Tuesday, July 9, 2024
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मनिंदरपाल पर हमला या प्रायोजित ड्रामा

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  • बाहरी होने का तमगा लगा होने के कारण सहानुभूति हासिल करने का अनूठा प्रयास
  • पूर्व में पाथोली गांव में भी हुआ था जमकर विरोध लौटना पड़ा था प्रत्याशी को

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिये होने वाले मतदान में सिवालखास सीट के लिये भाजपा की मुसीबतें बढ़ती जा रही है। भाजपा प्रत्याशी जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष मनिंदर पाल सिंह को पहले दिन से आयातित प्रत्याशी का कोप झेलना पड़ रहा है। यही कारण है आए दिन भाजपा प्रत्याशी का गांवों में घुसने पर जमकर विरोध का सामना करना पड़ रहा है। सोमवार को छुर गांव में जिस तरह से मनिंदर पाल सिंह के काफिले पर पथराव की बात सामने आई वो ग्रामीणों के गले नहीं उतर रही है और वे इसे एक सहानुभूति प्राप्त करने का अनूठा प्रयास बताकर नकार रहे हैं।

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छुर गांव में भाजपा प्रत्याशी मनिंदरपाल सिंह के काफिले पर पथराव और गाड़ियों के तोड़ने की बात जब सिवालखास विधानसभा के गांवों में पहुंची तो सभी के मुंह से एक ही वाक्य निकला कि बाहरी व्यक्ति होने के कारण मनिंदर पाल खुद को लोगों के सामने मजबूती से पेश नहीं कर पा रहे हैं इस कारण हमले और विरोध आदि का नाटक रच कर लोगों से सहानुभूति हासिल करने में लगे हुए हैं। दरअसल भाजपा ने अपने सिटिंग एमएलए जितेन्द्र सिंह सतवाई का टिकट काटकर क्षेत्र के बाहर के व्यक्ति मनिंदरपाल को खड़ा किया तभी से जाट बहुल गांवों में विरोध होना शुरु हो गया है।

जाट बिरादरी इस प्रत्याशी को स्वीकार करने का मन नहीं बना रही है, इस कारण मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिये प्रायोजित ड्रामा शुरु किये गए हैं। कुछ दिन पहले जाट बहुल पाथौली गांव में भी भाजपा प्रत्याशी का जमकर विरोध हुआ था और पूरे काफिले को उलटे पैर गांव से भागना पड़ा था। सिवालखास विधानसभा सीट पर भाजपा के पास एक से बढ़कर एक मजबूत नेता थे, लेकिन दौराला क्षेत्र में सक्रिय रहने वाले मनिंदरपाल सिंह को टिकट देकर पार्टी ने अपने लिये एक मुसीबत खड़ी कर ली है।

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छुर गांव में जिस तरह से प्रत्याशी के काफिले पर रालोद के झंडे लिये युवकों के द्वारा किये गए पथराव के वीडियो और फोटो वायरल हुए उससे ग्रामीण इस कदर नाराज है कि उनका कहना है कि अगर ड्रामा ही करना था तो रालोद के झंडों का प्रयोग क्यों किया गया। वहीं पथराव की सूचना पर मौके पर एसपी देहात केशव कुमार और अन्य पुलिसकर्मियों के छुर आने से पहले माहौल सामान्य हो गया था और कोई भी पुलिस को पथराव करने वालों के बारे में नहीं बता पाया।

हालांकि ग्रामीणों ने पुलिसकर्मियों के सामने यह जरुर कहा कि यह अगर भीड़ पथराव करती तो लोेग चोटिल भी होते, लेकिन किसी को चोट तक नहीं आई और बस गाड़ियां ही टूटी, यह सब एक प्रायोजित ड्रामा की ओर इंगित कर रहा है क्योंकि ग्रामीण प्रत्याशी को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।

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