- उधड़ी सड़कें, ध्वस्त रेलिंग, बदहाल पार्क उलाहना दे रहे फौजी अफसरों को
- भारी भरकम रकम खर्च किए जाने के बाद भी नहीं संवर रही तकदीर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: देश की 62 छावनियों में खासतौर से करीब 10 बड़ी छावनियों में शुमार मेरठ छावनी की माल रोड जिसे वीआईपी रोड का दर्जा हासिल था। जिसकी चर्चा देश की तमाम छावनियों में हुआ करती थी वो माल रोड आज बदहाल है। माल रोड की टूटी उधड़ी सड़कें, ध्वस्त रेलिंग व बदहाल पार्क कैंट के उन सैन्य अफसरों को उलाहना दे रही हैं। जिनके बंगले माल रोड पर हैं।
जिन सैन्य अफसरों की माल रोड स्थित मैस व दूसरे सैन्य प्रतिष्ठानों में भर आवाजाही रहती है। उनसे सवाल किया जा रहा है कि ऐसा क्या कारण है जो बनने के साल भर बाद भी सड़क क्यों नहीं चल पाती। रेलिंग में ऐसे कौन-सी निर्माण सामग्री का प्रयोग किया जाता है जो चंद दिनों में ही ध्वस्त हो जाती है। क्या इसकी तह तक पहुंचने व दूध का दूध पानी का पानी करने के लिए जीओसी की टीई का दौरा नहीं कराया जाना चाहिए।
हालांकि जानकारों की मानें तो ऐसा हो भी सकता है। माल रोड की बदहाली को लेकर एक पूर्व सैन्य अधिकारी ने डीजी डिफैंस व जीओसी इन चीफ लखनऊ को शिकायतों का पुलिंदा ही नहीं भेजा, बल्कि पिछले दो साल के दौरान माल रोड के नाम पर जितना खर्च किया गया है वो सारा ब्योरा भी भेजा है।
नाम न छापे जाने की शर्त पर इस रिटायर्ड सैन्य अफसर ने बताया कि माल रोड की साख पर बट्टा क्यों लगा इसकी जांच भर हो जाए बस वह इतना ही चाहते हैं। किसी के प्रति गलत मंशा उनकी नहीं, लेकिन देश की छावनियों की शान मानी जाने वाली मेरठ छावनी की माल रोड की बदहाली से वह दुखी हैं।
बरसात भी नहीं पकड़ पाएगी सड़क
भारी भरकम खर्चा सड़क निर्माण पर किया गया था। तब जनवाणी ने जिस प्रकार से निर्माण किया जा रहा था। तब आशंका जताई थी कि यह साल भर भी नहीं चल पाएगी, लेकिन अब जो हालात नजर आ रहे हैं। उससे लगता है कि साल भर तो छोड़ों बरसात भी नहीं पकड़ पाएगी यह सड़क। उससे पहले ही कमिश्नखोरी के चलते इसकी बेवक्त मौत हो जाएगी।
हादसों को दे रही न्योता
माल रोड कभी सबसे सेफ समझी जाती थी, लेकिन अब रखरखाव न होने की वजह से यह रोड हादसों को न्योता दे रही है। माल रोड पर डीईओ आफिस के सामने चौराहे पर पर पहले सौंदर्यीकरण कर कमल लगाए गए थे। जिसका रखरखाव करने के बजाय वहां सीमेंट का एक भारी भरकम लोथड़ा रख दिया है। रात को कई वाहन चालक इससे टकरा कर चोटिल हो चुके हैं। पहले रिफ्लेक्टर लगे थे अब वहां ऐसा कोई संकेत नहीं है।
रखरखाव तक नहीं
माल रोड पर जहां रेलिंग लगाई गई थीं, समुचित रखरखाव न होने की वजह से वो ध्वस्त होकर वहीं पडेÞ रह गए हैं। हैरानी की बात तो ये है कि कई दिन पहले टूटे रेलिंग उठाने की फुर्सत कैंट अफसरों को नहीं। इसके लिए बजाय जिम्मेदारी तय करने के अफसर भी मुंह मोडेÞ बैठे हैं। ये भी आशंका है कि लोहे की ये रेलिंग चोरी भी की जा सकती हैं।
कमीशनखोरी का सबूत हैं टूटी माल रोड
कुछ दिन पहले बनवाई गई माल रोड का जगह जगह से उधड़ जाना इस बात का सबूत है कि इसमें मोटा कमीशन खाया गया है। वर्ना कोई वजह नहीं कि यदि आटे में नमक के तौर पर भ्रष्टचार किया होता कभी वीआईपी मार्ग का दर्जा हासिल अब बदहाल माल रोड की यह दुर्दशा नहीं होती।
निर्वाचित प्रतिनिधियों पर सवाल
कैंट अफसर ही नहीं बल्कि तमाम निर्वाचित प्रतिनिधियों पर भी इसको लेकर सवाल हैं। इनमे सांसद, कैंट विधायक, कैंट बोर्ड उपाध्यक्ष और सातों बोर्ड सदस्य भी शामिल हैं। तमाम बातें होती हैं बोर्ड सदस्य ठेकेदारों की जमकर पैरवी और मुखालफत करते हैं, लेकिन इनमें से किसी को भी मेरठ की छावनी की शान समझी जाने वाली माल रोड की दुर्दशा दिखाई नहीं देती।
बड़ा सवाल: जिम्मेदार कौन ?
रखरखाव न होने की वजह से बदहाल हो चुकी माल रोड अपने आकाओं से पूछ रही है कि मेरी इस दुर्दशा का जिम्मेदार कौन है। यूं कहने को यहां तमाम अफसर बैठते हैं। इनमें सब एरिया कमांडर, कैंट बोर्ड अध्यक्ष, डीईओ, सीईओ कैंट, कैंट बोर्ड एई समेत इंजीनियरिंग सेक्शन की स्टाफ के नाम पर पूरी फौज और आर्मी इंटेलीजेंस भी। फिर ऐसा क्या कारण है कि माल रोड की बदहाली की खबर जीओसी तक अभी तक नहीं पहुंची। जीओसी इन चीफ की टीई इसकी जांच को अभी तक क्यों नहीं आ सकी है।
सीईओ कैंट का दिलाएंगे ध्यान
सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि माल रोड को लेकर वह कैंट अफसरों से वार्ता करेंगे। इसमें कोई दो राय नहीं कि माल रोड को वीआईपी रोड का दर्जा हासिल है। इसको तो दुरुस्त होना ही चाहिए।
सीईओ कैंट से करेंगे वार्ता
कैंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष व वरिष्ठ समाजसेवी सुनील वाधवा ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि माल रोड देश भर की छावनियों में वीआईपी दर्जा हासिल रखती थी। इसकी मरम्मत के लिए सीईओ कैंट से आग्रह किया जाएगा।