एक व्यक्ति घने जंगल में अंधेरे से भागा जा रहा था कि एक कुंए में गिरने को हुआ। गिरते गिरते उसके हाथ में कुएं पर झुके वृक्ष की ड़ाल आ गई। वहां कुछ प्रकाश भी था। उसने नीचे झांका तो कुएं में चार विकराल अजगर मुंह फाड़े ऊपर ताक रहे थे। वे उसके गिरने का इंतजार ही कर रहे थे। उसनें आस पास देखा तो, जिस डाल को पकड़ वह लटक रहा था, दो चुहे, एक काला एक सफेद, उसी डाल को कुतर रहे थे। इतनें में एक विशाल हाथी कहीं से चला आया और अपनी सूंड से वृक्ष के तने को पकड़ कर हिलाने लगा।
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वह व्यक्ति डर से सिहर उठा। ठीक उपर की शाखा पर मधुमक्खी का छत्ता था, हाथी के हिलाने से मक्खियां उड़ने लगीं। छत्ते से शहद-बिंदु टपकने लगा। एक बिंदु टपककर उसकी नाक से होता हुआ होठों तक आ पहुंचा। उस व्यक्ति ने प्यास से सूख रही अपनी जीभ को होठों पर फेरा, एक छोटे से मधु बिंदु में अनंत आनन्द भरा मधुर स्वाद था। उसे लगा जैसे जीवन में मुझे इसी मिठास की तलाश थी, यही मेरा चीर-प्रतिक्षित उद्देश्य था। उसने मुंह ऊपर किया, कुछ क्षणों बाद फिर मधु-बूंद मुंह में टपकी। बेताबी से अगली बूंद का इंतजार करता।
और फिर रसास्वादन कर प्रसन्न हो उठता। आस पास खड़ी विपत्तियों को भूल चुका था। वह तो एक एक बूंद का स्वाद लेने में मस्त था। उसी जंगल से शिव-पार्वती अपने विमान से गुजर रहे थे। पार्वती नें उस मानव की दुखद स्थिति को देखा और शिव से उसे बचा लेने का अनुरोध किया। भगवान शिव ने विमान को उसके निकट ले जाते हुए हाथ बढाया और उस व्यक्ति को कहा-मैं तुम्हें बचाना चाहता हूं, आओ मैं तुम्हें तुम्हारे इच्छित स्थान पर छोड दूंगा। उस व्यक्ति ने कहा- ठहरिए भगवन एक शहद बूंद चाट लूं तो चलूं। एक बूंद फिर एक बूंद…अगली बूंद के लिए उसकी प्रतिक्षा प्रबल हो जाती। उसके आने की प्रतिक्षा में थक कर आखिर, भगवान शिव ने विमान आगे बढ़ा दिया।