Friday, July 11, 2025
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आज बंद रहेंगे दिल्ली के तीन मेट्रो स्टेशन, किसान आंदोलन पर आईएसआई की बुरी नजर

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: कृषि कानूनों के विरोध में करीब सात महीने से चल रहे किसान आंदोलन पर अब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की नजर पड़ने लगी है। माना जा रहा है कि आईएसआई के एजेंट किसान आंदोलन की आड़ में हिंसा भड़का सकते हैं। इस संबंध में खुफिया एजेंसियों ने दिल्ली पुलिस समेत अन्य संस्थाओं को अलर्ट जारी किया है।

खुफिया एजेंसियों ने दिल्ली पुलिस को लिखा-पत्र

सूत्रों के मुताबिक, खुफिया एजेंसियों ने दिल्ली पुलिस और सीआईएसएफ को सतर्क रहने के लिए कहा है। खुफिया एजेंसियों ने बताया कि आज (26 जून) किसान प्रदर्शन करने वाले हैं, जिसमें तैनात जवानों के खिलाफ आईएसआई के एजेंट हिंसा भड़का सकते हैं। इस संबंध में दिल्ली पुलिस को पत्र भी भेजा गया, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था चुस्त कर दी है।

कुछ घंटे बंद रहेंगे ये मेट्रो स्टेशन

सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम कर लिए गए हैं। इसके अलावा शनिवार को कुछ मेट्रो स्टेशन चंद घंटों के लिए बंद रखे जाएंगे। साथ ही, मेट्रो स्टेशनों के बाद भी सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई जाएगी। किसी भी तरह की गड़बड़ी से बचने के लिए दिल्ली मेट्रो कॉरपोरेशन ने शनिवार सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे तक तीन मेट्रो स्टेशनों विश्वविद्यालय, सिविल लाइंस और विधानसभा को बंद रखने का फैसला किया है। यह कदम दिल्ली पुलिस की सलाह के बाद उठाया गया।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने किया था यह आग्रह

बता दें कि आज दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ कई अन्य समूह शामिल हो सकते हैं। हालांकि, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार (26 जून) को किसान संघों से अपना आंदोलन खत्म करने का आग्रह किया था। उन्होंने भोपाल में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि मैं सभी किसान संघों से आंदोलन समाप्त करने की अपील करता हूं। सरकार किसानों के साथ 11 दौर की बातचीत कर चुकी है। कृषि कानून किसानों के बेहतर जीवन के लिए लाए गए हैं।

आज राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजेंगे किसान

गौरतलब है कि किसान आंदोलन को सात महीने पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए हस्तक्षेप की मांग की थी। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा था कि वह 26 जून को पूरे देश के किसानों की ओर से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भेजेगा, जिसमें सात महीने के आंदोलन के दौरान किसानों की पीड़ा और आक्रोश का जिक्र होगा। इसके अलावा राष्ट्रपति से कृषि कानूनों को निरस्त करने और किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाने के संबंध में अपील की जाएगी।

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