- वर्चस्व और गर्ल फ्रेंड को लेकर फिल्मी स्टाइल में होता रहता है बवाल
- फिकरेबाजी से बाज नहीं आते हैं स्कूली छात्र, हर वक्त रहते हैं टकराव के हालात
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: छावनी के वेस्ट एंड रोड पर स्कूली ड्रेस में नजर आने वाले शोहदों की वजह से कभी भी बड़ा टकराव हो सकता है। वैसे तो यहां आधा दर्जन से ज्यादा स्कूल हैं, लेकिन मेरठ पब्लिक स्कूल के छात्रों की हुड़दंगबाजी सबसे ज्यादा रहती है। हैरत तो ये है कि स्कूल ड्रेस में ही छात्र स्कूल के बाहर झुंड में खड़े देखे जा सकते हैं। ऐसे छात्र फिकरेबाजी से भी बाज नहीं आते और इसके चलते टकराव के हालात बनते हैं। वेस्ट एंड रोड पर आये दिन जो भी मारपीट की घटनाएं होती हैं, उनमें से अधिकांश में मेरठ पब्लिक स्कूल के छात्र शामिल होते हैं। वेस्ट एंड रोड पर रहने वाले लोगों ने भी इस की पुष्टि की।
अक्सर स्कूल टाइम में बड़ी संख्या में छात्र बजाए क्लास में होने के वे झुंड में वेस्ट एंड रोड पर नजर आते हैं। कई बार ऐसे छात्रों का झुंड हाथों में स्टिक थामे बाइकों से फर्राटा भरता हुआ देखा जा सकता है। इनके बीच मारपीट की घटनाएं तो आम हैं। मारपीट की ज्यादातर घटनाओं में किसी भी अकेले जा रहे छात्र को घेरकर उसकी बुरी गत बना दी जाती है।
ऐसा नहीं कि स्कूली छात्रों के बीच होने वाली इन घटनाओं से सदर पुलिस बे-खबर होती है। वेस्ट एंड रोड स्थित एमपीएस समेत तमाम स्कूली छात्रों के बीच होने वाली मारपीट की घटनाओं की सूचना पर फैंटम भी मौके पर पहुंचती है। आसपास रहने वालों ने बताया कि वेस्ट एंड रोड पर छात्र गुटों के बीच मारपीट की घटनाएं आम हैं।
कई बार तो मारपीट करने वाले एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं। बवाल की घटनाओं में छात्रों के शामिल होने से इतना तो साफ है कि स्कूल मैनेजमेंट का ध्यान केवल भारी भरकम फीस बटोरने पर है, व्यवस्था बनाने से उन्हें कोई सरोकार नहीं। एमपीएस के छात्र स्कूल टाइम में कहां आ-जा रहे हैं, स्कूल प्रबंधन कुछ नहीं देखता। इस प्रकार की घटनाओं के चलते अभिभावक काफी परेशान हैं। जनवाणी संवाददाता ने इस बावत जब एमपीएस के निदेशक विक्रम शास्त्री से बातचीत कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया तो फोन ही पिक नहीं हुआ।
तहसील से जारी हुए रिकवरी के नोटिस, व्यापारियों में मची खलबली
मेरठ: शहर में 100 करोड़ से ज्यादा का स्टांप घोटाले का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अभी तक पुलिस एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। शासन स्तर से लेकर एसएसपी की एसआईटी जांच अभी तक यह पता नहीं कर पाई है कि नकली स्टांप कहां से आया था। अब तहसील से लोगों के पास रिकवरी के नोटिस पहुंचने लगे है। जिससे लोगों में खलबली मच गई है। स्टांप घोटाला संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया था कि जांच पूरी होने तक व्यापारियों को परेशान नहीं किया जाएगा। अब तहसील से लोगों के पास रिकवरी के नोटिस पहुंच रहे है। जिससे व्यापारियों में खलबली मची हुई है।
मेरठ में साढ़े सात करोड़ का स्टांप घोटाले को लेकर एआईजी स्टांप ने सिविल लाइन थाने में 997 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। इसके साथ 450 लोगों ने स्टांप चोरी की रकम जमा भी कर दी है। व्यापारियों पर रिकवरी के नोटिस आने पर मेरठ मंडल के नेता जीतू नागपाल व शैंकी वर्मा, अर्पित मोघा ने डीएम व कमिश्नर से मुलाकात करते हुए मांग की थी कि फर्जी स्टांप चोरी के मामले में व्यापारियों का कोई दोष नहीं है। सारे स्टांप एक ही अधिवक्ता से खरीदे गए है। उसके नाम एक महिला ने मुकदमा भी दर्ज कराया है।
शासन तक मामला गूंजा,सारे मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गई। एसआईटी की प्रभारी कमिश्नर को बनाया गया। व्यापारियों को आश्वासन दिया गया कि जब तक एसआईटी की रिपोर्ट नहीं आएगी। किसी भी व्यापारी से रिकवरी नहीं की जाएगी। सोमवार को कई व्यापारियों के पास तहसील से स्टांप चोरी के मामले में रिकवरी के नोटिस पहुंचे। दो दिन में बकाया राशि ब्याज समेत जमा करने के लिए कहा गया। तहसीर से नोटिस मिलते ही व्यापारियों में खलबली मच गई।
स्टांप घोटाला संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल, महामंत्री अर्पित मोघा, शैंकी वर्मा, महासचिव मनीष कपूर, जिला मंत्री उमाशंकर, करण कपूर, कुशन गोयल, पं. तरुण शर्मा, विनीत पंडित, बाबू मलिक , राजन सिंघल व मेरठ मंडल के नेता जीतू नागपाल ने आरोप लगाया कि प्रशासन रिकवरी के नोटिस भेजकर व्यापारियों का उत्पीड़न कर रहा है। जबकि पुलिस स्टांप घोटाला करने वाले आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। वह कोर्ट से गिरफ्तारी का स्टे भी ले आया।