Friday, March 29, 2024
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कर्नाटक: कांग्रेस के प्रति दुराग्रह का परिणाम

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Samvad


Tanveer Jafreeकर्नाटक विधानसभा चुनाव स्वयं को अजेय समझने वाली भारतीय जनता पार्टी बुरी तरह धराशायी हो गई है। भाजपा ‘कांग्रेस मुक्त’ भारत बनाने के सपने देखती रहती है, उसी कांग्रेस ने शानदार पूर्ण बहुमत हासिल कर राज्य की सत्ता पर अधिकार जमा लिया है। इन चुनाव परिणामों के तरह तरह के विश्लेषण हो रहे हैं। परन्तु एक बात तो साफ है कि राज्य के जागरूक, धर्मनिरपेक्ष मतदाताओं ने सामूहिक रूप से नफरत की राजनीति व ऐसे प्रयासों को,फुजूल की बयानबाजियों तथा धार्मिक भावनाओं के बहाने वोट हासिल करने के सभी प्रयासों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। कर्नाटक में सत्तारूढ़ रही जो भाजपा भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी थी, चुनाव प्रचार के दौरान अपनी उपलब्धियों का जिक्र करने के बजाय अपनी चिरपरिचित रणनीति के तहत कांग्रेस, नेहरू गांधी परिवार व उसके पिछले शासनकाल पर ही ज्यादा हमलावर रही।

इनके वोट मांगने के रंग भी निराले हैं। कभी बजरंग बली के नाम पर वोट मांगते हैं, तो कभी मुझे 91 गलियां दीं, मेरी कब्र खोदने को कह रहे, मुझे सांप कहा, बिच्छू कहा जैसी बातें कर सहानुभूति का वोट मांगते हैं।

कभी सांप्रदायिक भय व विद्वेष फैलाकर तो कभी झूठे राष्ट्रवाद का लिबादा ओढ़ कर वोट मांगते हैं। कभी अपने विरोधियों को पाकिस्तानी, राष्ट्रविरोधी, बताकर जनसमर्थन मांगते हैं, तो कभी कांग्रेस पर तुष्टीकरण का इलजाम लगाकर तो कभी अपने विरोधियों को टुकड़े टुकड़े गैंग बताकर जनता की सहानुभूति अर्जित करना चाहते हैं। यह सब कुछ कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान हुआ।

कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान हालांकि अनेक घटिया टिप्पणियां विभिन्न पार्टियों द्वारा की गर्इं, परंतु सबसे विवादित टिप्पणी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा कर्नाटक के कोप्पल में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते समय की गई थी। वहां नड्डा ने कहा था कि-9 साल पहले कैसा भारत था? भ्रष्टाचार के नाम से जाना जाने वाला भारत था। कैसा भारत था? फैसले नहीं लेने वाला भारत था। कैसा भारत था? घुटने टेक कर चलने वाला भारत था।

और जब आपने मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाया तो दुनिया में सिक्का जमाने वाला भारत बन गया, छलांग लगाने वाला भारत, विकसित भारत। कर्नाटक के जागरूक मतदाताओं ने नड्डा का यह कथन अस्वीकार्य किया कि -2014 से पहले का भारत घुटने टेक कर के चलने वाला भारत था। निश्चित रूप से इससे पूरे देश का अपमान हुआ है।

कर्नाटक की जनता ने जेपी नड्डा को भारत पाक युद्ध के उस इतिहास को फिर से पढ़ने के लिये मजबूर कर दिया, जब भारतीय सेना ने भारत के लेफ़्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष 16 दिसंबर 1971 को शाम 4.35 बजे पाकिस्तान के लेफ़्टिनेंट जनरल नियाजी ने 93 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे। नड्डा साहब ने कर्नाटक में यह भी फरमाया था कि 2014 से पहले का भारत फैसले नहीं लेने वाला भारत था।

तो कर्नाटक की जनता ने उन्हें इसी 1971 भारत पाक संक्षिप्त युद्ध का वह इतिहास भी याद करा दिया कि उस समय अमेरिका ने अपना सातवां युद्ध पोत पाकिस्तान की मदद के लिए भेजने की घोषणा कर दी थी। परंतु वह इंदिरा गांधी का ही साहस था कि उन्होंने अमेरिका की किसी भी गीदड़ भपकी की परवाह नहीं की और सख़्त फैसला लेते हुए पाकिस्तान का विभाजन करा कर ही दम लिया।

रहा सवाल भारत में इसी वर्ष 2023 में दुनिया के बीस देशों के समूह जी-20 की बैठक आयोजित होने का, तो निश्चित रूप से यह समस्त भारतवासियों के लिए गर्व का विषय है। इससे पहले 2015 में तुर्की तथा 2020 में सऊदी अरब जैसे कई छोटे देशों में भी जी-20 की बैठक आयोजित हो चुकी है।

परंतु कर्नाटक के मतदाताओं को याद है कि जी-20 की बैठक से कहीं पहले भारत में सातवां गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन भी हुआ था जो इंदिरा गांधी के नेतृत्व में ही 7 से 12 मार्च 1983 के दौरान नई दिल्ली में आयोजित किया गया था।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन की तो स्थापना ही 1961 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति जमाल अब्देल नासेर तथा यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज टीटो के प्रयासों से की गई थी, जिसके सदस्य दुनिया के 120 देश थे। गुट निरपेक्ष शिखर सम्मेलन, संयुक्त राष्ट्र के बाद विश्व के देशों की केवल सबसे बड़ी सभा ही नहीं बल्कि यह पूरे महाद्वीप भर में भागीदार देशों के साथ बातचीत के लिए एक महत्वपूर्ण मंच भी था।

गोया कर्नाटक वासियों ने बता दिया कि भारत दुनिया में सिक्का जमाने वाला और छलांग लगाने वाला भारत दशकों पूर्व भी था। दरअसल भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी अपने दल के उन्हीं नेताओं में हैं, जो कांग्रेस, नेहरू गांधी परिवार, कांग्रेस के शासन काल को जितना ज्यादा कोसेंगे, उतनी ही उनकी गद्दी सुरक्षित रहेगी।

परंतु कर्नाटक के परिणामों ने बता दिया कि वफादारी जताने के इस जोश में भाजपा नेताओं को उन ऐतिहासिक घटनाओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, जो विश्व इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिखी जा चुकी हैं। ऐसे बयान कांग्रेस ही नहीं, बल्कि देश के प्रति स्थाई दुराग्रह रखने के भी प्रतीक हैं।

कर्नाटक चुनाव परिणामों में भाजपा को मिली करारी शिकस्त से साबित हो गया है कि नफरत फैलाने और धार्मिक भावनाओं को भड़काकर वोट झटकने का सिलसिला और अधिक समय तक नहीं चलने वाला। यानी कहा जा सकता है कि कर्नाटक का चुनाव परिणाम कांग्रेस के प्रति अति दुराग्रह रखने का भी परिणाम है।


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