Sunday, April 27, 2025
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10 साल से किसानों को रुला रहा किनौनी मिल

  • भुगतान का इंतजार करने वाले गन्ना किसानों की बेबसी किसी से नहीं छुपी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: मिलों पर गन्ना डालकर साल भर तक भुगतान का इंतजार करने वाले गन्ना किसानों की बेबसी से सभी परिचित हैं। गन्ने के भुगतान के लिए हर बार किसानों को आंदोलन की राह लेने के लिए विवश होना पड़ता है। इस सिलसिले में जहां मवाना, दौराला, नगलामल और सकौती थोड़े विंलब के साथ समूचा भुगतान कर चुके हैं, वहीं किनौनी मिल की ओर अभी तक 345 करोड़ रुपये का बकाया गन्ना भुगतान अभी तक चला आ रहा है।

जिसके बारे में आगामी सत्र के शुरू होने से पहले पूर्ण भुगतान के दावे किए जा रहे हैं। हालांकि मिल की ओर से ऐसे दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन पिछले 10 साल से आगामी सत्र शुरू होने के बाद भी किनौनी मिल पर बकाया भुगतान निकलता आ रहा है। जिसके चलते किसान खून के आंसू रोने पर मजबूर हैं। मेरठ जनपद के गन्ना किसानों के बकाया की अगर बात की जाए, तो यह राशि 500 करोड़ तक पहुंच जाती है।

मेरठ जनपद में छह चीनी मिलें स्थापित हैं, जिनमें दौराला, मवाना, सकौती, नगलामल, किनौनी और मोहिउद्दीपुर शामिल हैं। इन मिलों द्वारा सत्र 2022-23 के दौरान 788 लाख कुंतल गन्ना खरीदा गया। जिसका कुल मूल्य 2720 करोड़ 81 लाख से अधिक होती है। इनमें से किनौनी मिल द्वारा 174.23 लाख कुंतल गन्ना खरीदा गया, जिसका कुल भुगतान 600 करोड़ 20 लाख होता है। इसमें से अभी तक किनौनी मिल प्रबंधन अभी तक 255 करोड़ का भुगतान कर पाया है और अभी तक 345 करोड़ रुपये बकाया चला आ रहा है।

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वहीं मोहिउद्दीनपुर मिल 53.76 लाख कुंतल गन्ना खरीद पाया है, जिसका मूल्य 187 करोड़ 43 लाख रुपये होता है। इसके सापेक्ष मिल ने अभी तक 142 करोड़ का भुगतान कर दिया है, और अभी 45 करोड़ रुपये गन्ना किसानों के शेष हैं। भाकियू जिलाध्यक्ष अनुराग चौधरी का कहना है कि इन छह मिलों के अलावा मेरठ के गन्ना किसानों का सिंभावली हापुड़ और मोदीनगर मिल पर करीब 125 करोड़ बकाया है। सिंभावली मिल से मेरठ जनपद के किठौर क्षेत्र से 32 गांव और मोदीनगर मिल से नौ गांव जुड़े हैं।

किनौनी मिल के सेंटर हटवाना चाहते हैं किसान

किनौनी मिल में करीब एक दशक से भुगतान संबंधी व्यवस्था चरमराई हुई है। इस बात को अधिकारी भी स्वीकार करते हैं। शुक्रवार को राजपूत महासभा के संरक्षक महाशय बुद्धसिंह के नेतृत्व में किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल डीसीओ डा. दुष्यंत कुमार से मिलने पहुंचा। उनसे मांग की, कि किनौनी मिल के सेंटर को हटाकर उन्हें खतौली से जोड़ दिया जाए। बुद्धसिंह महाशय का कहना है कि अधिकतर गांव के लोग इस मिल के भुगतान न करने से आहत हैं। उनका कहना है कि मिल चलने से पहले किनौनी ने बकाया भुगतान नहीं किया, तो एक बड़ा आंदोलन हो सकता है।

लखनऊ तक उठ चुका है किनौनी मिल का मुद्दा

किसान संगठनों के स्तर से गन्ना भुगतान को लेकर आंदोलन होना आम बात है। लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेता और जिला पंचायत अध्यक्ष गौरव चौधरी भी किनौनी क्षेत्र के गन्ना किसानों की पीड़ा को शिद्दत से महसूस करके इस मुद्दे को प्रमुख सचिव चीनी उद्योग, गन्ना विकास विभाग, प्रमुख सचिव आबकारी विभाग बीना कुमारी मीना के समक्ष उठा चुके हैं। बीती दो अगस्त को लखनऊ में उन्होंन अवगत कराया कि किनौनी मिल की ओर गन्ना किसानों का बीते वर्ष का लगभग 370 करोड़ रुपये बकाया चला आ रहा है। गौरव चौधरी ने सचिव को अवगत करा चुके हैं कि बजाज किनौनी शुगर मिल गन्ना क्षेत्र दो जनपद मेरठ व बागपत के किसानों के गन्ने की पेराई करता है। जिससे किसान को आर्थिक संकट व विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

किनौनी चीनी मिल की ओर इस समय करीब 345 करोड़ रुपये बकाया हैं, जिसमें से 50 करोड़ रुपये इसी महीने दिए जाने का वादा मिल प्रबंधन ने किया है। अगले दो महीनों में 80-80 करोड़ रुपये का भुगतान हो सकेगा। जबकि नवंबर में शेष भुगतान दे दिया जाएगा। -डा. दुष्यंत कुमार, जिला गन्ना अधिकारी, मेरठ

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