Friday, July 5, 2024
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सीखते हुए आगे बढ़ना चाहती हूं: अनन्या पांडे

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अनन्या पांडे की विजय देवरकोंडा के अपोजिट ‘लाइगर’ बॉक्स ऑफिस पर एकदमक फिसड्डी साबित हुई। ‘अर्जुन रेड्डी’ देखने के बाद से ही अनन्या चाहती थीं कि वह साउथ की सनसनी बन चुके विजय देवरकोंडा के साथ काम करें। ‘लाइगर’ की तान्या का किरदार अनन्या पांडे की रियल लाइफ के बिलकुल अपोजिट था। तान्या चुलबुली, केयरफ्री, बेहद बिंदास और अपने इमोशन्स व फीलिंग्स को खुलकर एक्सप्रेस करने वाली लड़की है, जबकि अनन्या ऐसी न होकर इसके उलट काफी संकोची हैं।

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इस किरदार के लिए अनन्या को काफी मेहनत करनी पड़ी थी। फिल्म ‘लाइगर’ में काम करते हुए, अनन्या की विजय के साथ काम करने की ख्वाहिश भले ही पूरी हो गई, लेकिन उन्होंने फिल्म से जिस कामयाबी की उम्मीद की, उस पर पूरी तरह पानी फिर गया। फिल्मों में आने के पहले एक फैशन स्टूडेंट रह चुकीं अनन्या पांडे को उनके फैशन सेंस के लिए जाना जाता है। इस प्रोफेशन में आने के बाद अनन्या एक फैशन स्टूडेंट होने का भरपूर फायदा उठा भी रही हैं। प्रस्तुत हैं अनन्या पांडे के साथ की गई बातचीत के मुख्य अंश:

एक फिल्मी परिवार से होने की वजह से फिल्मों के सेट पर ही आप बड़ी हुर्इं हैं। क्या इस वजह से आपने शुरू से ही एक्ट्रेस बनने के बारे में सोच रखा था?
-मैं शायद एक-दो बार ही डैड के साथ शूटिंग सेट पर गई होऊंगी। इस वजह से मुझे फिल्मों के बारे में ज्यादा आइडिया नहीं था, लेकिन जब मैं केवल 5-6 साल की थी, तभी से मैने तय कर लिया कि मुझे एक्ट्रेस ही बनना है। यह इच्छा मेरे मन में क्यों आई, इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकती।
चंकी पांडे की बेटी होने के नाते एक एक्ट्रेस बनना आपके लिए कितना आसान रहा?
-मुझे लगता है कि मेरे कैरियर का पहला ब्रेक मुझे सिर्फ इस क्वालिटी की वजह से मिला। उसके बाद का सफर तो मैने खुद ही तय किया है। जिस वक्त मैंने अपनी पहली फिल्म ‘स्टूडेंट आॅफ द ईयर 2’ साइन की, तब एक्टिंग तो छोड़िए, मुझे कैमरा एंगल, लाइटिंग या सैटअप के बारे में कुछ भी पता नहीं था। मुझे लगता था कि कोई भी सीन सिर्फ एक बार ही शूट होता होगा, लेकिन तब से अब तक हर चीज मैंने खुद ही सीखी है।
सोशल मीडिया पर अक्सर नेपोटिज्म को लेकर आपको ट्रोल किया जाता रहा है?
-नेपोटिज्म की बहस में पड़ने के बजाए मैं खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती रहती हूं। ट्रोल करने वालों पर मुझे गुस्सा नहीं आता, बल्कि वह मुझे मार्गदर्शक की तरह लगते हैं। इसलिए मैं उनके कमेंटस पर हमेशा ध्यान देती हूं, और उसके अनुसार लगातार खुद में सुधार करने की कोशिश करती हूं।
इसका मतलब आप स्व चलित न होकर लोगों के अनुसार चलने की कोशिश कर रही हैं?

-नहीं ऐसा नहीं है, बल्कि मुझे जिस तरह के फीडबैक मिलते हैं, उन सभी पर गौर करती हूं। सुनती सबकी हूं और जो ठीक लगता है उसे ऐप्लाई करती हूं।

‘गहराइयां’ (2022) में दीपिका पादुकोण के साथ काम करने का अनुभव किस तरह का रहा?

-दीपिका मेरी रोल मॉडल रही हैं। उन्होंने अपने कैरियर में हर तरह के किरदार चुने। मैंने उन्हें बहुत फालो किया है। उनके साथ काम करते हुए, उन्हें करीब से जानने का मुझे मौका मिला। वो बाहर से जितनी खूबसूरत हैं, उतनी ही अंदर से भी हैं। वो हर वक्त सेट पर सिर्फ दूसरे का ख्याल ही रखती हैं।

‘अर्जुन रेड्डी’ में विजय देवरकोंडा के साथ काम करते हुए आपने क्या कुछ नया सीखा ?
केवल विजय ही नहीं बल्कि मैं अब तक जिस किसी के साथ भी काम किया, उससे कुछ न कुछ सीखने की कोशिश की है। मेरी ग्रोथ भले ही दूसरे एक्टर्स की तरह न हो लेकिन मैं सीखते हुए ही आगे बढ़ना चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि आॅडियंस को अपनी वेराइटी से से एंटरटेन कर सकूं। इसके लिए हर वक्त मुझे कुछ न कुछ नया सीखते रहने की जरूरत महसूस होती रहती है।

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