्वरक यूरिया व डीएपी की अधिक आवश्यकता पड़ती है। अधिकांश किसान अपने फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए यूरिया और डीएपी का ही इस्तेमाल करते हैं। हालांकि जरुरत के अनुसार किसान अन्य रासायनिक उर्वरक भी दुकानों से खरीदते हैं,

लेकिन यहां मामला उल्टा है, किसानों को यूरिया और डीएपी के साथ जरुरत न होते हुए भी अन्य कीटनाशक खरीदने पड़ रहे हैं। क्योंकि प्राइवेट दुकानदार काफी समय से अपनी मनमानी करते चले आ रहे हैं। शहर हो या देहात सभी प्राइवेट दुकानदार किसानों को जमकर लूट रहे हैं।

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किसानों ने बताया कि जब यूरिया या डीएपी खरीदने के लिए प्राइवेट दुकानों पर जाते हैं, तो सबसे पहले दुकानदार उन्हें अन्य कीटनाशक खरीदने के लिए बाध्य करते हैं। इस पर किसान दुकानदार से यदि अन्य कीटनाशक खरीदने के लिए मना कर देता है तो दुकानदार किसान को यूरिया या डीएपी भी नहीं देता। पूछे जाने पर दुकानदार द्वारा बताया जाता है कि खाद की काफी कमी चल रही है, खाद कंपनी खाद के साथ अन्य कीटनाशक दे रहे हैं। बिना कीटनाशक खरीदे खाद या डाई नहीं मिलेगी।

यह मामला जनपद की एक या दो दुकानों का नहीं हैं बल्कि शहर से लेकर देहात तक जितनी भी प्राइवेट दुकाने रासायनिक उर्वरक की हैं उन सभी का यही हाल है। ऐसे में किसानों को मजबूरन ऐसे कीटनाशक खरीदने पड़ रहे हैं। जिनकी उन्हें वास्तव में जरूरत ही नहीं है। दुकानदारों की इस मनमानी के चलते कुछ किसान तो बेचारे बजट न होने के कारण खाद-डाई खरीद ही नहीं पा रहे हैं।

क्योंकि उनके पास इतने रुपये ही नहीं हैं, जितने में अन्य महंगे कीटनाशक खरीदे जा सकें। वहीं अधिकांश किसान न चाहते हुए भी खाद-डाई लेने के लिए ऐसे कीटनाशक खरीद रहे हैं जिनकी उन्हें आवश्यकता ही नहीं, लेकिन जागरुक किसान इस बात का विरोध भी कर रहे हैं

और रासायनिक उर्वरक की प्राइवेट दुकानदारों की कृषि विभाग से लेकर अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत भी कर रहे हैं, लेकिन कोई फायदा होता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह बनता है कि आखिर किसानों की मेहनत की कमाई पर डांका डालने वाले प्राइवेट खाद ब्रिकी केन्द्रों के संचालकों पर कार्रवाई कब होगी।

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