- मेरठ विकास प्राधिकरण ने खानापूर्ति के लिए लगाई सील
- आवासीय में कैसे बन गई व्यवसायिक इमारत
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: साकेत स्थित एलआईसी के पास एक भाजपा नेता की हॉस्पिटल की पांच मंजिला इमारत कैसे बन गई। इसका व्यवसायिक मानचित्र प्राधिकरण से स्वीकृत ही नहीं हैं। आवासीय में मानचित्र स्वीकृत कराया और निर्माण हॉस्पिटल का कर दिया। पहले एक मंजिल बना, अब पांच मंजिल तक निर्माण पहुंच गया हैं। इसके बाद ही प्राधिकरण को होश आया और खानापूर्ति की सील लगा दी।
प्राधिकरण उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय जीरो टोलरेंस की बात करते हैं, लेकिन ये पांच मंजिली इमारत इंजीनियरों ने कैसे बनने दी? ये बड़ा सवाल हैं। अब इंजीनियरों ने बिल्डिंग मालिक को ज्ञान दिया है कि बिल्डिंग का शमन मानचित्र दाखिल कर दो। जब साकेत कॉलोनी आवासीय है तो वहां पर व्यवसायिक बिल्डिंग कैसे बन सकती हैं। इसको लेकर भी साकेत वेलफेयर सोसायटी ने भी बिल्डिंग के व्यवसायीकरण पर आपत्ति जतायी हैं।
भाजपा नेता अतुल सिंह का साकेत में मकान हुआ करता था। यहां पर जो जगह खाली पड़ी थी, उसका आवासीय मानचित्र स्वीकृत कराया गया तथा बिल्डिंग का निर्माण आरंभ कर दिया। निर्माण जब पांच मंजिल तक पहुंचा तो इसका भेद खुला कि बिल्डिंग आवासीय नहीं, बल्कि व्यवसायिक बन रही हैं। इसमें हॉस्पिटल का प्लान किया गया हैं। इसकी शिकायत प्राधिकरण उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय के पास पहुंची, जिसके बाद ही इंजीनियरों की टीम ने आनन-फानन में बिल्डिंग पर सील लगा दी।
एक तरह से ये खानापूर्ति की सील हैं। जब पूरी बिल्डिंग अवैध हैं, तो फिर इस बिल्डिंग को गिराने की प्रक्रिया प्राधिकरण इंजीनियर क्यों नहीं कर रहे हैं? आखिर इसमें किसकी जवाबदेही हैं। इंजीनियरों ने बिल्डिंग कैसे बनने दी? ये जोन-डी क्षेत्र में आता हैं। इसी जोन के जोनल अर्पित यादव थे और वर्तमान में भी अर्पित यादव चार जोन के जोनल हैं। उनकी भी इसमें जवाबदेही बनती हैं। उनके कार्यकाल में कैसे आवासीय मानचित्र पर व्यवसायिक बिल्डिंग का निर्माण कर दिया गया।
बिल्डिंग छोटी होती तो भी देखा जा सकता था, लेकिन यहां तो बिल्डिंग पांच मंजिला बन गई हैं। इस क्षेत्र में जिन इंजीनियरों की तैनाती रही हैं, उनके खिलाफ क्या प्राधिकरण उपाध्यक्ष कार्रवाई करेंगे? जिस तरह से प्राधिकरण उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय ने प्राधिकरण को जीरो टोलरेंस पर लाने का दावा किया हैं, उस हिसाब से तो इंजीनियरों पर कार्रवाई की गाज गिरनी चाहिए, लेकिन गाज नहीं गिरी।
कहीं ऐसा तो नहीं है कि भाजपा नेता के दबाव के चलते इस पर कार्रवाई नहीं की जा रही हैं। ऐसी भी चर्चा आम है कि निर्माण के पीछे एक गुजरात कैडर के आईएएस अफसर का हाथ हैं। आईएएस अफसर के चलते इस बिल्डिंग को अभयदान दिया जा रहा हैं, जिसके चलते कोई कार्रवाई इस पर नहीं की जा रही हैं। दरअसल, साकेत शहर के बीच में है। यूनिवर्सिटी रोड पर ये निर्माण सड़क से ही देखा जा सकता हैं।
इतना बड़ा निर्माण शायद ही पूरे शहर में किसी का चल रहा हो। ये निर्माण लंबे समय तक इंजीनियरों को क्यों नहीं दिखा। क्या इंजीनियरों पर भ्रष्टाचार का पर्दा पड़ा हुआ था। जब अब पता चल गया है,उसके बाद भी कार्रवाई से क्यों बचा जा रहा हैं? अभी तब इस निर्माण के ध्वस्तीकरण के आदेश भी प्राधिकरण ने आॅन रिकॉर्ड नहीं किये हैं, जो भी चल रहा है,वह सब मौखिक चल रहा हैं। सील आवश्य कागजों में भी लगाई और मौके पर भी। ये कार्रवाई पिलर भरते ही लग जाती तो ये बिल्डिंग पांच मंजिल तक नहीं बन पाती।
तीन दिन का अल्टीमेट, फिर ग्रीन वर्ज में चलेगा ध्वस्तीकरण
एनएच-58 पर सोमवार को मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) ने अवैध निर्माणों के खिलाफ अलाउंसमेंट कराया। इसके बावजूद निर्माण चलते रहे। कई स्थानों पर हाइवे पर लिंटर डाले गए। ये दुस्साहस हैं, फिर भी प्राधिकरण के इंजीनियर अलाउंसमेंट करते हुए दिखे। हाइवे पर ग्रीन वर्ज में बने ढाबे और रेस्टोरेंट पर कट का निशान लगाये गए। तीन दिन का समय रेस्टोरेंट और ढाबा संचालकों को दिया गया हैं। इसके बाद ग्रीन वर्ज में बड़ा ध्वस्तीकरण अभियान चलेगा।
अलाउसमेंट के बाद तो अवैध निर्माणकर्ताओं में खलबली मच गई। क्योंकि अब तक जो सेटिंग का खेल होता था, वो खेल खत्म होता दिखा रहा हैं। सेटिंग करके ही यहां पर अवैध निर्माण दर निर्माण चल रहे थे। तमाम होटल, ढाबे बनकर तैयार हो गये। इन पर किसी ने कार्रवाई नहीं की। इसको लेकर प्राधिकरण उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय ने ग्रीन वर्ज का परतापुर से लेकर मोदीपुरम तक सर्वे किया। खुद दौरा कर अवैध निर्माणों को देखा, जिसके बाद ही इंजीनियरों की मीटिंग बुलाकर कहा गया कि हाइवे पर ग्रीन वर्ज में जितने भी निर्माण हुए हैं, उनकी सूची तैयार कर ध्वस्तीकरण किया जाए।
प्राधिकरण उपाध्यक्ष के निर्देश पर सोमवार को इंजीनियरों की टीम हाइवे पर पहुंची। सुखदेव ढाबा, जैन शिकंजी, चौटीवाला ढाबा, गर्म-धर्म, ऐरा गार्डन के बराबर में निर्माणाधीन रेस्टोरेंट, रोहटा बाइपास सर्विस रोड पर एंटी करने से पहले ही निर्माणधीन दो बड़े निर्माणों पर कार्रवाई की। यहां पर अलाउंसमेंट किया और निर्माण पर कट का निशान लगाया गया। तीन दिन के भीतर निर्माण को खाली करने और इसके बाद ध्वस्तीकरण करने के लिए कहा गया।
इस अलाउंसमेंट के बाद अवैध निर्माणकर्ताओं में हड़कंप मच गया। इंजीनियरों की टीम लगातार हाइवे पर रही तथा जिन निर्माणों का ध्वस्तीकरण किया जाएगा, उन पर कट के निशान लगाये गए। प्राधिकरण की टीम ने जिस तरह से अलाउसमेंट किया हैं, उसमें तीन दिन का समय अवैध निर्माण कर्ता को दिया गया हैं, जिसके बाद ध्वस्तीकरण करने की बात कही हैं।
हाइवे पर अवैध निर्माणों की बाढ़, मेडा मौन
सुभारती की तरफ से जैसे ही बागपत बाइपास की सर्विस रोड आरंभ होती हैं, तभी एक निर्माण चालू कर दिया गया। पिलर भर दिये गए। दीवार भी खड़ी कर दी गई। इसमें भी तेजी से तीन दिन से अवैध निर्माण चल रहा हैं। ये निर्माण भी ग्रीन वर्ज में आता हैं, लेकिन इसको अभी तक रोका नहीं गया हैं। इस निर्माण पर सील की कार्रवाई भी प्राधिकरण की तरफ से नहीं हुई हैं।
इस निर्माण को रात-दिन किया जा रहा हैं। पूरा निर्माण ग्रीन वर्ज में हैं,लेकिन प्राधिकरण इंजीनियरों ने फिलहाल इसमें कार्रवाई नहीं की हैं। देखा जाए तो हाइवे पर कई स्थानों पर ध्वस्तीकरण का अलाउंसमेंट हुआ हैं, लेकिन यहां कार्रवाई नहीं हुई। इस निर्माण के बराबर में अवैध होटल बन गया है। इसका भी कोई मानचित्र स्वीकृत नहीं है। इसी के बारबर में फिर निर्माण किया जा रहा हैं।