नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। आज गुरुवार को गुरु प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है। गुरु प्रदोष व्रत विशेष रूप से गुरुवार को पड़ने पर इसे गुरु प्रदोष व्रत कहते हैं। यह व्रत हर महीने दो बार मनाया जाता है, एक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि और एक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को। इस व्रत में मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत का उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना और जीवन के विभिन्न कष्टों से मुक्ति प्राप्त करना है।
इस व्रत को करने वाली महिलाओं के जीवन में कभी किसी प्रकार की कमी नहीं रहती। साथ ही अविवाहित कन्याओं की विवाह संबंधी बाधाएं भी दूर हो जाती हैं। इस बार अप्रैल का महीना शिवभक्तों के लिए बेहद खास और विशेष है। तो आइए जानते है प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में…
शुभ मुहूर्त
बता दें कि इस बार त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 9 अप्रैल की रात 10:55 बजे से हो रही है और यह 11 अप्रैल की रात 1:00 बजे तक जारी रहेगी। लेकिन व्रत का निर्धारण उदया तिथि के अनुसार होता है, इसलिए यह पुण्य व्रत 10 अप्रैल को ही रखा जाएगा। यानी की इस बार प्रदोष का व्रत 10 अप्रैल को ही किया जाएगा।
इस बार प्रदोष काल शाम 6:44 बजे से रात 8:59 बजे तक रहेगा। यही वह समय है जब शिव शंकर अपने भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें कृपा का आशीर्वाद देते हैं। ऐसे में आप पूजन सामग्री की पहले से ही तैयारी कर लें और सही विधि अनुसार ही पूजा करें।
गुरु प्रदोष व्रत क्या है?
जब प्रदोष व्रत गुरुवार को पड़ता है तो उसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह दिन गुरु बृहस्पति और भगवान शिव दोनों की कृपा पाने का द्वार खोलता है। धर्मग्रंथों के अनुसार, इस दिन विधि पूर्वक उपवास, ध्यान और शिवपूजन करने से जीवन के दोष समाप्त होते हैं और शुभता का भी वास होता है।
पूजा विधि
गुरु प्रदोष व्रत में शिवलिंग पर जल, दूध या पंचामृत से अभिषेक करना, बेलपत्र, धतूरा और सफेद फूल अर्पित करना विशेष फलदायक माना गया है। साथ ही, प्रदोष व्रत कथा का श्रवण कर व्रत को पूर्ण किया जाता है। माना जाता है कि यह व्रत हर प्रकार की बाधा और संकट से रक्षा करता है। तो इस 10 अप्रैल को महादेव को प्रसन्न करने के लिए पूरे विधि विधान से ही पूजा करें।