- छात्रों को मिलेगी नई दिशा, मांग और बढ़ती जा रही आवश्यकता
जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: वर्तमान समय में अपने सूक्ष्म आकार तथा भौतिक रासायनिक विशेषताओं के कारण नैनो मैटेरियल्स का क्षेत्रों में प्रयोग बड़ा है। नैनो तकनीकी में कृषि संबंधित प्रतिकूल समस्याओं को कम करने के साथ पर्यावरण मानव स्वास्थ्य खाद्य सुरक्षा व कृषि उत्पादकता में सुधार करने की क्षमता है।
किसी उत्पाद मानव शरीर के अधिकांश पहलुओं को प्रभावित करते हैं। उनके जीवन की उपयोगी वस्तुएं जैसे र्इंधन कपड़ा फर्नीचर भवन व पशु आहार इत्यादि शामिल है। कृषि में भावी वैश्विक जरूरत को पूरा करने के लिए प्रौद्योगिकी उन्नति की आवश्यकता है। नैनो टेक्नोलॉजी के कृषि क्षेत्र में विभिन्न अपार संभावनाएं दिखाई पड़ रही हैं इस क्षेत्र में नैनो टेक्नोलॉजी की मांग और आवश्यकता बढ़ती जा रही है।
नैनो सैलूलोज पायलट प्लांट
भारत सरकार के महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया अभियान के तहत पहल करते हुए संस्थान ने अपने हिट धारकों एवं नव उद्यमों के लिए प्रौद्योगिकी प्रदर्शन व अपने देश में अपनी तरह का प्रथम नैनो सेल्लूर्स पायलट प्लांट मुंबई मुख्यालय में स्थापित किया है। इस पायलट प्लांट में कपास लीड्स कपास अपशिष्ट और कोई में 10 किलोग्राम प्रति 8 घंटे की दर से जली रूप में नैनो क्रिस्टलाइन सैलूलोज सीसी और शुष्क रूप से नैनो फैब्रिकेटेड सैलूलोज एनएफसी का उत्पादन किया जाता है। संस्थान के हिट धारकों को नैनो सैलूलोज युक्त विभिन्न अनुपयोगों की कुशल तकनीक विकसित करने और कस्टमाइज्ड उत्पादों का टेस्ट ट्रायल करने के लिए उसे मीन इकाई के रूप में नैनो से लूज पायलट प्लांट की सुविधा प्रदान की जाती है।
नैनो कण युक्त सूती कपड़ा
इस पायलट संयंत्र की सुविधा अन्य नैनो मेटेरियल्स तैयार करने के लिए भी प्रयोग में लाई जा रही है। जैसे कि नैनो जिंक आॅक्साइड इसके उपयोग से परिष्कृत की गई रोगाणु रोधी सूती चांदनी अस्पताल में भर्ती किए गए मरीजों में पर संक्रमण रोकने के लिए सफलतापूर्वक प्रयोग में लाई जा रही है।
समाधान किया जाना बाकी
कृषि जगत में नैनो प्रौद्योगिकी के संभावित अनुप्रयोगों की पहचान करने में काफी प्रगति के बावजूद कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने से पूर्व निकट भविष्य में कई अन्य मुद्दों का समाधान किया जाना बाकी है।