- जनपद से तीन दफा सांसद और एक बार चुने गए विधायक
बृजवीर चौधरी |
बिजनौर: जनपद बिजनौर में मंगलराम प्रेमी एक ऐसे सांसद हुए जिनकी सादगी के लोग कायल थे। उन्होंने सूबे की सीएम रही मायावती को भी बिजनौर के लोकसभा चुनाव में पटकनी दे दी थी। मंगलराम प्रेमी जिले से तीन बार सांसद रहे और एक बार विधायक भी चुने गए। मंगलराम प्रेमी से बिजनौर से सीधे मेरठ के लिए रेलवे लाइन बिछाने की मांग को लेकर संसद में नीचे बैठकर धरना दिया था।
जनपद बिजनौर मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर गांव पृथ्वीपुर हैं। 25 सितंबर 1921 में मंगलराम प्रेमी का जन्म पृथ्वीपुर में हुआ था। मंगलराम प्रेमी किसानों के मसीहा भारत रत्न से सम्मानित चौधरी चरण सिंह के संपर्क में इमरजेंसी के बाद आए। इसके बाद नगीना सुरक्षित सीट से 1977 में जनता पार्टी एस से विधानसभा चुनाव में हाथ आजमाया। इलेक्टशन कमीशन के आंकड़ों पर नजर डाले तो मंगलराम प्रेमी को 26698 मत मिले और कांग्रेस के बिशनलाल को 21980 मत मिले। लगभग चार हजार वोटों से जीतकर मंगलराम प्रेमी पहली बार विधायक चुने गए और लखनऊ का सफर किया। मंगलराम प्रेमी ने विधानसभा में कई बार किसानों की आवाज को उठाया। इससे चौधरी चरण सिंह नगीना के विधायक मंगलराम प्रेमी से खूब प्रभावित हुए।
वर्ष 1980 केलोकसभा चुनाव में फिर से मंगलराम प्रेमी को चौधरी चरण सिंह ने अपने पार्टी से बिजनौर लोकसभा का प्रत्याशी बना दिया। इस चुनाव में मंगलराम प्रेमी ने एक लाख 45 हजार 574 मत प्राप्त किए और पूर्व सांसद महिलाल को मात्र 99 हजार 415 मत ही मिले । इस लोकसभा चुनाव में मंगलराम प्रेमी 45 हजार मत से जीतकर पहली बार संसद की सीढ़ी चढ़े। वर्ष 1985 में फिर से मंगलराम प्रेमी ने नगीना विधानसभा से चौधरी चरण सिंह की लोकदल पार्टी चुनाव लड़ा, लेकिन इस चुनाव में मंगलराम प्रेमी को पूर्व सांसद ओमवती ने पराजित कर दिया। वर्ष 1989 में बिजनौर सीट पर फिर से लोकसभा चुनाव हुआ।
इस बार मंगलराम प्रेमी जनता दल पार्टी से प्रत्याशी रहे और मायावती ने बसपा से चुनाव में दो दो हाथ किए। इस चुनाव में मायावती बाजीमार कर पहली दफा संंसद पहुंची और मंगलराम प्रेमी को पराजय का मुंह देखना पड़ा। मंगराम प्रेमी की करीब आठ हजार से हार हुुई। राम लहर में मंगलराम प्रेमी ने भाजपा का दामन थाम लिया। वर्ष 1991 में उन्होंने भाजपा में शामिल होकर बिजनौर से लोकसभा चुनाव लड़ा। इस दौरान बसपा से मायावती चुनाव लड़ी।
इस चुनाव में मंगलराम प्रेमी को दो लाख 47 हजार 465 और बसपा से मायावती को एक लाख 59 हजार 731 मत मिले। मंगलराम प्रेमी ने मायावती को 87 हजार मतों से पराजित कर दिया। इसके बाद वर्ष 1996 में फिर से मंगलराम प्रेमी भाजपा से ही लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाई। इस चुनाव में मंगलराम प्रेमी को दो लाख 20 हजार 806 मत मिल और सपा के सतीश कुमार एक लाख 93 हजार 389 वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे।
वर्ष 1998 में फिर से मंगलराम प्रेमी ने भाजपा से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन सपा की ओमवती देवी के सामने चुनाव हार गए। ओमवती देवी ने उन्होंने लगभग नौ हजार वोट से हरा दिया। मंगलराम प्रेमी की सादगी के लोग खूब कायल थे। उन्होंने पहली बार बिजनौर से मेरठ के लिए रेलवे लाइन बिछाने की मांग संसद में की थी। मंगलराम प्रेमी रेलवे लाइन बिछाने की मांग को लेकर संसद में धरने पर बैठ गए थे। उधर, 11 दिसंबर 2001 को मंगलराम प्रेमी का निधन हो गया। लेकिन, जिले के लोग आज भी उनको याद करते है।