- हाईकोर्ट में खुद को 6041 का भू-स्वामी बताते हुए धर्मपाल द्वारा हाईकोर्ट में डाली गई रिट
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शास्त्रीनगर नई सड़क स्थित विवादित भूमि खसरा संख्या-6041 पर पंडित दीनदयाल नगर विकास मंत्रालय द्वारा 42 करोड़ रुपये की लागत से निगम द्वारा नए कार्यालय का निर्माण कराया जा रहा है। इस विवादित भूमि का मामला हाईकोर्ट में भी विचाराधीन हैं। शनिवार को आवास विकास परिषद की टीम पुलिस बल के साथ निर्माण स्थल पर पहुंची ओर निर्माण कार्य को रूकवा दिया। टीम मौके पर पहुंची
ओर विवादित भूमि पर किस आदेश से निर्माण कराया जा रहा है, उसकी जानकारी की। जिसमें निर्माण कार्य करा रहे अधिकारी संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। जिसके बाद टीम ने पुलिस बल द्वारा निर्माण कार्य रुकवा दिया। जिसके बाद निर्माण कार्य रुकते ही लखनऊ तक फोन घनघना उठे। फिलहाल निगम के नए भवन का निर्माण कार्य अधर में लटक जाने पर तमाम तरह की चर्चाओं का बाजार भी गर्म हो गया है। इस विवादित भूमि के अब तीन दावेदार हो गए हैं।
नगर निगम क्षेत्र में नई सड़क के निकट खसरा संख्या-6041 की जो भूमि हैं, उस पर नगर निगम अपना हक जता रहा है। जबकि धर्मपाल सिंह के द्वारा उक्त भूमि को अपने स्वामित्व की बता रहा है। वहीं, दूसरी ओर आवास विकास परिषद इस भूमि पर अपना हक जता रहा है। यह मामला जिले से लेकर लखनऊ तक के अधिकारियों के संज्ञान में भी है। जिसमें यह मामला निगम व आवास विकास परिषद के बीच कोर्ट में भी चला।
उधर हाल ही में धर्मपाल के द्वारा हाईकोर्ट में भी निर्माण के बाद रिट डाल दी गई है। रिट डलने के बाद नगरायुक्त डा. अमितपाल शर्मा के द्वारा मौके पर पहुंचकर निर्माण करा रहे निर्माण विभाग के अधिकारियों को दो शिफ्टो में निर्माण कार्य जारी रखने के आदेश दिए। उधर इस भूमि पर निर्माण शुरू करने के बाद आवास विकास परिषद द्वारा भी 16 अक्टूबर को पत्र जारी कर नगरायुक्त से जवाब मांगा, लेकिन उनकी तरफ से पत्र का जवाब नहीं दिया गया।
जिसके बाद शनिवार को आवास विकास परिषद के अधिकारी पुलिस फोर्स के साथ निर्माण स्थल पर पहुंचे ओर निर्माण कार्य को रुकवाने के लिए कहा तो निगम के अधिकारियों में हडकंप मच गया। इस दौरान नगर निगम की तरफ से भी प्रवर्तन दल की टीम वहां पर जा पहुंची ओर उधर आवास विकास परिषद की टीम के साथ भी पुलिस फोर्स मौजूद था। मौके पर तनाव पूर्ण स्थिति बन गई, उधर तीसरे पक्ष से धर्मपाल पक्ष के लोग भी वहां जा पहुंचे।
जिसके बाद आवास विकास परिषद की टीम एक सप्ताह के भीतर खसरा संख्या-6041 से संबंधित दास्तावेजो साक्ष्यों से अवगत कराए कि वह किस आधार पर नगर निगम अपना हक इस भूमि पर जता रही है। तब तक निर्माण पर रोक लगाते हुए टीम वहां से लोट गई। इस मामले में अपर नगरायुक्त शरद कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि एक सप्ताह का समय आवास विकास परिषद से मांगा गया है। एक सप्ताह में संपूर्ण साक्ष्यों के आधार पर आवास विकास परिषद को अवगत कराया जायेगा,तब तक निर्माण कार्य बंद करा दिया गया है।
क्या है पूरा मामला
वर्ष 1977 में उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद की शास्त्री नगर आवासीय योजना संख्या 7 के लिए अधिग्रहित की गई लगभग 225 से अधिक भूखसरों की भूमि के मध्य आवासीय कॉलोनी के क्षेत्र में नगर निगम मेरठ द्वारा खसरा संख्या 6041 पर आवास विकास परिषद से अनुज्ञा प्राप्त किए बिना नवीन नगर निगम कार्यालय परिसर का अवैध निर्माण कराए जाने के विषय में महामहिम राज्यपाल उत्तर प्रदेश के दरबार तक भी जा पहुंचा। परिषद की योजना संख्या 7, शास्त्रीनगर, मेरठ में समाविष्ट कस्बा मेरठ के खसरा संख्या 6041 की भूमि के सम्बन्ध में।
इस संबंध में आवास विकास एवं कमिश्नर के साथ निगम के अधिकारी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मीटिंग आहूत की गयी। उक्त भूमि के स्वामित्व के सम्बन्ध में एक रिट याचिका संख्या 44695, 1998 जेपी माथुर बनाम नगर निगम, उच्च न्यायालय में विचाराधीन थी। जिसमें परिषद को पक्षकार नहीं बनाया गया था। उक्त याचिका उच्च न्यायालय द्वारा 9 नवंबर 2009 को निस्तारित कर दी गयी। तत्कालीन डीएम संजय अग्रवाल द्वारा लिया गया निर्णय दिनांक 16 दिसंबर 1998 जिस द्वारा धारा-38 का लाभ आवास विकास को दिया गया।
पूर्व में जब भूमि पर नगर निगम द्वारा बाउन्ड्रीवाल का निर्माण प्रारम्भ किये जाने पर परिषद द्वारा रिट संख्या 30482, 2012 परिषद बनाम नगर निगम आदि उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में योजित कर स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया गया था। जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा इस सुझाव के साथ खारिज कर दी गयी कि याचिकाकर्ता द्वारा परिषद अधिनियम की धारा-38 (5) के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश सरकार से एप्रोच करते हुए समाधान प्राप्त किया जा सकता है।