नमस्कार, दैनिक जनवाणी वेबसाइट पर आपका हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है। माफिया ब्रदर्स अतीक और अशरफ का लाइव मर्डर बिल्कुल फिल्मी अंदाज में हुआ। अतीक अहमद पर सौ से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। अतीक को पहली बार उमेश पाल अपहरण कांड में उसे दोषी ठहराया गया।
एक के बाद एक 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए, लेकिन कभी किसी केस में सजा नहीं हुई। 44 साल बाद 28 मार्च 2023 को अतीक को उमेश पाल अपहरण कांड में पहली बार सजा सुनाई गई। अतीक के साथ मारा गया अशरफ भी अपने भाई के हमेशा साथ रहा। हर बड़े मुकदमे में अतीक के साथ अशरफ नामजद था।
माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में गोली मार कर हत्या कर दी गई। पुलिस दोनों को मेडिकल चेकअप के लिए कॉल्विन अस्पताल लेकर पहुंची थी। पत्रकार साथ-साथ चलते हुए अतीक से सवाल कर रहे थे। इसी बीच 3 हमलावरों ने सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए अतीक के सिर में गोली मार दी। इसके बाद अशरफ पर फायरिंग की। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।
इसके तुरंत बाद ही हमलावरों ने सरेंडर कर दिया। प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा ने बताया कि हमलावर मीडियाकर्मी बनकर आए थे। वहीं घटना के बाद UP में धारा 144 लागू कर दी गई है। CM योगी आदित्यनाथ ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही 3 मेंबर्स की जूडिशियल इन्क्वायरी कमीशन के गठन के भी निर्देश दिए हैं।
44 साल में 101 केसों के बाद पहली बार साबित हुआ था दोषी
अतीक अहमद को इसी साल 29 मार्च को (18 दिन पहले) उमेश पाल अपहरण कांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। अतीक के साथ दोषी करार दिए गए दिनेश पासी और सौलत हनीफ को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, अतीक के भाई अशरफ समेत सात जीवित आरोपी मंगलवार को दोष मुक्त करार दिए गए थे।
माफिया अतीक को सजा सुनाए जाने से पहले उस पर 44 साल पहले पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। तब से अब तक उसके ऊपर 100 से अधिक मामले दर्ज हुए थे, लेकिन पहली बार किसी मुकदमे में उसे दोषी ठहराया गया था। उस पर पहला मुकदमा 1979 में दर्ज हुआ था।
इसके बाद जुर्म की दुनिया में अतीक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हत्या, लूट, रंगदारी अपहरण के न जाने कितने मुकदमे उसके खिलाफ दर्ज होते रहे। मुकदमों के साथ ही उसका राजनीतिक रुतबा भी बढ़ता गया। अतीक के खिलाफ कुल 101 मुकदमे दर्ज हुए। वर्तमान में अदालत में 50 मामले चल रहे थे।
झांसी में अतीक ने जताई थी मर्डर की आशंका
गुजरात की साबरमती जेल से प्रयागराज ले जाते समय अतीक अहमद का काफिला झांसी में भी रुका था। यहां उसने अपनी हत्या की आशंका जताई थी, जो शनिवार की रात सच साबित हुई। प्रयागराज में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की ताबड़तोड़ गोलियां मारकर हत्या कर दी गई। जबकि, इसके दो दिन पहले झांसी में अतीक का बेटा असद और शूटर गुलाम एसटीएफ के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया था।
साबरमती जेल से प्रयागराज ले जाते समय एक माह के दरम्यान अतीक अहमद तीन बार झांसी से होकर गुजरा। 27 मार्च की सुबह उसे यहां लाया गया था और पुलिस लाइन में तकरीबन दो घंटे तक रोका गया था। उसने अपनी हत्या की आशंका जताई थी। इसके अलावा उसके काफिले के पीछे आई अतीक की बहन ने भी भाई की सुरक्षा को खतरा बताया था। इसके बाद पिछले बुधवार को भी झांसी होकर गुजरा था। तब अतीक ने कहा था कि सरकार ने उसके परिवार को मिट्टी में मिला दिया है। अब तो रगड़ा जा रहा है।
अशरफ ने कहा था, दो सप्ताह में मारा जाऊंगा
प्रयागराज में हत्या के बाद साफ हो गया है कि अशरफ को अपने हश्र का अंदाजा पहले से था। शायद तभी उसने पिछली पेशी पर बरेली लौटते ही जेल गेट पर पत्रकारों से दो सप्ताह बाद अपनी मौत का अंदेशा जता दिया था। दो दिन बाद आई उसकी बहन आयशा ने भी इसी बात को आगे बढ़ाया था। अब अशरफ की इतने ही वक्त में हत्या के बाद कई तरह की बातें लोगों की जुबां पर हैं। 28 मार्च को प्रयागराज में पेशी के बाद अशरफ को बरेली लाया गया था।
जेल गेट पर उसने पत्रकारों से कहा था कि एक बड़े अधिकारी ने उसे धमकी दी है कि दो सप्ताह बाद जेल से निकालकर निपटा दिए जाओगे। पत्रकारों ने जब अधिकारी का नाम पूछा तो अशरफ का जवाब था कि वह फिलहाल अफसर का नाम नहीं बताएगा, मगर उसके साथ कोई घटना होगी तो अफसर का नाम लिखा बंद लिफाफा सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश व सीएम के पास पहुंच जाएगा।
उमेश पाल अपहरण मामले में हुई थी उम्रकैद
25 जनवरी, 2005 को इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से नवनिर्वाचित विधायक राजू पाल की हत्या हुई थी। इसे लेकर मुकदमा 2007 में दर्ज हुआ। दस दिन पहले ही राजू की शादी हुई थी। राजू पाल के दोस्त उमेश पाल इस हत्याकांड के मुख्य गवाह थे। हत्याकांड के बाद अतीक ने उमेश को मामले से हटने की धमकी दी थी। उमेश नहीं माने तो 28 फरवरी 2006 को उसका अपहरण कर लिया गया। उसे करबला स्थित कार्यालय में अतीक ने रात भर पीटा था। अतीक ने उनसे अपने पक्ष में हलफनामा लिखवा लिया। अगले दिन उमेश ने अतीक के पक्ष में अदालत में गवाही भी दे दी। हालांकि, वह समय बदलने का इंतजार कर रहे थे। 2007 में बसपा सरकार बनी।
मायावती मुख्यमंत्री बनीं। 2007 के चुनाव में एक बार फिर शहर पश्चिमी सीट से अतीक के भाई अशरफ को राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने हरा दिया। इसके बाद अतीक पर शिकंजा कसना शुरू हुआ। हालात बदले तो उमेश ने अपने अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया। इस मामले की उमेश सालों पैरवी करते रहे। उमेश पाल ने अपने अपहरण के मामले को लगभग अंजाम तक पहुंचा दिया, लेकिन फैसले से एक महीने पहले उनकी हत्या कर दी गई। उमेश पाल अपहरण मामले में ही अतीक को सजा हुई थी।
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