नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन है। सनातन धर्म में होली से पहले होलाष्टक आठ दिनों के होते है। ऐसी मान्यता है कि इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य नही किए जाते है। इस वर्ष फाल्गुन होलाष्टक शुक्ल अष्टमी तिथि 27 फरवरी से शुरू हो रहे है। आमतौर पर होलाष्टक 8 दिनों का होता है, लेकिन इस बार 27 फरवरी से 7 मार्च तक 9 दिन पड़ रहे है। इसलिए होलाष्टक नौ दिन तक का होगा।
होलाष्टक 2023 प्रारंभ और समापन
हिंदू पंचाग के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि 27 फरवरी को दोपहर 12:58 से लेकर 28 फरवरी को 02:21 तक है। उदयातिथि के आधार पर 27 फरवरी को फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि से होलाष्टक प्रारंभ हो जाएगा।
फाल्गुन पूर्णिमा की तिथि 06 मार्च को शाम 04:17 से 07 मार्च को शाम 06:09 तक है। उदयातिथि की मान्यतानुसार, फाल्गुन पूर्णिमा 07 मार्च को होगी। ऐसे में फाल्गुन पूर्णिमा को होलाष्टक समाप्त हो जाएगा।
होलाष्टक में न करें यह कार्य
होलाष्टक के दौरान सभी शुभ और मांगलिक कार्य जैसे सगाई, शादी, मुंडन, जनेऊ संस्कार और गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए। होलाष्टक के दौरान सोने-चांदी के आभूषणों की खरीदारी करना भी वर्जित माना जाता है। इसके अलावा होलाष्टक पर किसी भी तरह का धार्मिक अनुष्ठान नहीं करना चाहिए।
होलाष्टक को इसलिए माना जाता है अशुभ
होली से पहले की 8 तिथियां यानि फाल्गुन शुक्ल अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को अशुभ माना जाता है क्योंकि इसमें भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए कइ्र प्रकार की यातनाएं दी गई थीं। दूसरा कारण यह भी मानते हैं कि शिव जी के क्रोध से कामदेव के भस्म होने पर उनकी पत्नी रति ने इन 8 तिथियों में पश्चाताप किया था।