सिंगर-एक्टर से राजनेता बने सिद्धू मूसेवाला की गैंगस्टरों द्वारा गोलियों से निर्मम हत्या करने की घटना राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था का पर्दाफाश करती है। वहीं मूसेवाला की हत्या पंजाब में फल-फूल रही गैंगस्टर संस्कृति की डरावनी तस्वीर भी पेश करती है। वहीं हाल ही के वर्षों में गैंगस्टरों द्वारा बिना किसी डर के अपने घातक इरादों को अंजाम देने से पैदा हुए संकट को भी दशार्ती है। पंजाब में सत्ता परिवर्तन के बाद से कानून व्यवस्था के मोर्चे पर नित नई चुनौती पेश आ रही हैं, और विडंबना यह है कि प्रदेश सरकार कागजी कार्रवाई और बयानबाजी से आगे बढ़ नहीं पा रही है।
आपके सितारे क्या कहते है देखिए अपना साप्ताहिक राशिफल 29 May To 04 June 2022
सिद्धू मूसेवाला की हत्या में पंजाब पुलिस प्रथम दृष्टया दो कुख्यात गिरोहों की प्रतिद्वंद्विता को जिम्मेदार मानकर चल रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मूसेवाल की हत्या की साजिश दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद गैंगस्टरों ने रची है। यह भी दावा किया जा रहा है कि हत्या के तार वर्ष 2021 में एक युवा अकाली नेता की हत्या से जुड़े हो सकते हैं, जिसके प्रतिशोध के चलते ही इस हत्या को अंजाम दिया गया होगा।
यहां उस दुर्दांत गैंगस्टर की कारगुजारियों की जांच की जरूरत महसूस की जा रही है जो जेल की सलाखों के पीछे से गंभीर वारदातों को अंजाम देता रहा है। बताया जाता है कि वह भारत व विदेशों में स्थित भारत विरोधी ताकतों के हाथ में खेल सकता है जो दरअसल, पंजाब में गड़बड़ी फैलाना चाहते हैं। यही वजह है कि पुलिस इस कांड में विदेशी हाथ की दिशा में भी जांच में जुटी है।
पंजाब विधानसभा चुनाव के नतीजों के दो दिन बाद ही फिरोजपुर में एक दलित कांग्रेस कार्यकर्ता की पिटाई हुई थी। इसका आरोप आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर लगा था। हमले के करीब दो हफ्ते बाद 29 मार्च को कार्यकर्ता इकबाल सिंह की अस्पताल में मौत हो गई थी। इकबाल सिंह की मौत के बाद कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू उनके परिवार से मिले थे और भगवंत मान सरकार पर निशाना साधा था।
उन्होंने इस हत्या के लिए सीधे-सीधे आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराया था। गुरदासपुर के फुलरा गांव में 4 अप्रैल को खुलेआम गोलीबारी हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जमीन विवाद के कारण ये गोलीबारी दो गुटों में हुई थी। जिसमें सरपंच के पति सुखराज सिंह समेत चार लोगों की मौत हो गई थी। 6 अप्रैल को पटियाला में एक यूनिवर्सिटी के बाहर कबड्डी खिलाड़ी धरमिंदर सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने बताया था कि धरमिंदर को आपसी दुश्मनी के कारण गोली मारी गई थी।
अमृतसर के नांगली गांव में 25 अप्रैल की रात 12वीं के एक छात्र की गोली मारकर हत्या की गई थी। पुलिस ने बताया था कि 17 साल के विजय सिंह को उसके दो दोस्तों ने ही गोली मारी थी। पंजाब के मोहाली में इंटेलिजेंस दफ्तर पर हुए आरपीजी अटैक का मामला अभी ठंडा नहीं हुआ है।
बीती तेरह मई की एक खबर के अनुसार पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गायक कलाकारों को बंदूक और नशा संस्कृति प्रमोट न करने का आह्वान किया था। गायकों को आज की युवा पीढ़ी अपना रोल मॉडल मानती है। मान ने उन्हें पंजाब की संस्कृति को प्रमोट करने की अपील की। भगवंत मान ने कहा कि यदि ऐसा न किया गया तो सरकार सख्ती भी करेगी। मुख्यमंत्री ने ऐसी अपील पुलिस अधिकारियों से मिले फीडबैक के आधार पर की है। उसका मानना है कि भड़काऊ गीतों की वजह से पंजाब में हथियारों और नशे का चलन बढ़ रहा है।
समय-समय पर पुलिस द्वारा चलाये गए अभियानों में कुछ गैंगस्टर मारे गये, वहीं आपसी प्रतिद्वंद्विता के चलते भी कई अपराधी मारे जा चुके हैं। लेकिन उनके नक्शेकदम पर चलने वाले दूसरे अपराधी इन गिरोहों में में शामिल हो जाते हैं दरअसल ये अपराधी तत्व हत्या, जबरन वसूली, हथियारों की तस्करी और मादक पदार्थों की खरीद-फरोख्त जैसे गैर-कानूनी कार्यों में लिप्त रहते हैं। विभिन्न प्रकार के अपराधों को अंजाम देने वाले अपराधियों का गठजोड़ स्थिति को गंभीर बना रहा है।
राज्य के मुख्यमंत्री का दायित्व संभालने के कुछ समय बाद ही मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस उद्देश्य से लक्ष्य के लिये समर्पित विशेष पुलिस इकाई के गठन के आदेश भी दिए थे। दरअसल, राज्य में एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स को एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि राज्य में पांच सौ से अधिक सदस्यों वाले करीब सत्तर गिरोह आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहे हैं, जिनमें से करीब तीन सौ गुर्गे विभिन्न जेलों में बंद हैं।
लेकिन यदि अपराधी जेल के भीतर रहकर भी अपराधों को अंजाम देने में कामयाब हो जाते हैं तो यह पंजाब व अन्य राज्यों के जेल अधिकारियों की लापरवाही को ही उजागर करता है। जिसके चलते गिरोह के सदस्य बंदूक संस्कृति का सोशल मीडिया के जरिये महिमामंडन में लगे रहते हैं। जिसका मकसद अपने गिरोहों में भटके हुए नये युवाओं को शामिल करना होता है। इस बात के तमाम सबूत कानून प्रवर्तन एजेंसियों को मिले भी हैं।
पंजाब की भगवंत मान सरकार ने दो दिन पहले सभी वीआईपी लोगों से सरकारी पुलिस सुरक्षा हटाकर आम जनता के लिए उसे प्रयोग करने का ऐलान किया था। विपक्षी दलों ने इस हमले को लेकर मान सरकार की आलोचना की है। मुख्यमंत्री ने दोषियों को न बख्शने का ऐलान किया है। सरकार को तुरंत सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोपों से समस्या दूर होने के बजाय अधिक उलझ सकती है। राज्य की पहली प्राथमिकता शांति व स्थिरता कायम करने की होनी चाहिए। पंजाब में खालिस्तान की मांग के चलते कितने काले दिन देखे हैं, ये किसी से छिपा नहीं है।