जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: भारत द्वारा आतंक के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश का पक्ष मजबूती से रखा जा रहा है। गुयाना के बाद पनामा पहुंचे भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने वैश्विक समुदाय को आतंकवाद और उसमें पाकिस्तान की भूमिका को लेकर कठोर संदेश दिया।
भारत बीते चार दशकों से आतंकवाद का शिकार
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस सांसद डॉ. शशि थरूर ने दो टूक कहा, “भारत बीते चार दशकों से आतंकवाद का शिकार है। 1989 से लेकर अब तक हमारे आम नागरिकों पर लगातार हमले हुए हैं, लेकिन अब यह सहन करना हमारे लिए स्वीकार्य नहीं है।”
आगे थरूर ने यह भी कहा कि अब केवल सहानुभूति नहीं, दुनिया को ठोस कार्रवाई करनी होगी। “आतंकियों की पहचान हो, उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घसीटा जाए और उन पर मुकदमा चलाया जाए।”
ऑपरेशन सिंदूर को बताया न्यायसंगत
डॉ. थरूर ने 7 मई को भारतीय सेना द्वारा चलाए गए “ऑपरेशन सिंदूर” को पूरी तरह न्यायोचित करार दिया। उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया था कि यह अभियान जरूरी था, क्योंकि उन आतंकियों ने 26 महिलाओं के सिंदूर छीन लिए थे – उनके पतियों की हत्या कर दी गई थी। भारत ने तय किया कि अब सिंदूर का रंग आतंकवादियों के खून से मेल खाएगा।”
थरूर ने यह भी खुलासा किया कि हमले के दौरान कुछ महिलाएं आतंकियों से प्रार्थना कर रही थीं कि उन्हें भी मार दिया जाए, लेकिन आतंकियों ने उन्हें छोड़ते हुए कहा – “जाकर दुनिया को बताओ कि क्या हुआ।” यह घटना मानवता के खिलाफ अपराध की गंभीर मिसाल है।
पहलगाम हमला और भारत की जवाबी कार्रवाई
गौरतलब है कि 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने एक निर्दोष पर्यटक समूह पर हमला कर 28 लोगों की नृशंस हत्या कर दी थी। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को “ऑपरेशन सिंदूर” चलाया। इस अभियान में पाकिस्तान स्थित आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया।
भारत ने स्पष्ट किया कि इस कार्रवाई में पाकिस्तानी सेना के ठिकानों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया, और यह कार्रवाई केवल आतंकियों को खत्म करने के उद्देश्य से की गई थी।
ये नेता हैं शामिल
- शशि थरूर (कांग्रेस)
- सरफराज अहमद (झारखंड मुक्ति मोर्चा)
- जीएम हरीश बालयोगी (तेलुगु देशम पार्टी)
- शशांक मणि त्रिपाठी (भाजपा)
- भुवनेश्वर कलिता (भाजपा)
- मिलिंद देवड़ा (शिवसेना)
- तेजस्वी सूर्या (भाजपा)
- तरनजीत संधू, अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत