- मुजफ्फरनगर के अंतवाड़ा से कन्नौज तक है काली नदी का अस्तित्व
- 430 किमी का काली नदी का है दायरा
जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: अंतवाड़ा से शुरू हुई काली नदी का अस्तित्व तो समाप्त हो गया है, लेकिन अब यह नदी लोगों के लिए काल बन गई है। क्योंकि यह नदी केंद्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान के लोकसभा क्षेत्र से ही शुरू हुई है। केंद्रीय मंत्री ने नदी के जीर्णाेद्धार कराने के लिए दावे किए थे, लेकिन यह दावे सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गए। इस समय इस नदी में मेरठ शहर का वेस्ट मेटीरियल और कू ड़ा-करकट गिर रहा है।
वहीं, क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी डा. योगेंद्र कुमार का कहना है कि प्रदूषण विभाग लगातार मॉनिटीरिंग कर रहा है। जल का सैंपल लेकर लखनऊ भेजता है। मेरठ में भी इस सैंपल की जांच की जा रही है। अगर पानी जिन स्थानों का ज्यादा प्रदूषित हो जाता है तो उस स्थान पर जो भी औद्योगिक फैक्ट्री या फिर कोई कारखाना होता है तो उसे नोटिस जारी किया जाता है और जुर्माना लगाया जाता है। क्योंकि विभाग द्वारा किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाती है। मेरठ का घरेलू मल सीवर और औद्योगिक फैक्ट्रियों का गंदा पानी इस नदी में गिर रहा है।
जिसके चलते इसके आसपास का पानी दूषित हो रहा है। पानी के दूषित होने से गांवों में पानी दूषित हो रहा है। जिसके चलते ग्रामीण कैंसर की जानलेवा बीमारी का शिकार हो रहे हैं। क्योंकि ओडियन वन और ओडियन टू नाला गोकलपुर तक निकल रहा है। इन नालों का गंदा पानी भी इस नदी में गिर रहा है। मेरठ शहर का दूषित पानी इन नालों में जाता है। जिसके चलते इन नालों का पानी काली नदी में गिर जाता है। जिसके चलते पानी दूषित होता जा रहा है।
ऐसे में लोगों के सामने अब परेशानी खड़ी हो रही है। हालांकि इस नदी में पानी की निकासी का कोई साधन नहीं है। जिसके चलते जगह-जगह इस नदी का पानी रुक रहा है। नदी का पानी रुकने के कारण यह दूषित हो रहा है। जिसके चलते भयंकर बीमारी फैल रही है। देदवा, इकलौता, सैनी और गोकलपुर के आसपास पानी रुका हुआ है। जिसके चलते यह पानी दूषित हो रहा है। पानी के दूषित होने से लोग बीमार पड़ रहे है। ऐसे में अब लोगों के सामने परेशानी के साथ-साथ एक विकट एवं भयंकर समस्या भी है।
हर बूंद में बीमारी
काली नदी के किनारे बसे गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को इन आश्वासनों पर बहुत कम भरोसा है। वे चुनाव में हर अधिकारियों और नेताओं से नदी को साफ करने का वादा सुनते हैं, लेकिन ये वादे अभी तक हकीकत में नहीं बदले हैं। इन कई गांवों के पीने के पानी का मुख्य स्रोत भूजल है और निवासियों का दावा है कि काली नदी के प्रदूषण ने उनके भूजल को भी दूषित कर दिया है।
काली नदी के प्रदूषण के कारण भूमिगत जल भी प्रदूषित हो रहा है। इसके चलते जमीन से निकलने वाला पानी भी अशुद्धियों से भरा होता है। ग्रामीणों के अनुसार काली नदी के जहरीले पानी से होने वाली कैंसर जैसी बीमारियों का कोई सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन जो दिख रहा है, वो इस बड़ी-सी समस्या की सिर्फ एक छोटी-सी झलक है।
काली का अभिशाप
काली नदी मेरठ, मुजफ्फरनगर जिलों से गुजरते हुए कई इलाकों में बहती है। काली और हिंडन दोनों ही अत्यधिक प्रदूषित नदियां हैं। मुजफ्फरनगर और मेरठ के कई गांव काली नदी के गंदे पानी से प्रभावित हैं। इन गांवों का पानी इस्तेमाल के लायक नहीं है, लेकिन समस्या यह है कि नदी ने आसपास के इलाकों में भूजल भंडार को भी प्रदूषित कर दिया है।
जिन इलाकों से यह नदी निकलती है, उन गांवों से कैंसर की कई घटनाओं की जानकारी मिली है। काली नदी जिन भी रास्तों से होकर ये गुजरती हैं। वहां के सभी गांव इससे पीड़ित हैं। इस काली नदी का पानी इतना काला और बदबूदार है कि कुछ मिनटों के लिए भी इसके किनारे पर खड़ा होना मुश्किल हो जाता है।