Tuesday, May 13, 2025
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फूड अफसर ने भरे खाद्य पदार्थों के नमूने

  • होली पर चलाये जा रहे विशेष अभियान के दौरान विभाग कर रहा सैंपलिंग की कार्रवाई

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: होली पर्व के अवसर पर मिलावटी खाद्य एवं पेय पदार्थों विशेषकर खोया, पनीर, दुग्ध उत्पाद से निर्मित खाद्य पदार्थ, खाद्य तेल, घी एवं वनस्पति, रंगीन कचरी, पापड़, चिप्स एवं नमकीन, विभिन्न प्रकार की मिठाइयां, बेसन, मैदा आदि की बिक्री पर प्रभावी रोकथाम के लिए विशेष अभियान के क्रम में शुक्रवार को सहायक आयुक्त दीपक सिंह खाद्य सुरक्षा एवं औषिधि प्रशासन के निर्देशन में शिवकुमार मिश्रा की अगुवाई में विभिन्न टीमों निरीक्षण करते हुए खाद्य पदार्थ के नमूने संग्रहित किए गए जिनका विवरण इस प्रकार है।

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इस दौरान श्रीधर फूड्स हरबंस बिहार से नमकीन का एक नमूना, कृष्णा डिपार्टमेंटल स्टोर से पापड़ का एक नमूना, रिलायंस स्मार्ट बाजार से टोमेटो फ्राइअप का एक नमूना तथा पापड़ के दो नमूने, हसनपुरकलां गढ़ रोड से आइसक्रीम सॉफ्टीकोन का एक नमूना तथा पपाया कैंडी का एक नमूना, कायस्थ बड्ढा से मावा का एक नमूना, गढ़ रोड से दूध का एक नमूना, मोनू स्वीट्स जसड़ से रसगुल्ला का एक नमूना तथा चैनपुर से रसगुल्ला का एक नमूना, नंगला कुंभा से पनीर का एक नमूना, जानी से किशमिश का एक नमूना, विनायक स्वीट्स गोलाबढ़ से चमचम का एक नमूना,

पंजाब किराना स्टोर सोतीगंज से काजू का एक नमूना, एमपी मिल गंगानगर से सरसों के तेल का एक नमूना, राजस्थान मिल गंगानगर से सरसों के तेल का एक नमूना संग्रहित किया गया। इस प्रकार कुल 17 नमूने संग्रहित कर खाद्य विश्लेषक प्रयोगशाला लखनऊ में जांच के लिये भेजा गया। बताया कि जांच रिपोर्ट प्राप्त होने पर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के अंतर्गत अग्रिम विधिक कार्रवाई की जाएगी।

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इसके अतिरिक्त नंगला कुंभा से 70 किलोग्राम पनीर मूल्य 21000 जैनपुर से 50 किलोग्राम रसगुल्ला मूल्य 4500 रुपये तथा जसड़ से 80 किलोग्राम रसगुल्ला मूल्य 8000 रुपये को नष्ट किया गया। टीम में रीना शर्मा, मोहित कुमार, तन्मय अग्रहरि, सुमन पाल, निशिकांत, मनोज कलश्यान, पीवी सिंह, अनिल गंगवार, वैभव शर्मा, विशाल चौधरी, रमेश चंद्र ,भोगेंद्र प्रसाद, अनंत कुमार, जगबीर सिंह, गुंजन, पूनम, सुनील कुमार खाद्य सुरक्षा अधिकारी उपस्थित रहे।

केमिकल से बने रंग त्वचा के लिये खतरनाक

होली के रंगों से सराबोर होकर मस्ती में झूमने में अब बस दो ही दिन बचे हैं। खाने-खिलाने और गुलाल चेहरे पर मलने के साथ ही पानी वाले रंग से एक-दूसरे को नहलाने की प्लानिंग के साथ हर आयु वर्ग के महिला-पुरुष और बच्चे तैयार हो रहे हैं। बाजारों में खाने के सामान के साथ ही रंग, गुलाल और पिचकारी की खरीदारी भी जोरो पर है। मस्ती भरे माहौल में सुरक्षित होली मनाने की कवायदों के बीच खतरनाक रसायनों से बने रंग कहीं आप की या आपके अपनों की त्वचा को नुकसान न पहुंचाये। इसलिये खास सावधानी बरतना बेहद जरूरी है।

जानकारों के माने तो होली के लिये बाजार में प्राकृतिक रूप से तैयार किये गये सुखे रंग वाले लाल, हरे, गुलाबी, नीले, पीले, केसरिया रंग सहित अन्य रंगो के गुलाल तो मौजूद हैं ही, साथ ही मिरगान, दानेदार रंग, सिल्वर पेंट आदि बड़े पैमाने पर बाजार में बेचे जाते हैं। माना जाता है कि होली पर अधिकतर प्रयोग किया जाने वाला बैंगनी रंग क्रोमियम आयोडाइड से बनाया जाता है, जिससे अस्थमा या एलर्जी का खतरा हो सकता है। इसके साथ ही सिल्वर कलर एल्युमिनियम ब्रोमाइड जो कि एक कारसिनोजेनिक होता है।

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कारसिनोजेनिक को कैंसर पैदा करने वाले तत्व के रूप में जाना जाता है। इसके साथ ही विभिन्न हानिकारक रंगों से त्वचा को नुकसान होने का खतरा बराबर बना रहता है। स्थानीय बाजार में बिकने वाले इन रंगों में अक्सर खतरनाक रसायन और सीसा पीबी जैसी भारी धातुएं होती हैं जो संभावित रूप से मध्यम से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती हैं। होली के रंगों में पाई जाने वाली सभी भारी धातुओं में सीसा सबसे खतरनाक है। यह तंत्रिका तंत्र, गुर्दे और प्रजनन प्रणाली को प्रभावित कर सकता है।

ये कहते हैं चिकित्सक

होली पानी वाले और रसायन युक्त रंगों से त्वचा को होने वाली एलर्जी के विषय में डा. अनिल ने बताया कि रासायनिक रंगों से होली न ही खेले तो बेहतर होगा, लेकिन अक्सर ऐसा होता नहीं है और न चाहते हुये भी परिजन और प्रियजन इन रंगों का प्रयोग होली खेलने के लिये करते हैं।

त्वचा पर इनका प्रभाव न पड़े इसके होली खेलने से पहले कुछ तैयारियां जरूर करनी चाहिये, जिनमें त्वचा को तैलीय बनाने के लिये सरसों का तेल या बादाम का तेल लगा सकते हैं, जिससे रंग त्वचा पर जमे न और इसे निकालने में आसानी हो। फिर भी अगर किसी वजह से कोई रिएक्शन जैसे, खुजली होना, दाने पड़ना या जलन होने पर चिकित्सक से परामर्श लेकर ही चिकित्सा कराये।

गुलाल से बेहतर कुछ नहीं

जानकारों की माने तो होली खेलने के लिये प्राकृतिक रंगों से तैयार गुलाल का प्रयोग करना सबसे बेहतर होता है। ब्रांडेड और सुगंधित गुलाल का ही प्रयोग करें, क्योंकि अप्रचलित रूप से खुले गुलाल से भी समस्या पैदा हो सकती है।

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