Friday, April 19, 2024
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आरवीसी दे रहा शौक के साथ जॉब का मौका

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जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: जो अभिभावक अपने बच्चोें का स्पोर्ट्स खासतौर से घुड़सवारी सरीखे इंटरनेशल गेम में कॅरियर बनाने की ख्वाहिश रखते हैं, आरवीसी (रिमाउंट वैटनरी रेजीमेंट) ऐसे बच्चों और उनके अभिभावकों को गोल्डन चांस देने जा रहा है। आने वाली 13 अप्रैल ऐसे बच्चों के लिए लाइफ का टर्निंग प्वाइंट हो सकता है। घुड़सवारी का शौक पूरा करने के साथ-साथ 100 फीसदी जॉब और पढ़ाई की भी गारंटी मिलने जा रही है।

सुनने में यह सब जितना अच्छा और आसार लग रहा है, इसमें मौका पाना उतना ही मुश्किल भरा भी है। इसके लिए कठिन परीक्षा से गुजरना होगा। मेरठ छावनी स्थित कालेज आरवीसी सेंटर में मात्र 27 सीटें हैं। पता चला है कि उनमें से भी 18 सीटें पहले से फुल हैं, लेकिन इनको लेकर चिंता होने की जरूरत नहीं। दरअसल स्टेप बाई स्टेप एक तय शुदा प्रक्रिया के तहत ये सीटें खाली भी होती रहती हैं।

मसलन जिस प्रकार से एक कक्षा से दूसरी कक्षा में प्रमोट होते हैं, उसी तर्ज पर यहां भी सीटें खाली होती रहती हैं। यह भी मुमकिन है कि 13 अप्रैल तक कंप्टीशन से पहले सीटों को लेकर पर्याप्त स्पेस बना लिया जाए। आरवीसी सैंटर एंड कालेज में इंतजार कर रही एक शानदार लाइफ और शौक पूरा करने के मौका हासिल करने से पहले बच्चों को कडे इम्तिहान से गुजरना होगा।

मौका सेना की ओर से दिया जा रहा है, इसलिए आॅल आॅफ द बेस्ट होना तो बनता है। एंट्री के लिए सिर्फ एक ही शर्त है वो है परफेक्ट इन आॅल। एक बार एंट्री मिल गयी तो फिर लाइफ भी सेट और घुड़सवारी सरीखे शौक को भरपूर तरीके से पूरा करने का मौका।

भर्ती 13 से 16 अप्रैल तक

ब्वॉय स्पोर्ट्स कोय, आरवीसी सेंटर एंड कालेज में भर्ती 13 से 14 अप्रैल तक चलेगी। इसके लिए अभ्यार्थी की आयु 8 से 14 साल के मध्य होनी चाहिए। किसी भी सरकारी या प्राइवेट स्कूल से कक्षा चार पास होना भी अनिवार्य है। साथ ही स्पोर्ट्स मेडिसीन सेंटर पर बच्चे का फिटनेस टेस्ट। यदि इसमें पास तो फिर एंट्री तय।

यह भी चाहिए

जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, आवास डोमिसाइल, स्कूल का सर्टिफिकेट आॅरिजनल मार्कशीट के साथ। करेक्टर सर्टिफिकेट के लिए गांव के प्रधान या वार्ड के पार्षद का प्रमाण पत्र। जाति प्रमात्र जो तहसील से जारी किया गया हो उसकी आॅरिजनल कापी। खेल कूद में माता पिता की कोई उपलब्धी हो तो उसका प्रमाण।

कुछ ऐसी होगी लाइफ स्टाइल

जिन बच्चों को यह गोल्डन चांस मिलने जा रहा है उनकी लाइफ स्टाइल पूरी तरह से चेंज हो जाएगी या यूं कहें कि एंट्री के अगले ही दिन से एक अनुशासित दिनचर्या के साथ रहने की आदत डालनी होगी। हॉस्टल में सुबह चार बजे जगाया जाएगा। एक घंटा नित्य क्रिया से निवृत्त होने के लिए, पांच बजे रेस कोर्स ग्राउंड पर। वहां घुड़सवारी की परिभाषा और दुनिया भर के घुड़सवार उनकी उपलब्धियों की हिस्ट्री से रूबरू कराया जाएगा।

हालांकि यह एक लंबी प्रक्रिया है। आठ बजे वापस मैस में आना। वहां पर ब्रेक फास्ट। फिर स्पोर्ट्स ग्राउंड में पहुंचना। खेलकूद। इसके साथ ही आरवीसी की मार्फत सेना से जुड़ने के लिए किताबी ज्ञान के लिए स्कूल में एडमिशन। साथ-साथ स्कूली पढ़ाई भी। शाम को फिर से घुड़सवारी के लिए आरवीसी रेसकोर्स पहुंचना। वापस आने के बाद पढ़ाई खाना और अगले दिन की शुरूआत के लिए गहरी नींद की तैयारी।

सेना उठाएगी सारा खर्च

शौक पूरा होने के साथ बच्चे का कन्फर्म कॅरियर और क्या चाहिए माता-पिता को आज के दौर में भी सारा खर्चा सेना उठाएगी। शानदार खिलाड़ी बनने से लेकर पढ़ाई, खाना पीना, रहना सब कुछ सेना की जिम्मेदारी। सेना आरवीसी यूनिट की ओर से जिन बच्चों को सलेक्शन हो जाएगा उनके लिए यह किसी गिफ्ट से कम नहीं।

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