Friday, April 19, 2024
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बेगमपुल के गड्ढा पैंठ व्यापारियों की एनसीआरटीसी को दो टूक

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  • दिसंबर माह के अंत में शुरू हो सकता है मैट्रो के स्टेशन का कार्य
  • कुछ स्थान छोड़कर प्रवेश और निकासी बनाने का प्रस्ताव
  • सांसद व विधायक से लगा चुके हैं गुहार, 500 परिवारों की रोटीरोजी पर संकट

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: करीब 50 सालों से कारोबार कर रहे कैंट के पैंठ एरिया गड्ढा मार्केट के व्यापारियों ने सांसद व विधायक की मार्फत एनसीआरटीसी प्रशासन से कहा है कि उन्हें या तो आबूलेन के बंगला 180 में दुकान दी जाए अथवा सर्किल रेट पर मुआवजा दिया जाए।

इसके अलावा दो अन्य विकल्प भी दिए गए हैं, जिसमें दिल्ली के चांदनी चौक व चाबड़ी बाजार की तर्ज पर गड्ढा पैंठ की दुकानों के नीचे से निकास व प्रवेश का रास्ता बनाए जाने का भी प्रस्ताव दिया है। दूसरा ये कि निकास व प्रवेश के लिए प्रस्तावित स्थान से थोड़ा अलग हटकर यात्रियों के आने जाने के लिए रास्ता बनाया जा सकता है। इस पर निर्णय एनसीआरटीसी अफसरों को लेना है।

500 परिवारों की रोजी-रोटी का सवाल

यूं कहने को पैंठ एरिया के गड्ढा मार्केट में महज 64 दुकानदारों की बात की जा रही है, लेकिन बात केवल 64 व्यापारियों तक ही सीमित नहीं है। इस बाजार से करीब 500 परिवारों की प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोटी रोजी चलती है। भले ही कारण कुछ भी हो, यदि इस मार्केट को खत्म कर दिया गया तो 500 परिवारों के सामने चूल्हा जलने का संकट खड़ा हो जाएगा। कुछ तो ऐसे भी हैं जो कोई अन्य काम नहीं कर सकते। जबकि यदि मुआवजा मिलेगा तो केवल 64 व्यापारियों को।

क्या कहते हैं सांसद और विधायक

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इस संबंध में सांसद राजेन्द्र अग्रवाल और कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल का कहना है कि कुछ लोग आकर मिले थे। उनकी बात सरकार तक पहुंची जाएगी। किसी को हटाने से पहले दूसरा विकल्प दिया जाएगा। व्यापारी सरकार पर भरोसा रखें।

कई पुश्तों से कर रहे कारोबार

यहां के व्यापारियों ने जनवाणी संवाददाता को बताया कि कई पुश्तों से यहां कारोबार कर रहे हैं। साल 1969 में यहां स्थान खडे होने लायक भी नहीं था। गहरा गड्ढानुमा जगह थी। इसको दिन रात की मेहनत कर काम करने लायक बनाया। शुरूआत में यहां खुले आसमान के नीचे तिरपाल व टीन डालकर बैठा करते थे। तब आसपास केवल बंगले हुआ करते थे।

कैंट बोर्ड ने बनायीं पक्की दुकानें

साल 1971 में कैंट बोर्ड के तत्कालीन अधिकारियों ने यहां के दुकानदारों को पक्की दुकानें बनाकर देने का प्रस्ताव पास किया था। उसकी एवज में 25 हजार रुपये प्रति व्यापारी को जमा करने थे। उसकी 10-10 हजार की रसीदें आज भी संभाल कर रखी हुई हैं। कोई भी यहां अवैध नहीं बैठा है।

64 व्यापारियों पर लटक रही तलवार

पैंठ एरिया गड्ढा के जिन 64 व्यापारियों पर दुकान हटाए जाने की तलवार लटक रही है। उनका कहना है कि या तो उन्हें आबूलेन स्थित बंगला 180 में जितनी बड़ी उनकी दुकान एनसीआरटीसी लेना चाहता है। उतनी बड़ी दुकान दी जाए या फिर सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजा। इस एरिया का सर्किल रेट करीब डेÞढ लाख बताया जाता है।

कई अन्य विकल्प किए पेश

मैट्रो स्टेशन के नाम पर जिन व्यापारियों पर संकट के बाद मंडरा रहे हैं। उन्होंने अपना कारोबार बचाने के लिए एनसीआरटीसी अफसरों के सामने कई विकल्प रखे हैं। उनका कहना है कि स्टेशन के नक्शे में बेहद मामूली परिवर्तन कर निकास व प्रवेश के रास्ते अंडर ग्रांउड तैयार किए जा सकते हैं। क्योंकि मैट्रो का स्टेशन अंडर ग्रांउड है।

सांसद और विधायक से लगायी गुहार

दुकानों को बचाने के लिए यहां के व्यापारियों का एक प्रतिनिधिमंडल करीब एक पखवाड़ा पूर्व सांसद राजेन्द्र अग्रवाल व विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल से भी मिला था। उनसे मदद की गुहार लगायी थी। ये बात अलग है कि कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला सका। व्यापारी सांसद और विधायक की ओर से किसी राहत भरी खबर का इंतजार कर रहे हैं।

70-80 साल से हैं दुकानें

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पैंठ बाजार गड्ढा व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष सतपाल भाटिया का कहना है कि हम 70-80 साल से बैठे हैं। पांच लाख बोर्ड में जमा है। पूरे पेपर हैं सभी के पास। हमें मुआवजा दें या फिर दुकानें दें, आसपास। नोटिस का इंतजार है। हालांकि यूटयूब पर अपलोड किया है। सांसद ने वादा किया है कि ऐसे नहीं हटाया जाएगा। जगह दी जाएगी।

04 9व्यापारी एसोसिएशन के महामंत्री मनीष अग्रवाल का कहना है कि इस संबंध में सीईओ कैंट व सांसद से मिल चुके हैं। हालांकि अभी तक एनसीआरटीसी से उन्हें इसको लेकर कोई नोटिस नहीं मिला है। यदि दुकान ली जाती है तो उनको आबूलेन के बंगला 180 में दुकान बनाकर दे दी जाए। उनके पास कैंट बोर्ड के पक्के कागजात मौजूद हैं।

05 8 e1607565109639बर्तन कारोबारी दीपक अरोरा की कई पीढ़ियां यहां बैठती आ रही हैं। उनका कहना है कि सरकार को पहले सभी दुकानदारों आबूलेन सरीखी किसी जगह शिफ्ट करने का विकल्प तलाशना चाहिए। उसके बाद यहां से हटाने की सूचना चाहिए। ऐसा न करना अन्यायपूर्ण होगा।

06 11बर्तन कारोबारी इब्राहिम सिद्दीकी बताते हैं कि उनके दादा अब्दुल मजीद यहां 1951 से पहले से कारोबार कर रहे हैं। उनके पास कैंट बोर्ड की तमाम रसीदें भी हैं। जब से सुना है चिंता में भूख और प्यास गायब हो गई है और भविष्य को लेकर चिंता सताने लगी हैं। सभी से मदद की गुहार लगा रहे हैं।

07 11बर्तन कारोबारी वीरेन्द्र गुलाठी बताते हैं कि करीब 60 साल हो चुके हैं, यहां कारोबार करते हुए। अब चौथी पीढ़ी यहां बैठती है। यदि दुकान लेना चाहते हैं तो फिर दुकान के बदले दुकान बनाकर दी जाए। हम व्यापारी है किसी भी प्रकार का टकराव नहीं चाहते हैं। जिससे हमारा कारोबार प्रभावित हो।

08 10लोहे के सामान की दुकान चलाने वाले मोबिन बताते हैं कि करीब 80 साल से उनका परिवार यहां काम कर रहा है। यहां की शुरूआत उनके नाना अब्दुल लतीफ ने की थी। तभी से उनका परिवार यहां काम कर रहा है। जो बाते सुनने में आ रही हैं, उससे बहुत परेशान हैं। उन्हें दुकान के बदले दुकान मिले तो व्यापारी चौपट नहीं होगा।

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