Sunday, January 5, 2025
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मनसबिया बिकती है बोलो-खरीदोगे

  • देश के तीसरे सबसे बड़े वक्फ का मुखिया बनने को अंदरखाने लगती हैं बोलियां
  • इस पावर गेम में खरीदार अब 50 लाख से ऊपर ही लगाते हैं मनसबिया की बोली

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: देश की तीसरी सबसे बड़ी वक्फ प्रॉपर्टी (वक्फ मनसबिया मेरठ) के प्रति लोगों की दीवानगी का आलम अब हदें पार करने लगा है। जब जब भी मनसबिया में मुतवल्लीशिप के लिए कवायद होती है तब तब मनसबिया जंग का अखाड़ा बन जाती है। मनसबिया का सरताज बनने के लिए ‘पावर गेम’ खेला जाता है या यूं कह दें कि ‘धर्म युद्ध’ होता है तो भी कुछ गलत न होगा।

सरताज बनने को अंदरखाने बोलियां लगती हैं। यह बोलियां अब कम से कम 50 लाख तक जा पहुंची है। मनसबिया के मुतवल्ली पद पर रार को खत्म करने और लगने वाली बोलियों को एक प्रकार से ‘जायज’ बनाने के उद्देश्य से पूर्व में बाकायदा एक व्यक्ति द्वारा ‘गिफ्ट मनी’ का रिवाज शुरू करने का प्रपोजल तक प्रशासन के समक्ष रखा गया था। कहा गया कि जो कोई व्यक्ति मनसबिया का मुतवल्ली बनना चाहे तो वो पहले गिफ्ट मनी के रूप में कुछ धन मनसबिया के खाते में डाले।

संबधित व्यक्ति ने खुद भी गिफ्ट मनी के रूप में 21 लाख रुपये देने की पेशकश की थी। ईसापुर के एक अन्य व्यक्ति ने भी लगे हाथों 21 लाख रुपये का आॅफर रख दिया। बताया तो यहां तक जाता है कि एक बार तो मुजफ्फरनगर के एक व्यक्ति ने मुतवल्ली बनने के लिए एक करोड़ रुपये तक की गुपचुप बोली लगा दी थी। दरअसल, मनसबिया की मुतवल्लीशिप और विवादों के बीच अब पुराना नाता हो चुका है। लगभग साढ़े आठ सालों तक मुतवल्ली रहे सैयद शाह अब्बास सफवी का दौर खत्म होने के बाद से मुतवल्ली बनना ‘बेशकीमती’ हो गया

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और उनके बाद शायद ही कोई मुतवल्ली या नायाब मुतवल्ली ऐसा हुआ हो जिसने पद पर आसीन होने के लिए अपने आकाओं को खुश न किया हो। मनसबिया से जुड़े सूत्रों के अनुसार मुतवल्लीशिप के लिए अभी फिलहाल जो बारगेनिंग होती है वो लगभग 35 से 40 लाख के आस पास आकर रूकती है जबकि नायाब मुतवल्ली पद पर लोगों ने लगभग 17-18 लाख रुपये तक आॅफर किए थे, ऐसा पता चला है। वक्फ मनसबिया के बेहद अंदरूनी और विश्वस्त सूत्रों के अनुसार शिया पॉलिटिक्स की नाक का सवाल बन चुकी मनसबिया की ओहदेदारी पाने के लिए पूर्व में तो राज्यपालों तक का सहारा लेने की कोशिशें की गर्इं।

अब जाहिर है कि जब किसी नियुक्ति में राज्यापाल की सिफारिश की मदद लेनी पड़े तो पद वास्तव में बड़ा होगा। मनसबिया की राजनीति से जुड़े एक विश्वस्त सूत्र ने तो यहां तक बताया कि शिया कम्युनिटी की कद्दावर शख्सियतों में शुमार एक व्यक्ति ने तो उत्तराखंड एवं मिजोरम के राज्यपाल रहे डॉ. अजीज कुरैशी का दरवाजा तक खटखटाने की कोशिश की थी। कुल मिलाकर गुणा भाग यही है कि देश की बेशकीमती वक्फ प्रॉपर्टियों में से एक मेरठ की वक्फ मनसबिया का सरताज बनने के लिए लोग लालायित रहते हैं।

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