- करोड़ों की क्षति, जंगल की आग से वन्य प्राणियों की असमय हो जाती है मौत
जनवाणी संवाददाता |
हस्तिनापुर: तापमान में वृद्धि के साथ ही जंगल धधक उठे हैं। हस्तिनापुर का वन आरक्षित क्षेत्र हो या फिर मवाना की सड़कों किनारे खड़े हरे-भरे पेड़, कोई अछूता नहीं है। हाल ही में जंगलों में आग लगने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। सड़कों के किनारों के साथ वन आरक्षित क्षेत्र में सुलगते जंगल जहां इंसान की चिंता बढ़ा रहे हैं। वहीं, जंगल के प्राणियों की असमय मौत, पलायन और कई वन्य प्रजातियों के खत्म होने का खतरा भी पैदा कर रहे हैं। इसके अलावा वन क्षेत्र में फैली आग से करोड़ों रुपये की वन संपदा का भारी नुकसान भी होता है। जिसकी भरपाई शायद कभी नहीं की जा सकती है।
बिजनौर बैराज से गढ़मुक्तेश्वर तक 2073 वर्ग किलोमीटर में फैले वन जंगलों में तापमान में वृद्धि के साथ आग लगने के मामले निरंतर बढ़ रहे हैं। शुष्क मौसम के कारण वातावरण में नमी कम होने से जंगलों के धधकने का सिलसिला काफी तेज हो गया है और चिंता की बात ये है कि जंगल में आग लगने की ऐसी घटनाओं के बढ़ने के साथ ही इन पर नियंत्रण कर पाना भी बेहद मुश्किल होता जा रहा है।
वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक, वन आरक्षित क्षेत्र में गर्मी बढ़ने के साथ ही फायर सीजन में अभी तक जंगलों में आग की करीब कई घटनाएं हो चुकी हैं। आग लगने की अधिकाशं घटनाएं सड़कों किनारे खड़े पेड़ों के आसपास होती नजर आ रही है। आग की घटनाएं कई बार विकराल रूप भी ले लेती है। जिसमें वन संपदा के साथ जंगली जीवों को भी भारी नुकसान होता है।
आखिर क्यों धधक उठते हैं जंगल ?
जंगलों के सुलगने के पीछे क्या सिर्फ गर्मियां और तेज गर्म हवाएं ही एक बड़ी वजह हैं। शायद ऐसा कहना ठीक नहीं होगा, क्योंकि पिछले दिनों में जंगल में आग लगने की जो घटनाएं हुई हैं। उनमें इंसानी गतिविधियां ज्यादा जिम्मेदार कही जा सकती हैं। सड़कों किनारे होने वाली घटनाओं से वन संपदा का नुकसान होता है, लेकिन वन क्षेत्र में आग से होने वाली घटनाओं में वन संपदा के साथ जंगली जीवों को भी नुकसान होता है।
- आग की घटनाएं होती है इंसानी गतिविधियों से
आग लगने की अधिकांश घटनाएं इंसानी गतिविधियों के चलते होती है। घटनाओं को कम करने के लिए गोष्ठियों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाता है। सूचना के बाद वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंचकर आग को बुझाने का प्रयास करती है।-राजेश कुमार, डीएफओ मेरठ
दिन में गर्म रहा मौसम, बारिश से प्रदूषण घटा
मोदीपुरम: 41 के पार पहुंचा तापमान शनिवार को फिर से 40 से नीचे आ गया। तापमान और प्रदूषण में बारिश के चलते कमी आयी है, लेकिन अभी गर्मी का असर कम नहीं हुआ। तीन-चार दिन में और गर्मी में बढ़ोतरी होगी। रात में आयी आंधी और बारिश के चलते मौसम बदला हुआ रहा। तेज गर्मी ने थोड़ी राहत दी और आंधी ने शहरवासियों को परेशान रखा। आंधी के चलते शहर से लेकर देहात तक बिजली गुल रही। कई जगह पर पेड़ भी गिर गए। दिन में तापमान में गिरावट होने के बाद भी गर्मी ऐसे ही बनी हुई थी। तापमान में अभी उतार-चढ़ाव रहेगा और मौसम बदल जाएगा।
मौसम कार्यालय पर दिन का अधिकतम तापमान 38.0 डिग्री व रात का न्यूनतम तापमान 20.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। अधिकतम आर्द्रता 50 व न्यूनतम 25 दर्ज की गई। शनिवार को मेरठ का एक्यूआई 125, गाजियाबाद में 146, बागपत में 139, मुजफ्फरनगर में 167 दर्ज किया गया। कृषि विवि के मौसम वैज्ञानिक डा. यूपी शाही का कहना है कि जल्द ही तापमान फिर से 42 डिग्री पर जाएगा। गर्मी का रौद्र रूप बना रहेगा। बारिश के चलते प्रदूषण में कमी आयी है, लेकिन आगे गर्मी अभी और परेशान करेगी।