- डाक्टर बोले, उन लोगों की जिंदगी की चिंता जिनकी होगी चीर फाड़
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: केंद्र की मिक्सो पैथी के विरोध में प्राइवेट डाक्टर गुरुवार को हड़ताल पर रहेंगे। क्लीनिकों पर ताले लटके रहेंगे। किसी भी क्लीनिक पर ओपीडी नहीं लगेगी। आईएमए के डाक्टरों ने असहयोग आंदोलन का एलान किया है। हालांकि इमरजेंसी सेवाओं को इससे बाहर रखा गया है।
केंद्र के आयुर्वेद व अन्य पैथी के चिकित्सकों एक छोटे प्रशिक्षण के बाद 56 प्रकार के आपरेशन की अनुमति दिए जाने के विरोध में आईएमए ने देश भर में विरोध का ऐलान किया है। शुक्रवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा पूरे भारत में चिकित्सा सेवाओं को बंद रखने की तैयारी है।
बुधवार को आईएमए कार्यालय पर हुई पत्रकार वार्ता में आईएमए के यूपी प्रेसीडेंट डा. एनके बंसल, मेरठ चेप्टर के अध्यक्ष डा. अनिल कपूर, सचिव डा. मनीषा त्यागी व प्रवक्ता डा. उमंग अरोरा ने बताया कि 11 दिसंबर को आईएमए द्वारा पूरे भारत में असहयोग आंदोलन के तहत सभी चिकित्सा सेवाएं बंद रहेंगी।
इमरजेंसी व कोरोना के इलाज में लगे डाक्टर अपनी सेवाएं देते रहेंगे। जो अध्यादेश केन्द्र सरकार द्वारा लाया गया है उसमें आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सभी तरह के आॅपरेशन करने का अधिकार दिया गया है, इसका सीधा असर आम लोगों व गंभीर बीमारियों से ग्रस्त ऐसे मरीजों पर पड़ेगा जिनको सर्जरी की जरूरत है।
कहा गया कि जिस आॅपरेशन को करने से पहले एक एलोपैथी डाक्टर अपने जीवन के कम से कम 10 साल देता है, हर तरह की पढ़ाई पूरी करता है, अपने सीनियर से प्रैक्टिकली सीखता है उस आॅपरेशन को एक आयुर्वेदिक डाक्टर कैसे कर सकता है।
इससे मरीज की जान को खतरा पैदा हो सकता है। इन विधाओं को केवल एलोपैथी के डाक्टर ही कर सकते हैं। इनमें आयुर्वेदिक, यूनानी जैसे डाक्टरों को शामिल न किया जाए। इससे केवल कंफ्यूजन बढ़ेगा, मरीजों का नुकसान होगा। जो डाक्टर 10 सालों की प्रैक्टिस में सर्जन बनता है उसका काम एक डाक्टर दो, चार, छह माह की ट्रेनिंग में कैसे कर सकता है।
इसमें सरकार की मंशा साफ है कि वह केवल डाक्टरों की संख्या बढ़ाना चाहती है, आंकड़े बढ़ाना चाहती है। इसमें सरकार यह नही साफ कर रही है कि वह डाक्टर कैसे बना रहे हैं। डाक्टर बनाएं, लेकिन क्वालिटी डाक्टर बनने चाहिए। यह प्रकरण काफी गंभीर है।
सरकार की मंशा तो बताई गई, लेकिन यह नहीं कहा गया कि आयुर्वेदिक डाक्टरों द्वारा इलाज करने से इलाज का खर्च कम होगा। जिस तरह से किसी भी आपरेशन पर लाखों रुपये तक का खर्च आता है उससे गरीब मरीजों को राहत मिलने की संभावना है।