जनवाणी ब्यूरो ।
नई दिल्ली: भारत सरकार ने नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में कार्यरत एक अधिकारी को पर्सोना नॉन ग्राटा घोषित करते हुए 24 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया है। यह कदम उस अधिकारी द्वारा अपने राजनयिक कार्यक्षेत्र से बाहर जाकर संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने के कारण उठाया गया है।
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में क्या कहा?
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि संबंधित पाकिस्तानी अधिकारी की गतिविधियां राजनयिक आचरण और व्यवहार के स्थापित मानदंडों का उल्लंघन थीं। इस संबंध में आज पाकिस्तान उच्चायोग के कार्यवाहक उच्चायुक्त को तलब कर एक कड़ा डिमार्शे (औपचारिक विरोध पत्र) सौंपा गया, जिसमें उपरोक्त अधिकारी को तुरंत देश से बाहर भेजने की मांग की गई है।
कई अधिकारियों को देश छोड़ने के आदेश दिए
उल्लेखनीय है कि हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तानी राजनयिकों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखनी शुरू कर दी है और संदिग्ध पाए जाने पर कई अधिकारियों को देश छोड़ने के आदेश दिए गए हैं। भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया जाएगा और इस तरह की संदिग्ध गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।
‘पर्सोना नॉन ग्राटा’?
बता दें कि ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ किसी भी विदेशी राजनयिक को अवांछित घोषित करने की वह स्थिति होती है। जिसके तहत उसे देश छोड़ने का तुरंत आदेश दिया जाता है। इससे पहले 13 मई को भारत ने जासूसी में कथित रूप से संलिप्त होने के कारण एक पाकिस्तानी अधिकारी को निष्कासित कर दिया था।
26 निर्दोष पर्यटकों की बेरहमी से गोली मारकर हत्या कर दी
बता दें कि, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा की गई एक भयावह घटना में 26 निर्दोष पर्यटकों की बेरहमी से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस जघन्य आतंकी हमले के ठीक अगले दिन, 23 अप्रैल को भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कूटनीतिक कदम उठाए थे। इसके बाद से भारत लगातार संदिग्ध पाकिस्तानी अधिकारियों को देश छोड़ने के आदेश दे रहा है।
इन उपायों के तहत नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में कार्यरत अधिकारियों की संख्या को 55 से घटाकर 30 कर दिया गया। इसके अलावा, भारत सरकार ने पाकिस्तानी रक्षा सलाहकारों को देश से निष्कासित करते हुए उन्हें एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने का निर्देश दिया। साथ ही भारत ने इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग से सभी रक्षा सलाहकारों को तत्काल प्रभाव से वापस बुला लिया था और वहां कार्यरत राजनयिकों की संख्या में भी कटौती कर दी थी।