- 15 साल की अवधि में तीन ही पूर्णकालिक एमडी किए गए तैनात
- ज्यादातर समय आरएम के पास रहा प्रभार
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मेरठ सिटी ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन लिमिटेड के अंतर्गत संचालित होने वाली सिटी बस सेवा के डेढ़ दशक के कार्यकाल में अधिकतर समय आरएम के पास ही एमडी का अतिरिक्त प्रभार रहा है। इस अवधि में केवल तीन पूर्णकालिक एमडी की तैनाती की जा सकी है। मेरठ परिक्षेत्र के आरएम के अंतर्गत मेरठ, सोहराब गेट, भैंसाली, गढ़ और बड़ौत डिपो आते हैं। इसके अतिरिक्त आरएम को वर्कशॉप संबंधी कार्यों की देखरेख भी करनी होती है। लेकिन मेरठ परिक्षेत्र के आरएम के पास एमसीटीसीएल के एमडी का प्रभार भी रहता है। जिसके अंतर्गत सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की व्यवस्था देखने का अतिरिक्त कार्य भी लगा होता है।
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व आरएम केके शर्मा ने बोर्ड बैठक के दौरान एमसीटीसीएल चेयरमैन आयुक्त मेरठ के समक्ष मांग रखी थी कि यह दायित्व समक्ष अधिकारी को दे दिया जाए। बताया गया है कि उस समय आईएएस अधिकारी जागृति अवस्थी को देने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन कुछ दिनों के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। तब से एमडी का प्रभार आरएम के पास ही रखा जा रहा है। इस बीच पूर्णकालिक एमडी के रूप में संदीप लाहा, अनिल अग्रवाल और विजय कुमार निगम ही तैनात रहे हैं। हालांकि परवेज बशीर को भी इस पद पर तैनात किया गया, लेकिन उन्होंने एक माह की अवधि के बाद ही इस पद को छोड़ दिया था।
ठीक होने लगी बसों की सीट
गुरुवार के अंक में जनवाणी ने सीएनजी बसों की सीटों के टूटी-फूटी अवस्था में होने के बारे में सचित्र समाचार प्रकाशित किया है। जिसके चलते अधिकारी तत्काल हरकत में आए और संचालन करने वाली कंपनी की जमकर खबर ली। इसका परिणाम यह हुआ कि आनन फानन में बसों की कुछ सीटें बदलकर वीडियो भी अधिकारियों को प्रेषित करना शुरू कर दिया।
बूढ़ी गंगा: कारगर हुए प्रयास तो जगेगी आस
मेरठ: महाभारतकालीन बूढ़ी गंगा के इतिहास को पुर्नजीवित करने के उद्देश्य से शुरू हुआ इसके जीर्णोद्धार का कार्य यदि अंजाम तक पहुंचा तो आस्था में विश्वास रखने वाले लोगों की उम्मीदों को पंख लगने स्वभाविक हैं। बूढ़ी गंगा के उद्धार के प्रति नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट की वफादारी और इमानदारी भी काबिल-ए-तारीफ है। ट्रस्ट की मेहनत का ही परिणाम है कि बूढ़ी गंगा का मामला संयुक्त राष्ट्र तक जा पहुंचा। इसके अलावा राजभवन भी इसे लेकर गंभीर दिखा। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने तो बूढ़ी गंगा के जीर्णोद्धार के लिए जिलाधिकारी तक को आदेशित किया। उधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बूढ़ी गंगा को लेकर आठ बिन्दुओं पर आख्या मांग ली। एनजीटी ने भी बूढ़ी गंगा के मुद्दे पर सख्ती दिखाई थी।
इन सबके बाद ही बूढ़ी गंगा को आटने वालों के खिलाफ पहली बार प्रशासन ने कानूनी कार्रवाई की। उधर, जनवाणी द्वारा लगातार मुद्दे को उठाने के चलते यह मामला अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सुर्खियां बनता चला गया। इस मामले की दमदार पैरवी करने वाले ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रो. प्रियंक भारती को आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन आॅफ नेचर) ने प्रकृति रक्षक तक घोषित कर दिया। इसके बाद जेनेवा (स्विट्जरलैंड) में आयोजित हुई आईयूसीएन की बैठक में डीजी ग्रेथल एगुलर ने भी बूढ़ी गंगा के मुद्दे पर अपनी दिलचस्पी दिखाई। इस बैठक में प्रियंक भारती भी आॅन लाइन शामिल हुए। अब इसरो द्वारा इस मामले में की जाने वाली मदद से उम्मीदों को और पंख लगे हैं।