अमरूद के रोग और उनके उपाय
किसान और पौधे दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। किसान जो भी फसल उगता है वो पौधे के रूप में ही होती है। इसमें फर्क सिर्फ इतना है की कुछ पौधे हमारी खाद्यान्य जरूरतें पूरी करते हैं और कुछ हमारी औषधीय जरूरतों को पूरा करते हैं। पौधे किसान क्या हर जीव के लिए बहुत आवश्यक हैं। पेड़ों से हमें आॅक्सीजन मिलती है तथा इनसे हमें फर्नीचर और जलाने के लिए लकड़ी मिलती है। किसान को इनसे इनकम होती है जो की कम से कम जमीन में ज्यादा से ज्यादा आमदनी होती है। ये किसान और मिट्टी के ऊपर निर्भर करता है की कौन से फल या किस्म के पौधे को हमारी जमीन अच्छे से पकड़ती है। जिनमे अमरूद, आम, कैला , जामुन, शीशम , पीपल , महोगनी , सहजन , नीम , नीबू ,काकरोंदा, अनार , चन्दन इत्यादि।
अमरूद के लिए मिट्टी
अमरूद के लिए दोमट एवं बलुई मिट्टी ज्यादा अच्छी रहती है लेकिन इसको किसी भी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है। इसके पौधे को उगठा रोग से बचाने के लिए 6 से 7।5 ढऌ मान की मिट्टी उपयुक्त होती है। इससे ज्यादा पीएच मान होने से उगठा रोग की संभावना बनी रहती है।
अमरूद की खेती के लिए मौसम
अमरूद को गर्म और ठंडे दोनों मौसम में उगाया जा सकता है। ये 50 डिग्री तक का तापमान भी झेल लेता है और ठंड को भी बर्दास्त कर लेता है। वैसे इसके लिए शुष्क मौसम भी अनुकूल होता है। सर्दियों में फल की क्वालिटी भी बहुत अच्छी होती है गर्मी के फल की अपेक्षा।
अमरूद की उन्नत किस्में
सामान्यत: अमरुद की 5-6 किस्में आती है, इनमे प्रमुख रूप से इलाहाबादी-सफेदा , एप्पल कलर, चित्तीदार, सरदार , ललित एवं अर्का-मृदुला, भारत में अमरूद की प्रसिद्ध किस्में इलाहाबादी सफेदा, लाल गूदेवाला, चित्तीदार, करेला, बेदाना तथा अमरूद सेब हैं।
उगाने का तरीका:
अमरूद को पौधे लगा के उगाया जाता है इसकी भटकलम विधि से भी अच्छी पौध तैयार की जाती है। कलम के द्वारा तैयार किये हुए पौधे को एक तरह की पॉलीथिन( अल्काथीन) से कलम वाली जगह पर कवर कर दिया जाता है। और जब कलम फूटने लगाती है तो ऊपर का भाग अलग कर दिया जाता है तथा उस कपोल को विक्सित होने देते है। कलम की विधि जून और जुलाई महीने में की जाती है खास बात यह है की इस महीने की 70 से 80 प्रतिशत कलम सफल होती हैं।
पौधे लगाने का समय
सामान्यत: किसी भी पौधे को लगाने का सही समय मानसून में ही होता है इस समय पौधों के लिए मौसम अनुकूल होता है तथा पौधे अपनी जड़ें आराम से पकड़ लेते हैं इस लिए अमरूद के लिए भी जुलाई से अगस्त का समय मुफीद होता है। वैसे अगर सिचाईं की व्यवस्था हो तो आप इसको फरबरी से अप्रैल के बीच में भी लगा सकते है। वो समय भी भी पौधों के लिए मुफीद होता है।
पौधे मिलने की जगह
आजकल सरकार भी किसानों की आय बढ़ाने पर काफी जोर दे रही है। इसकी वजह से सरकार भी पौधे फ्री में दे रही है और नहीं तो आप किसी नर्सरी से भी ये पौधे ले सकते हैं।
पौधे लगाने की विधि
अगर आप बारिश के मौसम में पौधे लगा रहे हैं तो करीब 25 दिन पहले 2 बाई2 यानि 2 फुट लम्बा, 2 फुट चौड़ा और 2 फुट गहरा गड्ढा खोद के उसे कुछ दिन खुला छोड़ दें। कुछ दिन बाद उसमे गोबर की बनी खाद फास्फेट, पोटाश और मिथाइल मिला के गड्ढे को ऊपर तक भर दें और या तो सिंचाई कर दें या उस पर एक बारिश निकलने दें, जिससे खाद गड्ढे में रम जाए। उसके बाद पौधे लगा के फिर सिंचाई कर दें। गड्ढे से गड्ढे की दूरी 5 या 6 फुट की रखें इससे अमरूद के पेड़ को फैलने में कोई दिक्कत नहीं होगी। अमूमन बोला जाता है कि जिस पेड़ पर फल आते हैं वो झुका हुआ होता है अमरूद के लिए ये कहावत एकदम सटीक बैठती है। इसकी डालियों को नीचे कि तरफ बांध दिया जाता है जिससे कि इसमें में फूल और फल ज्यादा आता है। अमरूद के पौधों कि कटाई करके उन्हें छोटा रखा जाता है ताकि फल अच्छा आए।
अमरुद के रोग और उनके उपाय
अमरुद में सामान्यत: रोग ज्यादा नहीं होते लेकिन इस फल कि मिठास कि वजह से इसमें कीड़ा निकलने, उगठा रोग, और तनाभेदक रोग लगाने की संभावना रहती है। इसके लिए पौधे में नीचे चूना, जिप्सम व खाद मिला के लगाएं। तनाभेदक के लिए पेड़ के तने के छिद्र में मिट्टी का तेल डाल के गीली मिट्टी से बंद कर दें।