Friday, July 11, 2025
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नाले में गुर्राया, पर दिखा ना हाथ आया तेंदुआ

  • साइफन चौकी के पुलिस कर्मी और पास में बसे अहेरिया परिवार दहशत में, तेंदुए के घायल होने की आशंका

जनवाणी संवाददाता |

किठौर: कस्बे के खादर में पुलिस चौकी से सटे साईफन नाले में तेंदुए की गुर्राहट से पुलिस कर्मियों व आसपास बसे लोगों में दहशत पसरी रही। अल-सुबह पुलिस कर्मियों ने वनकर्मियों को सूचना दी। मौके पर पहुंची वन टीम ने पदचिन्हों और गुर्राहट से तेंदुआ होने की पुष्टि की। टीम उच्चाधिकारियों को सूचित कर तेंदुए को पकड़ने की जुगत में लग गई, लेकिन नाले में झुंड-झाड़ होने के कारण शाम तक सफलता नही मिली। डीएफओ ने तेंदुए की निगरानी के लिए तीन टीमें लगा दी हैं।

रविवार देर शाम साईफन चौकी पर तैनात हेडकांस्टेबल तेजवीर सिंह रोजाना की तरह नहर पटरी पर पैदल टहल रहे थे। तभी रेत के टीले पर बैठा तेंदुआ उन्हें देख जोर से गुर्राया। तेजवीर सिंह दौड़कर चौकी में घुस गए। बताया कि उसके बाद चौकी इंचार्ज रोबिन, हेडकांस्टेबल ब्रजेश समेत तीनों पुलिसकर्मियों और पास में बसे वीरोत्तम अहेरिया उर्फ वीरे व अन्य दो परिवारों ने तेंदुए की गुर्राहट खूब सुनी। तेजवीर ने बताया कि खौफनाक गुर्राहट सुन हमले के भय से न तो पुलिस कर्मी रातभर सोए और न ही अहेरिया परिवार। सोमवार अल-सुबह तेजवीर ने वन विभाग को सूचना दी, जिस पर वन दारोगा आकाश कुमार, अमित भंडारी, फोरेस्टर देवेंद्र गंगवार को लेकर घटनास्थल पर पहुंचे और पदचिह्न व गुर्राहट से तेंदुआ होने की पुष्टि की।

टीम उच्चाधिकारियों को अवगत कराते हुए साईफन के झाड़ों में छुपकर गुर्रा रहे तेंदुए को पकड़ने की जुगत में लग गई। इस बीच रेंजर हरज्ञान सिंह, रविकांत एसडीओ अंशु चावला मौके पर पहुंचे और तेंदुए का सटीक पाइंट देखने के लिए ड्रोन कैमरा चलवाया, लेकिन तेंदुए नही दिखा। रेंजर ने वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट कमलेश कुमार, डीके ढाका और पशु चिकित्साधिकारी परीक्षितगढ़ कपिल त्यागी को पिंजरा, जाल तमाम उपकरणों सहित घटनास्थल पर बुलवाकर रेस्क्यू शुरू किया, लेकिन नाले में झूंड-झाड़ होने के कारण सफलता नहीं मिली।

तीन टीम करेंगी निगरानी

दिनभर गुर्राने के बावजूद तेंदुआ हाथ न आने पर डीएफओ राजेश कुमार ने तीन टीमें निगरानी के लिए लगा दी हैं।

बेबस दिखी संसाधनों से लैस टीम

तेंदुए को पकड़ने की जुगत में लगी वनकर्मियों की टीमें संसाधनों से लैस थीं। जाल, पिंजरा, जेसीबी, चिकित्सक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे। लेकिन नाले के घने झुंड-झाड़ और दलदल के आगे सब बेबस दिखे।

अफसरों के अपने कयास

वन रेंजर का कहना है कि इस तेंदुए का पकड़ा जाना बहुत जरूरी है क्योंकि चोटिल होने के कारण ये भूख में आक्रमक भी हो सकता है। अधिक चोट के कारण तेंदुए की जान भी जा सकती है। मंगलवार को रेस्क्यू को लेकर पुन: चिंतन किया जाएगा।

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