Tuesday, May 27, 2025
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बकरी और चतुराई

AMRITWANI


एक बकरी के पूरे शरीर पर नर्म-मुलायम लंबे बाल थे। वह खुद को बहुत होशियार समझती थी। एक दिन वह घास चर रही थी, तभी शिकारी वहां आ पहुंचे। जैसे ही उनकी नजर बकरी पर पड़ी, वे उसे पाने के लिए लालायित हो उठे। उनका इरादा भांप बकरी जान बचाने के लिए भागने लगी।

भागते-भागते वह एक ऐसी जगह पहुंची, जहां नर्म पत्तों वाली कुछ घनी झाड़ियां लगी हुई थीं। बकरी उनके पीछे जाकर छिप गई। थोड़ी देर में शिकारी भी पीछा करते हुए वहीं आ पहुंचे। झाड़ियां घनी होने की वजह से वे बकरी को देख नहीं पाए। बकरी सुरक्षित रही। थोड़ी देर तक इधर-उधर खोजने के बाद शिकारी निराश होकार आगे बढ़ गए।

यह देख बकरी की जान में जान आई और अपनी चतुराई पर बड़ी खुश हुई। कुछ देर पहले तक डर की वजह से उसका ध्यान झाड़ियों की बेलों के नर्म पत्तों की ओर गया ही नहीं था। उसने तेजी से उन्हें खाना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में उसने काफी सारी झाड़ी चट कर डाली। तभी शिकारी उसे खोजते हुए वापस उसी जगह आ पहुंचे।

उन्होंने घेरकर बकरी को पकड़ लिया। वे उसे अपने साथ ले जाते हुए बात कर रहे थे कि यदि बकरी ने झाड़ियां साफ न कर दी होतीं तो शायद वह उनकी पकड़ में ही नहीं आती। यह सुनकर बकरी को अपनी भूल समझ में आ गई। उसने खुद अपने हाथों से अपना आश्रय मिटा दिया।

सफलता के नशे में कई बार प्राणी अपने आश्रयदाता को छोटा समझकर उसकी उपेक्षा करने या उसे नुकसान पहुंचाने से भी गुरेज नहीं करते। जो जीवन में ऐसी चतुराई साथ लेकर चलते हैं, वे कभी-कभी बड़ा धोखा खा जाते हैं। समझदारी वही कारगर है जिसमें फौरी लाभ की आशा नहीं, बल्कि दीर्घकाल की सोच रहती है।


SAMVAD

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