- भाजपा की माइनॉरिटी विंग भी डाल रही डोरे
- भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस भी दिख रही मगन
- सपा मुस्लिम वोटों को मान रही अपना पुश्तैनी ‘ठौर’
- बसपा भी अपना गणित बैठाने में लगी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मुस्लिमों को टिकट देने से जी चुराने वाली भाजपा इस बार अल्पसंख्यकों को रिझाने पर फोकस करने में लगी है तो वहीं सपा और बसपा के बीच भी रस्साकशी तेज हो चली है। लोकसभा चुनाव सिर पर है लिहाजा मुस्लिम वोटरों पर डोरे डलने शुरु हो गए हैं। अपने समीकरण बनाने और दूसरे के समीकरणों बिगाड़ने के लिए कई राजनीतिक दल अपनी अपनी नीतियों में बदलाव करने तक को तत्पर बैठे हैं। इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि मुस्लिम मतदाता किस ओर जाएगा।
एक ओर जहां कांग्रेस राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद मुस्लिम वोटों को अपना मान कर चल ही है वहीं समाजवादी पार्टी इन पर अपना हक जता रही है। उधर बसपा अपनी ही गणित बैठाने में लगी हुई है जबकि एआईएमआईएम मुस्लिम कयादत का नया अध्याय लिखने में लगी है। उधर इन सबसे परे एक सवाल भाजपा से अलग अन्य विपक्षी पार्टियों के दिमाग में भी कौंद रहा है कि क्या इस बार मुसलमान भाजपा की ओर भी रुजू (ध्यान देना) करेगा।
इन सबके बीच भावी प्रत्याशियों ने भी अल्पसंख्यक वोटों को हासिल करने के लिए सियासी चालें चलनी शुरु कर दी हैं। इस समय सभी सियासी दलों में उम्मीदवारों के नामों का गुणा भाग चल रहा है। अगर यूपी की बात करें तो यहां सपा से लेकर बसपा, लोकदल से लेकर कांग्रेस और यहां तक की खुद भाजपा भी मुस्लिम मतों पर डोरे डालने का काम कर रही है।
दरअसल, यूपी में लगभग दो दर्जन सीटें ऐसी हैं जहां पर मुस्लिम वोट निर्णायक स्थिति में है और यह किसी भी दल का गणित बना व बिगाड़ सकते हैं। इसी कारण लगभग सभी राजनीतिक दल इन सीटों पर फोकस कर रहे हैं। सपा ने विधान सभा चुनावों में मुस्लिमों पर खासा फोकस किया था, रालोद के साथ के चलते जाट-मुस्लिम समीकण की पटरी भी सही ढंग से बैठ गई और इसी बलबूते सपा के 34 मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव जीत गए।
2022 के विधान सभा चुनावों में जिस तरह से मुस्लिम व काडर वोटर बसपा से खिसका, उसने बसपा के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। अब होने वाले लोकसभा चुनावों की की सबसे खास बात यह है कि भाजपा भी मुस्लिम वोटरों को अपने साथ जोड़ने की कोशिशों में लगी है और इसके लिए पार्टी का अल्पसंख्यक मोर्चा काम में लगा हुआ है।
पार्टी पसमान्दा समाज के मुस्लिमों पर फोकस कर रही है। उत्तर प्रदेश में पसमान्दा समाज के विशेष सम्मेलन तक आयोजित किए गए हैं। कुल मिलाकर लोकसभा चुनावों को लेकर सभी राजनीकि पार्टियां मुस्लिम वोट बैंक को अपने लिए प्लस प्वॉइंट मानकर चल रही हैं।