Saturday, July 27, 2024
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गांधी आश्रम अब प्रशासक के हवाले

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  • विधिवत डिप्टी सीईओ ने गांधी आश्रम में कर्मचारियों की ली बैठक, प्रशासक नियुक्त करने का किया ऐलान

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: लंबे समय के इंतजार के बाद आखिर मंगलवार को गांधी आश्रम प्रशासक के हवाले कर दिया गया। नितिश धवन को प्रशासक बनाया गया हैं। विधिवत डिप्टी सीईओ ओमप्रकाश ने गांधी आश्रम में कर्मचारियों की बैठक ली और प्रशासक नियुक्त करने का ऐलान किया। प्रशासक की तैनाती के साथ ही सम्पत्ति की डीड करने वाली गांधी आश्रम समिति के पदाधिकारियों को बड़ा झटका लगा हैं। एक तरह से समिति के पदाधिकारियों को ‘जीरो’ कर दिया गया।

अब समिति के पदाधिकारियों को किसी तरह का हस्ताक्षेप नहीं रहेगा। जमीन की डीड जो की गई थी, उसे भी प्रशासक खारिज करेगा तथा दोषियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती हैं। प्रशासक की नियुक्ती के बाद गांधी आश्रम में हड़कंप मच गया। क्योंकि लंबे समय से गांधी आश्रम की जमीन को लेकर कभी नीलामी तो कभी डीड की जा रही थी। गांधी आश्रम की करोड़ों की सम्पत्ति हैं,

जिसको लेकर कुछ भू-माफिया सक्रिय हो गए थे। उनकी निगाहें इस जमीन पर लगी हुई थी। इसी के बाद विवाद खड़ा हो गया था। गांधी आश्रम की प्राचीन बिल्डिंग को भी कुछ लोगों ने गांधी आश्रम समिति के साथ सेटिंग कर ध्वस्तीकरण कर दिया था। एक माह तक तोड़फोड़ चली, लेकिन तब कोई संज्ञान नहीं लिया था।

‘जनवाणी’ ने पहले दिन से लेकर वर्ततान तक गांधी आश्रम की सम्पत्ति बचाओ अभियान चलाया। इसमें ‘जनवाणी’की मुहिम आखिर रंग लाई। यही वजह है कि जो प्राचीन धरोहर को क्षतिग्रस्त किया जा रहा था, उसे रोक दिया गया था। बाद में आयोग की तरफ से एक एफआईआर लखनऊ हजरत गंज कोतवाली में भी दर्ज करायी गयी थी। ये एफआईआर उन लोगों के खिलाफ दर्ज हुई थी, जो इस जमीन को बेच रहे थे और खरीद रहे थे। इसमें अब कुछ समय से प्रशासक की तैनाती करने की मांग की जा रही थी।

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आयोग के भोपाल आॅफिस से गांधी आश्रम के डिप्टी सीईओ ओमप्रकाश मंगलवार को गांधी आश्रम में पहुंचे, जहां पर निदेशक नितिश धवन को प्रशासक नियुक्त करने का ऐलान किया। गांधी आश्रम समिति का विरोध कर रहे कर्मचारियों की एक टीम से भी मीटिंग की गई तथा सयम के साथ काम करने के लिए कहा गया। कहा गया कि भ्रष्टाचार करने वालों पर सख्ती से पेश आया जाएगा।

प्रशासक की तैनाती इसकी का नतीजा हैं। चुनाव कराने के लिए समय मांगा गया तथा कहा गया कि भ्रष्ट गांधी आश्रम समिति के पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा किया जाए। बता दे, गांधी आश्रम समिति की तरफ से डीड की गई थी, जिसमें 42 सौ मीटर जमीन एक प्राइवेट आदमी को दे दी गई। इसके बाद से ही बवाल मचा हुआ हैं।

मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक इसकी शिकायत पहुंची हैं। सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने भी गांधी आश्रम की धरोहर रूपी जमीन को बेचने के खिलाफ एक पत्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखा था, जिसमें भ्रष्ट अफसरों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई थी। प्रशासन भी इसकी जांच कर रहा था, लेकिन प्रशासन की जांच अभी भी अधूरी हैं। ये भी सवालों के घेरे में हैं।

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