- सफाईकर्मी को आया हार्ट अटैक, ईव्ज चौपले पर पांच घंटे तक जाम, नगरायुक्त के खिलाफ नारेबाजी
- शहर में दिन भर रहा भीषण जाम, सफाई व्यवस्था ठप
- सपा नेता अतुल प्रधान ने नौकरी से बहाली का मुद्दा उठाया
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर आयुक्त की सख्ती से जब डयूटी से अनुपस्थित महिला सफाईकर्मचारी को निकाला गया तो महिला को मंगलवार की सुबह दिल का दौरा पड़ गया। इसको लेकर महिला कर्मचारी के परिवार में कोहराम मच गया। आनन-फानन में सैकड़ों की तादाद में सफाई कर्मचारियों ने ईव्ज चौपले पर बैरिकेडिंग लगाकर रास्ता जाम कर दिया। पांच घंटे से अधिक समय तक रास्ता जाम कर नगरायुक्त को मौके पर बुलाने की मांग पर अड़े सफाई लोगों ने नगरायुक्त के खिलाफ नारेबाजी की। बाद में कर्मचारी समझौते के बाद जाम खोलने को राजी हो गए।
शहर में वार्ड-47 में आउटसोर्सिंग महिला सफाईकर्मी निशा समेत 12 आउटसोर्सिंग सफाईकर्मियों को 18 दिसम्बर को अपने ड्यूटी क्षेत्र से अनुपस्थित रहने पर नगर आयुक्त मनीष बंसल ने सेवा समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया था। इसके बाद महिला सफाई कर्मचारी की तबीयत बिगड़ गई थी।
मंगलवार की सुबह निशा को दिल का दौरा पड़ गया तो परिजनों में आक्रोश फैल गया। ईव्ज चौपले के सामने रहने वाले सैकड़ों वाल्मीकियों ने सड़क पर आकर हंगामा शुरु कर दिया और बैरिकेडिंग लगाकर ट्रैफिक रोक दिया। इस दौरान ईव्ज चौराहे पर चक्काजाम के दौरान सफाई कर्मचारी नेता कैलाश चंदोला, विनेश विद्यार्थी समेत बड़ी संख्या में पहुंच गए और ऐलान कर दिया कि जब तक बर्खास्त किये गए सफाई कर्मचारियों को बहाल नहीं किया जाएगा तब तक धरना समाप्त नहीं होगा।
ईव्ज चौपले पर दो हजार से अधिक सफाई कर्मचारी और उनके परिजन मौजूद थे। महिलाएं अपने हाथों में झाडू लेकर प्रदर्शन कर रही थी। सबसे पहले सिटी मजिस्ट्रेट सतेन्द्र कुमार सिंह मौके पर आए और कर्मचारी नेताओं से नगरायुक्त से वार्ता करने को कहा, लेकिन सफाई कर्मचारियों ने उनकी एक न सुनी। मौजूद सफाई कर्मचारियों का आरोप है कि नगर आयुक्त की कार्रवाई से महिला सफाई कर्मचारी को झटका लगा।
इससे मंगलवार की सुबह छह बजे उसे हार्टअटैक आ गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। सफाई नेताओं की अगुवाई में शहर में सफाई ठप कर दी गई है। सफाई नेताओं की मांग है कि सभी आउटसोर्सिंग सफाई कर्मचारियों की सेवा समाप्ति की कार्रवाई वापस ली जाए।
सफाई कर्मचारियों ने स्पष्ट कह दिया है कि जब तक नगर आयुक्त मौके पर आकर उनकी मांगें मान नहीं लेते तब तक वह चौराहे से नहीं हटेंगे। वहीं इस दौरान धरने पर बैठे लोगों ने एक सुपरवाइजर को दौड़ा दौड़ाकर सड़क पर ही पीट दिया।
इसको लेकर एकबार तनाव की स्थिति पैदा हो गई और आंदोलनकारी दो गुटों में बंटने को तैयार हो गए। आंदोलन में शामिल होने के लिये सपा नेता अतुल प्रधान और विपिन मनोठिया भी शामिल हुए और पीड़ित परिवार को आश्वासन दिया कि बर्खास्त महिला कर्मचारी को हर हाल में बहाल करवाया जाएगा।
होर्डिंग फाड़े
प्रदर्शनकारियों ने ईव्ज चौपले पर लगे होर्डिंग और फ्लैक्स उखाड़ कर रास्ता अवरुद्ध कर दिया था। जब घंटों बवाल का समाधान नहीं निकला तो लोग फ्लैक्स फाड़कर निकलने लगे और इसको लेकर बवाल भी हुआ।
पूरे शहर में जाम की स्थिति
ईव्ज चौपले पर भीषण जाम और हंगामे के कारण एसपी ट्रैफिक ने यातायात व्यवस्था में बदलाव कर दिया था। हापुड़ अड्डे से ट्रैफिक को ईव्ज चौपले की तरफ नहीं दिया जा रहा था। इस कारण इंदिरा चौक, बुढ़ानागेट, मेघदूत चौपला, कचहरी पुल, हापुड़ अड्डा, खैरनगर, ब्रह्मपुरी चौपले पर घंटो जाम की स्थिति बनी रही। हालात इस कदर बिगड़ गए थे कि जिस संपर्क मार्ग से लोगों ने निकलने की कोशिश की वहां जाम के कारण लोग परेशान रहे। जाम की हालत इस कदर थी जाम को खुलवाने के लिये पुलिस फोर्स मूकदर्शक बनी खड़ी हुई थी।
अहमद नगर रोड पर इस कारण लगे जाम ने लोगों का पसीना निकलवा दिया। करीब पौन घंटे तक लोग जाम में फंसे रहे जबकि बेगमपुल साइड में शाम चार बजे तक सड़कें पूरी तरह खाली रही। यही कारण रहा कि बेगमपुल पर ट्रेफिक पुलिस का स्टाफ खाली बैठकर मोबाइल पर टाइम पास करता रहा।
लॉकडाउन में जान जोखिम में डालकर निकलते थे सफाई कर्मी
नगरायुक्त मनीष बंसल की सख्ती के चलते सफाई कर्मियों को हार्टअटैक हो रहा है, मगर सवाल यह है कि ये वहीं सफाई कर्मी है, जो लॉकडाउन के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर शहर की सफाई कर रहे थे। किसी भी विभाग का कर्मचारी घर से बाहर नहीं निकल रहा था, लेकिन ये सफाई कर्मी अपने परिवार को छोड़कर शहर की सफाई करने में जुटे थे।
सख्ती करने से कोई मना नहीं करता, मगर सख्ती भी तरीके से की जानी चाहिए। सफाई कर्मियों को बर्खास्त करके उनकी रोजी-रोटी छीन लेना गलत है। जिन सफाई कर्मियों ने जिंदगी दांव पर लगाते हुए कोरोना कॉल में नौ माह तक शहर की सफाई में जुटे रहें, ये वही सफाई कर्मी है, तब भी घरों में रह सकते थे, लेकिन सड़कों पर सफाई करने निकले थे।
इनके पास नहीं कोई पीपीई किट थी, नहीं कोई सुरक्षा के प्रबंध, फिर भी शहर की सफाई करने के लिए शहर भर में निकले। ड्यूटी में कोई लापरवाही कर रहा है तो नगरायुक्त मनीष बंसल को चाहिए कि चाबुक तो चलाये, मगर संभलकर सफाई कर्मी को बर्खास्त कर रोजगार छीनने का काम नहीं करें।
महिलाओं को दी जाए राहत
पार्षद गफ्फार ने कहा कि महिला सफाई कर्मियों को ड्यूटी समय में राहत मिलनी चाहिए। साथ ही कहा कि नगरायुक्त मनीष बंसल ने सफाई के सवाल पर सख्ती ठीक की हैं, क्योंकि वार्ड़ों में सफाई को लेकर भेदभाव किया जा रहा था।
ये हुआ समझौता
नगरायुक्त व सफाई कर्मचारी नेताओं के बीच वार्ता हुई, जिसमें नगरायुक्त ने मोबाइल फोन कैसा भी हो, आवश्यक कुछ नहीं है। सिर्फ सूचना का आदान-प्रदान होना चाहिए। इस पर सहमत हो गए। नये मोबाइल खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
बर्खास्त कर्मियों को नोटिस भेजा गया है, जवाब आने के बाद उन्हें राहत दी जाएगी। अन्य बिन्दुओं को लेकर भी सहमति बन गई। नगर आयुक्त की वार्ता में प्रमुख नेता टीसी मनोठिया पार्षद, रमेश चंद्र गेहरा, राजू धवन, कैलाश चंदोला, विनेश विद्यार्थी, चौधरी सुंदरलाल भुरंडा, विनोद चंदोला, सुरेंद्र ढिगीया, दीपक मनोठिया, विनेश मनोठिया, मोनिंदर सूद, आदि मौजूद रहे।