Monday, July 8, 2024
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खतरे के निशान से ऊपर गंगा

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  • खादर के हालात फिर होंगे नाजुक, प्रशासन अलर्ट मोड पर
  • बैराज से डिस्चार्ज बढ़कर हुआ 1.31 लाख क्यूसेक

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: गंगा नदी में अगले 24 घंटे में जलस्तर बढ़ जायेगा। एक तरह से खतरे के निशाने से ऊपर गंगा में पानी चलेगा। क्योंकि हरिद्वार में भीमगोडा बैराज का एक गेट पानी के दबाव के चलते क्षतिग्रस्त हो गया, जिसके चलते पानी गंगा नदी में ज्यादा डिस्चार्ज कर दिया हैं। इसकी पुष्टि मध्य गंगा चीफ इंजीनियर संदीप कुमार ने की हैं। हालांकि कितना पानी बढ़ेगा, इसकी अभी पुष्टि नहीं की हैं। वैसे दो लाख क्यूसेक प्लस पानी गंगा में डिस्चार्ज होना बताया जा रहा हैं, जो हस्तिनापुर खादर क्षेत्र में तबाही मचा सकता हैं।

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रविवार को बैराज बिजनौर से डिस्चार्ज में कमी हुई, लेकिन शाम 5 बजे हरिद्वार बैराज से गंगा का जलस्तर बढ़कर 2.21 लाख क्यूसेक पर पहुंच गया, जो खतरे के निशान से लगभग डेढ़ मीटर ऊपर है। इससे हस्तिनापुर खादर क्षेत्र में ताबाही मच जाएगी। रविवार को बिजनौर बैराज से गंगा में 1.36 हजार क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज चल रहा था। वहीं, हरिद्वार भीमगोड़ा बैराज से डिस्चार्ज बढ़कर 1 लाख 80 हजार क्यूसेक हो गया। बढ़ा हुआ पानी यहां पहुंचने से गंगा ने खादर में बाढ़ का तांडव शुरू हो गया। इससे ग्रामीण पलायन भी कर रहे हैं।

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क्योंकि इससे बड़ा खतरा पैदा हो सकता हैं। जलस्तर बढ़ने से फतेहपुर प्रेम, शेरपुर व हरीपुर गांवड़ी में बना तटबंध करीब 800 मीटर टूट गया। इससे कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए। हरिद्वार में बैराज पर पहाड़ी क्षेत्र से आ रहे पानी का दबाव बढ़ने पर गेट नंबर-20 क्षतिग्रस्त हो गया। सीधे पानी का प्रवाह गंगा नदी में हो रहा हैं, जिसके चलते अलर्ट तो पहले ही घोषित किया था, लेकिन अब ताबाही ज्यादा हो सकती हैं।

2013 में देखा बाढ़ का भयंकर मंजर, नहीं भुला जाता

खादर क्षेत्र में 2010 में भी बाढ़ का विकराल रूप देखने को मिला था। तब प्रशासन ने लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए दर्जनों मोटरबोट से लेस आर्मी बटालियन की मदद ली थी। जबकि 2011 में 3 लाख 50 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने पर ही राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के साथ पीएसी राहत व बचाव कार्य में लगा दी गई थी। वहीं 2013 में भी बढ़ा ने खादर क्षेत्र में जमकर कहर बरपाया था।

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बिजनौर बैराज से गंगा नदीं में लगभग 7 लाख क्यूसेक से भी अधिक पानी का डिस्चार्ज किया गया, लेकिन इस बार महज 2 लाख 5 हजार क्यूसेक पानी का अधिकतम डिस्चार्ज गंगा नदीं में हुआ। जिसके चलते खादर में तबाही का मंजर देखने को मिला। वहीं, अब हरिद्वार से बढ़ रहे डिस्चार्ज से खादर के क्या हालत होंगे ये कह पाना मुश्किल है।

इन गांवों का टूटा संपर्क

गंगा में उफान से मंगलवार को भीकुंड, लतीफपुर, हंसावाला, कुंहैडा, भागोवाला, चमारोज, छोटी चमारोज, दुधली, रठौराकलां, जलालपुर जोरा, बंगाली बस्ती मखदूमपुर, मनोहरपुर, खेड़ीकलां, बधुवा, बधुवी, शेरपुर, फतेहपुर प्रेम, मखदूमपुर, गांवड़ी आदि लगभग तीन दर्जन से अधिक गांवों का अन्य स्थानों से संपर्क टूट गया है। संपर्क मार्गों पर चार से पांच फीट तक पानी होने के चलते लोगों को संपर्क बनाने के लिए नावों का सहारा लेना पड़ रहा है।

गांव बन गए टापू

गत दो सप्ताह से गंगा जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। जिसके चलते अधिकाशां गांवों के संपर्क मार्गों सहित हस्तिनापुर-रामराज मार्ग पर पानी भरा है। वहीं, गंगा की तलहटी में बसे मनोहरपुर, खेड़ीकलां, बधुवा, बधुवी, शेरपुर, फतेहपुर प्रेम, मखदूमपुर, गांवड़ी आदि दर्जनों गांव चारों ओर से पानी से घिरे हुए हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

एसडीएम मवाना अखिलेश यादव ने बताया कि लगभग एक दर्जन गांवों में बाढ़ के हालात है। बधुवा, खेड़ीकलां, बधुवी गांव में स्थिति भयंकर है। बिजनौर बैराज से पानी का डिस्चार्ज कम होना शुरू हुआ था, लेकिन हरिद्वार से डिस्चार्ज में लगातार वृद्धि होने की सूचना मिल रहे हैं। जिसके चलते गंगा जलस्तर में वृद्धि की संभावना है।

हिंडन नदी में लगातार बढ़ता जा रहा जलस्तर

सरधना: हिंडन नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। रात में पानी कम होने के बाद रविवार सुबह फिर से हिंडन का जलस्तर बढ़ना शुरू हो गया है। पानी बढ़ने का सिलसिला दिनभर जारी रहा। जलस्तर बढ़ने से आसपास के क्षेत्र में हजारों बीघा खेत जलमग्न हो गए हैं। जंगल में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। जिसके चलते किसानों को भारी नुकसान होना बताया जा रहा है। हिंडन में बढ़ते जलस्तर से आसपास के इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।

कभी पानी को तरसी हिंडन नदी आज बाढ़ के कारण का सबब बनती नजर आ रही है। हालत यह है कि पहाड़ों पर हो रही बारिश के कारण हिंडन नदी पूरी लबालब भरकर चल रही है। पिछले कई दिन से हिंडन ओवरफ्लो चल रही है। हिंडन में लगातार जलस्तर बढ़ता जा रहा है। जिससे आसपास के इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। वर्तमान में हालत यह है कि जलस्तर बढ़ने के कारण हिंडन से निकला पानी आसपास गांव के जंगलों में भर रहा है।

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बपारसी, पिठलोकर, नाहली, मुल्हैड़ा आदि गांव के जंगलों में सैंकड़ों किसानों के हजारों बीघा खेतों में पानी भर गया है। जिससे फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। जंगल में किसानों का जाना बंद हो गया है। शनिवार देर शाम पानी की जलस्तर कम होना शुरू हो गया था। जिससे ग्रामीणों को उम्मीद जगी थी कि इस खतरे से जान बच जाएगी। मगर रविवार सुबह फिर से हिंडन का जलस्तर बढ़ना शुरू हो गया है।

पानी का लेवल बढ़ने का सिलसिला पूरे दिन चलता रहा। जिससे जंगल में दूर तक पानी भरा हुआ नजर आ रहा है। हालात देखते हुए गांवों की आबादी में बाढ़ आने का खतरा मंडरा रहा है। हालांकि प्रशासन इस ओर पूरी तरह नजर बनाए हुए हैं। प्रशासन का कहना है कि जलस्तर बढ़ने के साथ ही खेतों में जलभराव पर पूरी नजर है। लेखपालों से आकलन करके पीड़ित किसानों को मुआवजा दिलाने का भी काम किया जाएगा। मगर फिलहाल मुआवजे से पहले इस परेशान से निपटना जरूरी है।

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