- पैगम्बर पर विवादित बोल-खाड़ी देशों से आने वाली सालाना छह लाख करोड़ से अधिक की रकम पर लग सकता है ग्रहण
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा की जुबां क्या फिसली भारत पर आर्थिक संकट में फंसने की तलवार लटक गई। साथ ही भारत और दुनिया भर के कई मुस्लिम देशों के बीच एक प्रकार का धर्म युद्ध छिड़ने जैसी स्थिति पैदा होती दिखाई देने लगी। इन हालातों से भाजपा को भी दोहरा झटका लगा।
एक तो दुनिया भर के इस्लामी देशों में भारत की लोकतांत्रिक छवि को ठेस पहुंची दूसरा खुद भाजपा को डेमेज कंट्रोल का डर सताने लगा और यही वजह है कि इन दोेनों परिस्थितियों से बचने के लिए पार्टी हाईकमान ने तुरन्त एक्शन में आते हुए नुपुर शर्मा को हटाकर डेमेज हुई छवि को मैनेज करने की कोशिश की।
गौरतलब है कि गत 27 मई को एक टीवी डिबेट के दौरान भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा द्वारा पैगम्बर पर की गई टिप्पणी के बाद मामला इतना गर्माया कि अंतर्राष्ट्रीय पटल पर भारतीय लोकतंत्र ट्रेंड करने लगा। 57 मुस्लिम देशों के इस्लामिक सहयोग संगठन ‘ओआईसी’ से लेकर दुनिया भर के कई अन्य मुस्लिम देश और भारत के बीच असहज स्थिति पैदा हो गई।
कई मुस्लिम देशों ने भारतीय राजदूतों को बुलाकर अपनी आपत्तियां दर्ज करा दीं। इससे साफ है कि भारत में धार्मिक विवाद बढ़ने का असर इस्लामिक देशों के साथ आपसी रिश्तों पर पड़ सकता है और इससे यह भी साफ है कि यदि यह रिश्ते खराब हुए तो इसका सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
हंगामा है क्यूं बरपा?
दरअसल, मिडिल ईस्ट के कई खाड़ी देशों में लगभग 76 लाख भारतीय निवास करते हैं और यह लोग यहां से सालाना लगभग साढ़े छह लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा कमाकर भारत भेजते हैं। इसके अलावा खाड़ी देशों के कई सुपर स्टोर्स में भारतीय प्रोडक्ट्स को खासा पसंद किया जाता है, लेकिन जब से नुपुर शर्मा ने पैगम्बर को लेकर विवादित टिप्पणी की है। तब से खाड़ी देशों के इन सुपर स्टोर्स में भारतीय प्रोडक्ट्स को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसके चलते विदेशी मुद्रा के भारत में आगमन का एक आसान रास्ता फिलहाल बंद होता दिख रहा है।
मीट और चमड़े के निर्यात से मिलता है बड़ा राजस्व
भारत खाड़ी देशों में मीट व चमड़े का बड़ा निर्यातक है। इन दोनों ही कारोबार से भारतीय राजस्व में बड़ा इजाफा होता है। वर्ष 2020-21 में अकेले उत्तर प्रदेश से लगभग 18 हजार करोड़ रुपयों का मीट एक्सपोर्ट हुआ। गौरतलब है कि भारत से कुल निर्यात होने वाले मीट में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 50 फीसदी है और इस 50 फीसदी में से भी 30 फीसदी मीट अकेले खाड़ी देशों को जाता है।
ईरान से रिश्ते खराब होने का नुकसान
भारत सेंट्रल एशिया में अपना सामान भेजने के लिए ईरान के चाबहार पोर्ट का इस्तेमाल करने पर काम कर रहा है। क्योंकि भारत अभी अपना सामान सेंट्रल एशिया में रुस तक तुर्की के जरिए भेजता है। जिससे लागत बढ़ जाती है।
खाड़ी सहयोग परिषद से भी होता है अरबों डॉलर का कारोबार
खाड़ी सहयोग परिषद् जिसमें कुवैत, कतर, सऊदी अरब, बहरीन, ओमान व यूएई शामिल हैं के साथ भी भारत का अरबों डॉलर का कारोबार है। वर्ष 2020-21 में भारत ने खाड़ी सहयोग परिषद के साथ 90 अरब डॉलर का कारोबार किया।
कतर से रिश्ते बिगड़ने पर असर
भारत के मुकाबले भले ही कतर एक बहुत छोटा-सा देश है, लेकिन उसके पास गैस का बड़ा भंडार है और भारत उसका सबसे बड़ा इम्पोर्टर है। यदि कतर से रिश्ते बिगड़े तो इसका सीधा असर गैस के आयात पर पड़ सकता है।
इन खाड़ी देशों से सबसे अधिक आती है विदेश मुद्रा
यूएई 26.5
सऊदी अरब 12.5
कतर 6.5
कुवैत 5.5
ओमान 3.2
मलेशिया 2.5
- सभी प्रतिशत में