गीतकरा नीरज, कुंअर बेचैन और पूर्व कमिश्नर आर पी शुक्ल के भी हाइकु हैं शामिल
जनवाणी संवाददाता |
सहारनपुर: देश-विदेश के ख्याति प्राप्त हाइकुकारों के हाइकु संग्रह ‘हिंदी हाइकु कोश’ में सहारनपुर के साहित्यकार डॉ.वीरेन्द्र आज़म के भी हाइकु शामिल किये गए है। दिल्ली से प्रकाशित 728 पृष्ठों वाले हिंदी हाइकु कोश का संपादन हाइकु आंदोलन के चर्चित हस्ताक्षर डॉ.जगदीश व्योम ने किया है।
‘हाइकु’ जापानी पद्धति की तीन पंक्तियों की एक लघु हिंदी कविता है जो 5-7-5 के प्रारुप में लिखी जाती है। अर्थात कविता की पहली पंक्ति में पांच, दूसरी में सात और तीसरी में फिर पांच अक्षर होते हैं। देश के जाने माने हाइकुकार कमलेश भट्ट कमल ने कोश की भूमिका में हाइकु का पूरा इतिहास और भारत में उसके सफर पर विस्तार से लिखा है।
हाइकु कोश में ख्यात गीतकार गोपालदास नीरज, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के साहित्यकार डॉ.कमल किशोर गोयनका, गीतकार डॉ.कुंअर बेचैन, प्रसिद्ध ग़ज़लकार सूर्यभानु गुप्त, प्रख्यात कवि डॉ.बलदेव वंशी, दुबई की हाइकुकार पूर्णिमा बर्मन और सहारनपुर के पूर्व कमिश्नर रहे आर पी शुक्ल सहित अनेक साहित्यकारों के हाइकु शामिल है। आर पी शुक्ल द्वारा सहारनपुर के दस हाइकुकारों के संकलन ‘इंद्रधनुष’ और हाइकु को विस्तार देने वाली पत्रिकाओं में डॉ. वीरेन्द्र आज़म द्वारा संपादित ‘शीतलवाणी’ का भी कोश में उल्लेख किया गया है।
‘हिंदी हाइकु कोश’ में वीरेन्द्र आज़म के ग्यारह हाइकु शामिल किये गए है। कोश में शामिल उनके कुछ हाइकु की बानगी देखिए-‘दुलारता है/मां का चश्मा-चरखा/मां के बाद भी’। पॉलिथीन पर उनकी चिंता उनके हाइकु में इस तरह है-‘ चाट रही है/धरा की हरियाली/ये पॉलिथीन’। सूखती नदियों पर समुद्र का दर्द इस हाइकु में देखिए-‘प्यास के लिए/समुद्र ढंूढे पानी/नदी-नदी में’। प्रदूषण पर चिंता इस हाइकु में हैं-‘हरा भरा था/मर गया शहर /धूल-धुएं से’। और सड़क पर मजदूरी के लिए भटकते मजदूर की व्यथा इस हाइकु में हैं- ‘तलाशता है/सड़क पर रोटी/छेनी हथौड़ा’।
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