Tuesday, July 9, 2024
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सभी के लिए फायदेमंद है फाइबर

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रेशेदार भोजन सबको अनेक रोगों में राहत देता है। कई प्रकार की परेशानियों से यह बचाता है। रेशेदार भोजन में भले ही पौष्टिक मान कम हो किंतु यह भोज्य पदार्थ में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज तत्व की भांति शरीर के लिए आवश्यक है। यह पाचन गतिविधि में मददगार तो है ही, साथ ही यह कई रोगों से हमें बचाता है। हमारे सभी खाद्य पदार्थ में न्यूनाधिक मात्र में फाइबर रहता है किंतु तेल, घी आदि में यह बिलकुल भी नहीं होता।

खानपान में फाइबर का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह सभी साग-सब्जी, फल-फूल एवं अनाज में मौजूद है किंतु खान-पान की आधुनिक शैली के चलते यह नष्ट हो जाता है। हमारे दैनिक आहार में पालिश किए गए चावल, मैदे से बनी वस्तुओं, फलों का जूस एवं अधिक पकाई गई वस्तुओं की मात्र बढ़ गई है। इनमें रेशे की मात्र नहीं के बराबर रहती है जो सबके लिए परेशानी का कारण बन रहा है।

रेशेदार भोजन से लाभ

यह पेट अर्थात संपूर्ण पाचन तंत्र की सफाई करता है। कब्ज, अपच, बदहजमी समाप्त करता है। उच्च रक्तचाप को सामान्य करता है। कोलेस्ट्राल की मात्र को कंट्रोल करता है। वजन घटाता है। मोटापा कम करता है। बढ़े शूगर को कम करता है। बवासीर नहीं होने देता। पेट के कैंसर से बचाता है। डायरिया से बचाता है। शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता है।

रेशेदार खाद्य पदार्थ

  • अनाज : हाथ का कुटा या बिना पालिश चावल, साबुत गेहूं, दलिया, चोकर युक्त आटा, सूजी (रवा) मक्का, बाजरा, जौ, आदि।

  • दाल : अंकुरित सभी दालों के साथ साथ चना, काबुली चना, राजमा, मूंग उड़द, मसूर आदि साबुत अथवा इनकी छिलके युक्त दाल।

  • सब्जियां : मूली, गाजर, गोभी (गांठ, पत्ता, फूल) सभी सेम, मटर, कद्दू, लौेकी, पपीता, शलगम, चुकंदर, खीरा, ककड़ी, भिंड़ी परवल, सभी कंद (प्याज, आलू, शकर कंद, जिमीकंद, सूरन कंद आदि) सभी भाजियाँ टमाटर आदि।

  • फल : सेब, संतरा, मौसमी, पपीता, आम, केला, खजूर, नाशपाती, अनन्नास, आलू, अमरूद, अंगूर, अंजीर, बेर आदि। साबुत एवं छिलके युक्त फल में फाइबर रहता है। उनके जूस में नहीं रहता।

अधिक फाइबर से नुक्सान

दैनिक आहार में हमें 25-30 ग्राम फाइबर पदार्थ की जरूरत रहती है। इसे अधिक मात्रा में लेने पर नुक्सान भी करता है। इसकी अधिकता पेट में गैस बनाती है। पेट दर्द की शिकायत हो सकती है। खनिज तत्वों के पाचन को यह प्रभावित करता है। पेट खराब कर सकता है। आंतों में रूकावट डाल सकता है। वृद्धों को परेशान कर सकती है। इसकी संतुलित मात्र ही लाभ दिलाती है।


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