Friday, July 5, 2024
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जन जागरण से भरी मन की बात

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Samvad 28

 


मन की बात जन जागरण का एक अभियान है। बात की सार्थकता उसके संदेश, उद्देश्य एवं प्रभाव में निहित होती है। अक्टूबर 2014 से प्रधान सेवक के रूप में नरेंद्र मोदी के द्वारा प्रत्येक महीने मन की बात का सिलसिला जारी है। अब तक मन की बात के 88 प्रसारण हो चुके हैं जिससे यह पूरी तरह स्पष्ट है कि उसमें सार्थकता, उद्देश्यपूर्णता, प्रभाव और गहरी दूरदर्शिता निहित है।

कई बार ऐसा लगता है कि 30- 35 मिनट की मन की बात तो एक है किंतु हम पाते हैं कि उसमें संदेश अनेक हैं। महत्वपूर्ण यह भी है कि प्रधानमंत्री के द्वारा बातचीत का यह सिलसिला निरंतर नए नए विचारों की सृष्टि करने में भी सहायक हो रहा है। आपसी भागीदारी के द्वारा सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी बड़े-बड़े कार्यों की ओर बढ़ रहा है। ऐसे कितने ही उदाहरण हैं जिनसे यह स्पष्ट होता है कि शासन- प्रशासन के प्रयासों से जो काम भिन्न भिन्न कारणों से संभव न हो सके, वे काम अब जनभागीदारी से पूर्ण हो रहे हैं।

स्वच्छता, शौचालय, खादी, योग, परीक्षा, आॅर्गेनिक खेती, पशुपालन, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, महिला सशक्तिकरण, स्टार्टअप, कौशल विकास एवं जल संरक्षण- संवर्धन आदि सैकड़ों ऐसे विषय हैं जिनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन मन की बात है।मन की बात आज राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर चर्चा एवं शोध का विषय बनती जा रही है जिसके मूल में व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र निर्माण का संकल्प है। समाज एवं राष्ट्र जीवन के गौरव के साथ, व्यक्तित्व एवं बातें मन की बात का विषय बन रहे हैं।

हाल ही में राष्ट्र को समर्पित प्रधानमंत्री संग्रहालय की चर्चा देश- विदेश में है। मन की बात के लिए इस बार सबसे अधिक चिट््िठयां इसी से संबंधित मिली है, इसलिए इसकी चर्चा करते हुए करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा- यह विषय इतिहास, वर्तमान और भविष्य तीनों से जुड़ा हुआ है… देश के प्रधानमंत्रियों के योगदान को याद करने के लिए आजादी के अमृत महोत्सव से अच्छा समय और क्या हो सकता है। इतिहास को लेकर लोगों की दिलचस्पी काफी बढ़ रही है। ऐसे में पीएम ?यूजियम युवाओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन रहा है।

अनमोल विरासत से उन्हें जोड़ रहा है। इस बार मन की बात में प्रधानमंत्री ने अचानक कई प्रश्न पूछने शुरू किए तो लगा कि कोई प्रतियोगिता होने वाली है लेकिन भिन्न-भिन्न स्थान और विषयों से संबंधित प्रश्न पूछने के मूल में उनका उद्देश्य भारतवर्ष की युवा पीढ़ी एवं जन जन को उन स्थानों से जोड? है।
अनेक बार ऐसा देखने में आता है कि शासन- प्रशासन के विभिन्न प्रयासों से और कई स्थानों पर व्यक्तिगत प्रयासों से भी महत्वपूर्ण म्यूजियम तो तैयार हो जाते हैं|

किंतु समाज जीवन के लोगों में उन्हें देखने जाने की दिलचस्पी नहीं होती। मन की बात के द्वारा प्रधानमंत्री ने जन-जन से यह आहवान किया है कि वे आने वाले दिनों में किसी न किसी स्थान पर म्यूजियम देखने अवश्य जाएं। मन की बात के द्वारा दिया गया यह संदेश जनसामान्य में म्यूजियम के प्रति दिलचस्पी जगाने में सहायक होगा। कुछ समय पूर्व जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया का आवाह्न किया था, तब तरह तरह के प्रश्न और जिज्ञासा हम सबके सामने खड़ी थी किंतु आज भिन्न-भिन्न रूपों में डिजिटल इंडिया एक तकनीक के रूप में हम सबके साथ जुड़ चुकी है।

इस समय देश में प्रतिदिन लगभग 30 हजार करोड़ के डिजिटल लेनदेन हो रहे हैं। इससे देश में सुविधा भी बढ़ रही है और ईमानदारी का माहौल भी बन रहा है। आज तकनीक की ताकत ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को बदलाव की ओर मोड़ा है। इसके जरिए जहां एक ओर बड़ी-बड़ी मशीनें तैयार हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर इनके उपयोग का चलन भी निरंतर बढ़ रहा है।

जल संरक्षण- संवर्धन का विषय कई बार मन की बात में अलग-अलग रूपों में सामने आया है। इस बार भी जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है वैसे-वैसे जल संरक्षण-संवर्धन की चिंता चारों ओर देखी जा सकती है। हाल ही की मन की बात में प्रधानमंत्री ने इस विषय को गंभीरता के साथ उठाते हुए कहा- आजादी के अमृत महोत्सव में देश जिन संकल्पों को लेकर आगे बढ़ रहा है उनमें जल संरक्षण-संवर्धन भी एक है। अमृत महोत्सव के दौरान देश के प्रत्येक जिले में 75 अमृत सरोवर बनाए जाएंगे।

वह दिन दूर नहीं जब आपके अपने शहर में 75 अमृत सरोवर होंगे। मैं आपसे और खासकर युवाओं से चाहूंगा कि वे इस अभियान के बारे में जाने और इसकी जि?मेदारी भी उठाएं। मन की बात में इस संदेश का निहितार्थ स्पष्ट है कि यह कार्य बड़ा है, अकेले शासन- प्रशासन से होने वाला नहीं है, इसलिए युवाओं और जन जन की भागीदारी आवश्यक है।

मन की बात में प्रधानमंत्री ने वेद,उपनिषद् , रामायण एवं प्राचीन काल के कई उदाहरण देते हुए जल संरक्षण-संवर्धन के महत्व को उद्घाटित किया जिसमें स्पष्ट संदेश है कि भारतवर्ष की युवा पीढ़ी अपनी सनातन परंपराओं में ही वर्तमान की अनेक समस्याओं के समाधान ढूंढने का प्रयास करे। यह सत्य है कि जैसे-जैसे बड़ी कक्षाएं शुरू होती हैं वैसे- वैसे विद्यार्थियों के साथ-साथ माता पिता भी विभिन्न विषयों की पढ़ाई को लेकर चिंतित हो जाते हैं। विशेष रूप से गणित विषय अधिक चिंता का कारण बनता है। प्रधानमंत्री ने इस बार मन की बात में वैदिक गणित पर विस्तार से चर्चा की।

उन्होंने कहा- गणित को लेकर सबसे अधिक शोध भारत के लोगों ने ही दुनिया को दिया है। भारत के गणितज्ञ और विद्वानों ने तो यहां तक लिखा है कि- यत किंचित वस्तु तत सर्वं,गणितेन बिना नहि! अर्थात् इस पूरे ब्रह्मांड में जो कुछ भी है वह सब कुछ गणित पर ही आधारित है।… हम भारतीयों के लिए गणित कभी बड़ा विषय नहीं रहा, इसका कारण वैदिक गणित है।… इसके जरिए आप कठिन से कठिन गणना भी पलक झपकते ही कर सकते हैं।

इस बार भी मन की बात के अंत में लगभग प्रत्येक मन की बात की तरह ही प्रधानमंत्री ने आने वाले दिनों के पर्व- उत्सवों का नाम लेकर उन सभी के लिए देशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। मन की बात के प्रत्येक प्रसारण में यह शुभकामना संदेश दिए जाते हैं|

जिससे यह स्पष्ट है कि जन जन भारतवर्ष के विभिन्न पर्व- उत्सवों का आनंद लें, एकजुट रहें और एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करें। आज मन की बात लोकप्रियता के शिखर छू रही है, जन-जन को राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित कर रही है। ह्यमन की बातह्य एक है किंतु उसमें जागरण के संदेश अनेक हैं।

डा. वेदप्रकाश


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