- सालभर के लिए होंगे तृप्त, सर्वपितृ अमावस्या पर जिन लोगों की मृत्यु ज्ञात न हो
- अथवा जिनका श्राद्ध करना भूल गए हैं उनके लिए भी होगा श्राद्ध कर्म
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सर्वपितृ अमावस्या पितरों को विदा करने की अंतिम तिथि होती है। 15 दिन तक पितृ घर में विराजते हैं और हम उनकी सेवा करते हैं फिर उनकी विदाई का समय आता है। इसलिए इसे पितृ विसर्जनी अमावस्या महालय समापन या महालय विसर्जन भी कहते हैं। आश्विन माह की कृष्ण अमावस्या को सर्वपितृ मोक्ष श्राद्ध अमावस्या कहते हैं। यह दिन पितृपक्ष का आखिरी दिन होता है।
अगर आप पितृपक्ष में श्राद्ध कर चुके हैं तो भी सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करना जरुरी होता है। भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के चैप्टर चेयरमैन ज्योतिषाचार्य आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या 25 सितंबर को है। इसे सर्वपितृ अमावस्या कहते हैंं, जो लोग पितृ पक्ष में श्राद्ध-तर्पण नहीं कर पाएं या जिनको अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि याद न हो, वो लोग इस दिन श्राद्ध करें तो उनके पितर पूरे साल के लिए संतुष्ट हो जाते हैं।
इसलिए इसे सर्वपितृ अमावस्या कहते हैं। पितृ पक्ष की अमावस्या के दिन सभी पितरों का विसर्जन होता है। इसलिए इसे पितृ विसर्जनी अमावस्या भी कहते हैं। सर्वपितृ अमावस्या पर तिथि, वार और नक्षत्र से मिलकर शुभ, सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग बनेंगे। वहीं, सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य बनेगा। इन सभी योगों से बन रहे शुभ संयोग में किए गए शुभ कार्यों और पूजा-पाठ से मिलने वाला पुण्य फल पितरों को मिलता है।
सर्वपितृ अमावस्या पर गौ सेवा करे कुत्तों और कौओं को रोटी खिलाए
सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पूजा-पाठ करें। श्रद्धा अनुसार दान का संकल्प लें। इसके बाद गाय को हरी घास चारा खिलाएं, कुत्तों और कौओं को रोटी खिलाएं। अमावस्या पर महामृत्युंजय मंत्र या भगवान शिव के नाम का जाप करें। सर्वपितृ अमावस्या पर दान-पुण्य का बहुत महत्व होता है। पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन अपने सामर्थ्य अनुसार दान जरूर करना चाहिए।
इस पर्व पर घर में पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें। माना जाता है कि इस दिन दिए गए दान का कई गुना अधिक पुण्य फल मिलता है। आश्विन मास के कृष्णपक्ष का संबंध पितरों से होता है। इस मास की अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या कहा जाता है।
इस दिन धरती पर आए हुए पितरों को याद करके उनकी विदाई की जाती है। अगर पूरे पितृ पक्ष में अपने पितरों को याद न किया हो तो केवल अमावस्या को उन्हें याद करके दान करने से और निर्धनों को भोजन कराने से पितरों को शांति मिलती है।
इस प्रकार करे पितरों को विदा
- जब पितरों की देहावसान तिथि अज्ञात हो, तब पितरों की शांति के लिए पितृ विसर्जन अमावस्या को श्राद्ध करने का नियम है।
- आप सभी पितरों की तिथि याद नहीं रख सकते, ऐसी दशा में भी पितृ विसर्जन अमावस्या को श्राद्ध करना चाहिए।
- इस दिन किसी सात्विक भोजन बनाए और ब्राह्मण को घर पर निमंत्रित करें और उनसे भोजन करने तथा आशीर्वाद देने की प्रार्थना करें।
- स्नान करके शुद्ध मन से भोजन बनाएं, भोजन सात्विक हो और इसमें खीर पूड़ी का होना आवश्यक है।
- भोजन कराने तथा श्राद्ध करने का समय मध्यान्ह होना चाहिए।
- श्रद्धापूर्वक ब्राह्मण को भोजन करायें, उनका तिलक करके, दक्षिणा देकर विदा करें।
- घर के सभी सदस्य एक साथ भोजन करें और पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें। जिनकी अकाल मौत हो गई हो ।