- गढ़ रोड और हापुड़ रोड पर लोगों की जान के साथ कर रहे खिलवाड़
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सुप्रीम कोर्ट संग शासन-प्रशासन के सख्त आदेश के बाद भी खटारा बसों, आटो और टेम्पो से स्कूली बच्चों को भूसे की तरह भरकर ढोया जा रहा है। धुआं उगलते, प्रदूषण बढ़ाते वाहन सड़कों पर फर्राटा दौड़ रहे हैं। इससे हर समय दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। यातायात नियमों व स्कूली वाहनों के लिए बने मानकों की अनदेखी की जा रही है पर कार्रवाई नहीं हो रही है। जिम्मेदार अधिकारी जांच कर कार्रवाई की जगह निर्देश देने तक सीमित होकर रह गए हैं।
बच्चों की सुरक्षा व संरक्षा के नाम पर अधिकाधिक शुल्क वसूल कर अभिभावकों की जेब खाली करने वाले स्कूलों के प्रबंधक व प्रधानाचार्य भी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर रहे हैं। किसी भी स्कूली बस पर यूनिफार्म में अटेंडेंट व चालक नहीं चल रहा है। हर वाहन में बच्चों को भूसे की तरह ठूस कर ढोया जा रहा है।
किसी भी वाहन में खिड़की पर जाली नहीं है। शहर में बिना फिटनेस के दौड़ रहे खटारा टेम्पो लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, लेकिन संभागीय परिवहन विभाग के अधिकारी आंखे मूंदे बैठे हैं। शायद उन्हें किसी बड़े हादसे का इंतजार है। मुजफ्फरनगर में हुए बस हादसे के बाद अधिकारियों ने यहां स्कूल बसों की जांच की तो आधे से ज्यादा बसों की फिटनेस ही नहीं मिली। ऐसे ही हालात यहां टेम्पो के हैं। टेम्पो की जांच की जाये तो मुश्किल ही कुछ टेम्पो शायद सही मिले।
खटारा टेम्पो का संचालन शहर में खुलेआम हो रहा है। मेरठ में गढ़ रोड और हापुड़ रोड की बात की जाये ता यहां चल रहे टेम्पो में हर दूसरे टेम्पो की फिटनेस खराब मिलेगी, लेकिन अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। हापुड़ रोड पर तो टेम्पो काफी बदतर हालत में चल रहे हैं, लेकिन विभाग की ओर से उनके खिलाफ अभियान नहीं चलाया जाता।
मंगलवार को सदर थाना क्षेत्र में हुए सड़क हादसे के बाद भी विभागीय अधिकारियों की आंखें नहीं खुली है। उनकी ओर से कोई अभियान नहीं चलाया जा रहा है। जबकि अगर स्कूलों की बात की जाये तो यहां सैकड़ों की संख्या में टेम्पो ऐसे हैं, जो स्कूलों से बच्चे लाने और ले जाने का कार्य करते हैं। उनकी जांच जरूरी है जो समय से होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
हादसों के बाद ही जागते हैं अधिकारी
परिवहन विभाग के अधिकारियों की बात की जाये तो अभी गत दिनों मुजफ्फरनगर में तो स्कूल बसों की टक्कर में कई बच्चों की मौत हो गई थी। जिसके बाद यहां मेरठ में भी दो दिन पूर्व अधिकारियों ने अभियान चलाकर स्कूल बसों की फिटनेस की जांच की। यहां आधे से ज्यादा बसों में फिटनेस सहीं नहीं मिले। जिसके चलते उनके चालान किये गये और स्कूल संचालकों ने उनकी फिटनेस कराने के लिये कहा गया।
इसी तरह से अधिकारियों को यहां टेम्पो की भी जांच करनी चाहिए। क्योंकि सैकड़ों की संख्या में यहां टेम्पो ऐसे हैं, जो स्कूलों में लगे हैं और स्कूलों से बच्चों को लाने ले जोन का कार्य करते हैं और उनकी हालत खस्ता हो चुकी है। विभाग को ऐसे टेम्पो का संचालन बंद करना चाहिए। जिससे बच्चों की जान को बचाया जा सके।