जनवाणी संवाददाता
मोदीपुरम: वेस्ट यूपी में मौसम का मिजाज ऐसा बदला कि सुबह से से ही जमकर बारिश होती रही। बारिश के चलते गर्मी का असर भी खत्म हो गया और देखते ही देखते सड़कों पर लबालब पानी भर गया। अभी दो से तीन दिन तक मौसम ऐसे ही रहेगा।
बंगाल की खाड़ी में बने निम्र दबाव के क्षेत्र के सक्रिय होने से मानसून ने फिर से रफ्तार पकड़ ली है। पिछले दो दिन में मानसून की रफ्तार इतनी बढ़ गई कि उसने पूरे देख को मानसूनी बारिश से भिगो दिया। बारिश का इंतजार कर रहे लोगों को भी राहत दे दी।
बारिश सुबह से लेकर शाम तक होती रही। बारिश के चलते जहां गर्मी से राहत मिली, वहीं तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई। बारिश ने आठ घंटे में पिछले पांच साल की बारिश का रिकॉर्ड तोड़ दिया। पहले ही दिन बारिश 100 मिमी के पास पहुंंच गई।
शुरूआत से ही मौसम वैज्ञानिकों ने इस बार अच्छे मानसून की संभावना जता रखी थी। मौसम वैधशाला पर दिन का अधिकतम तापमान 29.6 डिग्री व रात का न्यूनतम तापमान 25 डिग्री रहा। बारिश 94.2 मिमी बारिश की गई। मौसम वैज्ञानिक डा. एम शमीम का कहना है कि इस बार जुलाई माह में ही बारिश पिछले सालों का रिकॉर्ड तोड़ देगी। अभी तक जो मानसून संकेत मिल रहे हैं। वह काफी अच्छे हैं। बुधवार को भी भारी बारिश हुई है।
फसलों के लिए बरसा सोना
खेतों में बारिश की कमी काफी समय से दिखाई दे रही थी। किसान परेशान थे और बारिश न होने से नुकसान हो रहा था। बुधवार को बारिश होने से गन्ना और धान की फसल को ज्यादा लाभ पहुंचा। फसलों के लिए बारिश सोना बनकर बरसी है। अभी तक बारिश न होने के कारण धान की फसल प्रभावित हो रही थी, बारिश होने पर अब किसान तेजी से धान की बुवाई कर सकेगा। वेस्ट यूपी में अधिकतर किसान मानसूनी बारिश होने पर ही धान की रोपाई करते हैं।
बारिश से शुद्ध हो गई हवा
प्रदूषण की मार झेल रहे मेरठ वासियों को बारिश ने गर्मी से राहत के साथ-साथ शुद्ध हवा भी दे दी है। सामान्य दिनों में 200 से ऊपर रहने वाला एयर क्वालिटी इंडेक्स भी बुधवार को 41 पर पहुंंच गया। जून और जुलाई माह में सबसे कम स्तर पर यह रिकॉर्ड किया गया। लगातार बढ़ोतरी के बाद बारिश होने से इसमें गिरावट आयी है।
मोदीपुरम: मानसून की देरी में किसानों के चेहरे मुरझाए
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डा. आरएस सेंगर के अनुसार इस बार मानसून में हुई देरी देश के अधिकांश किसानों के लिए चिंता का विषय बने हुए थे। जिन किसानों ने बुवाई कर दी थी। उनकी फसल पर खराब होने का खतरा मंडरा रहा था और जिन्होंने बुराई नहीं की थी वह सोच रहे थे कि खरीफ की बुवाई करें या न करें वह इंद्र देवता की तरफ टकटकी लगाए देख रहे थे कि कब पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मानसून दस्तक देगा और झमाझम बारिश होगी।
बुधवार को इंद्र देवता खुश हुए और उन्होंने पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में झमाझम बारिश कर दी। खरीफ सीजन की फसलों की बुवाई अब किसान आसानी से कर सकेंगे, लेकिन इस बार मानसून की चाल काफी धीमी रही जोकि एक चिंता का विषय है।
देश के अधिकतर राज्यों में मानसून की बारिश में देरी हुई। जिसके चलते खरीफ फसलों की बुवाई पिछड़ चली गई। हालांकि कुछ राज्यों में सामान बारिश हुई, लेकिन इसके बावजूद धान, मूंग, उड़द और कपास की बुवाई के लिए बहुत कम समय बचा था। इस कारण किसानों को चेहरे मायूस थे, क्योंकि मानसून की देरी से उनकी आय पर प्रभाव पड़ सकता था।