- पांच हजार अज्ञात के खिलाफ शहर के चार थानों में हुए थे 23 मुकदमे दर्ज
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बवालियों को मिली राहत
- बवालियों पर हुआ था 20 20 हजार का इनाम घोषित
- 51 लोगों को भेजे थे 28 लाख की वसूली के नोटिस
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर वर्ष 2019 में हुए बवाल के उपद्रवियों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को बवालियों से वसूला गया पैसा वापस करने के आदेश दिए है। बता दें कि मेरठ में हुए बवाल के बाद पुलिस ने अलग-अलग थानों में 173 उपद्रवियों के खिलाफ एफआईआर और पांच हजार के खिलाफ अज्ञात में केस दर्ज किया था। यही नहीं पुलिस ने तीन बवालियों की गिरफ्तारी के लिए 20-20 हजार रुपये के ईनाम की भी घोषणा की थी।
विदित है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दिल्ली में चल रहे धरना प्रदर्शन के पक्ष में अचानक से हापुड़ रोड पर बवाल हो गया था। बवाल से पहले हापुड़ रोड स्थित सिटी हॉस्पिटल के सामने सैकड़ों की संख्या में लोग जमा हो गए थे। भीड़ को समझाने के लिए भरी संख्या में पुलिस बल पहुंच गया था। इसी बीच भीड़ में से किसी ने पुलिस पर पत्थर फेंक दिया था।
जिसके बाद पुलिस ने भीड़ पर लाठीचार्ज कर दिया था। पुलिस के लाठी चार्ज करने के बाद भीड़ ने पुलिस पर हमला कर दिया था और लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र में अलग-अलग जगहों पर आगजनी कर दी थी। यही नहीं बवालियों ने पुलिस पर सीधे फायर भी कर दिए थे। जिसके जवाब में पुलिस ने भी भीड़ पर फायरिंग कर दी थी, जिसमें पुलिस की गोली लगने से छह बवालियों की मौत हो गई थी और कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गए थे।
बवालियों की मौत के बाद भीड़ और अधिक आक्रोशित हो गई और इस्लामाबाद चौकी और सड़क किनारे खड़े वाहनों में आग लगा दी थी। आग से पुलिस चौकी में खड़ी थाने की फैंटम समेत अन्य कई वाहन जल गए थे। पुलिस ने किसी तरह भीड़ को काबू करने के बाद बवालियों की शिनाख्त कर नौचंदी, लिसाड़ी गेट, कोतवाली और ब्रह्मपुरी थाने में 173 बवालियों को नामजद और पांच हजार अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया था।
इसके बाद पुलिस ने 65 बवालियों को हिरासत में लेकर जेल भी भेजा था और पुलिस पर सीधी फायरिंग करने वाले तीन बवालियों पर 20-20 हजार रुपये का ईनाम भी घोषित कर दिया था। इसके बाद सरकार ने नुकसान की भरपाई के लिए पुलिस प्रशासन को बवालियों से जुर्माना वसूल करने के आदेश पारित कर दिए थे।
जिसके बाद पुलिस ने 51 लोगों को 28 लाख रुपये की वसूली के लिए नोटिस भेजे थे। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश आया है, जिसमे यूपी सरकार को बवालियों से वसूला गया जुर्माना वापस करने के आदेश दिए गए है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश आने के बाद बवालियों को बड़ी राहत मिली है।
सरकार की प्रायोजित और कानून विरोधी थी वसूली
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शकारियों से नुकसान की भरपाई के लिए सरकार द्वारा की गई वूसली को मुस्लिम दानिशवरों ने अवैध वसूली होना करार दिया है। उनका आरोप है कि राज्य सरकार का यह कार्य प्रायोजित और कानून विरोधी था। इसीलिए सुप्रीमकोर्ट ने लोगों से हुई इस वसूली को गलत माना है और जो वसूली की गई है उस रकम की वापसी के आदेश दिए हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता अब्दुल जब्बार खान का कहना है कि राज्य सरकार ने सरकारी नुकसान होने और उसकी भरपाई के लिए प्रदर्शनकारियों से वसूली केवल समाज की नजरों में प्रदर्शन को गलत साबित करने के लिए की थी। यह सरकार का पूरी तरह प्रायोजित प्लान था और कानून के खिलाफ उठाया गया कदम था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में वसूली की रकम को वापस करने की बात कहकर यह साबित कर दिया है।
शाहपीर गेट निवासी समाजसेवी अयाज अहमद ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि हम कानून में विश्वास रखने वाले हैं और उच्च अदालत के फरमान ने षड़यंत्रकारी सरकार के तानाशाही फरमान को गलत ठहरा दिया है। यह कानून की जीत और एक सरकार की गलत मानसिकता की हार है। जनता से अवैध वसूली हुई थी उसी को सुप्रीम कोर्ट ने गलत माना है।
शास्त्रीनगर निवासी युवा अधिवक्ता एम जुनैद का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय कानून से खिलवाड़ करने वालों के लिए करारा जवाब है। सरकार की अपनी मर्यादा होती है और सरकार राज्य की हो या फिर केन्द्र की कानून से ऊपर नहीं होती है। देश की सर्वोच्च अदालत का वसूली की रकम वापसी का फैसला कई मायनों में अहम् है और भविष्य की सरकारों के लिए सबक है। काननू के हिसाब से सही निर्णय है और स्वागत योग्य है।