Tuesday, January 21, 2025
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हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन, रक्षा मंत्रालय ने दिए जांच के आदेश

  • हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन और लीगल एडवाइजर की न के बाद भी सर्वे कराए जाने पर चढ़ी त्यौरियां

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: ठेकेदार को राहत देने के चक्कर में कैंट बोर्ड ने आफत मोल ले ली है। हाईकोर्ट में बोर्ड के लीगल एडवाइजर की मनाही के बाद भी टोल नाकों का सर्वे कराना कैंट बोर्ड के गले की फांस बन गया है। इस मामले के सामने आने के बाद रक्षा मंत्रालय ने जांच के आदेश दे दिया हैं।

दरअसल, पूरे मामले की शिकायत की गयी थी जिस पर मंत्रालय ने बोर्ड से जवाब तलब कर लिया है। बोर्ड के जो लोग इस मामले से सीधे जुडेÞ रहे हैं उनसे स्पष्टीकरण मांग लिया गया है। जनवाणी ने ही इस पूरे खेल से पर्दा उठाते हुए प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी। जिसका संज्ञान लेते हुए स्पष्टीकरण मांग लिया है। अपुष्ट सूत्रों की माने तो आने वाले दिनों में इससे सीईओ व उपाध्यक्ष के लिए मुश्किले बढ़ सकती हैं।

ये है पूरा मामला

कैंट बोर्ड की ओर से एंट्री फीस के नाम पर 11 प्वांइटों पर टोल वसूली का ठेका दिया गया है। ठेकेदार को प्रतिदिन करीब 4.23 लाख ठेके की एवज में प्रतिदिन देने हैं, लेकिन लॉकडाउन और उसके बाद से टोल ठेकेदार की ओर से कैंट बोर्ड से लगातार रियायत की मांग की जा रही है।

संपूर्ण लॉकडाउन की अवधि के दौरान ठेके की रकम को घटाकर 90 हजार प्रतिदिन कर दिया गया, लेकिन लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी ठेकेदार बराबर रियायत की जिद करता रहा। उसके करीबी माने जाने वाले बोर्ड सदस्यों ने रियायत के लिए टोल नॉकों का सर्वे करा दिया। रियायत के लिए सर्वे कराकर ही आफत मोल ले ली।

नहीं मानी एसके राय की ‘राय’

ठेकेदार को रियायत देने के रास्ते तलाशने से पहले कैंट प्रशासन ने हाईकोर्ट में अपनी लीगल एडवाइजर एसके राय से राय ली थी। राय तो ली गयी, लेकिन उसको माना नहीं गया। लीगल एडवाइजर ने साफ बता दिया था कि मामला हाईकोर्ट में के कारण यथास्थिति बरकरार रखनी होगी, लेकिन उसके बावजूद सर्वे करा दिया गया।

सर्वे ही नहीं कराया बल्कि सर्वे की गोपनीय रिपोर्ट भी बोर्ड के एजेंडा में छाप कर उसको लीक करने की कारगुजारी दिखा दी। बोर्ड की इस चूक का फायदा उठाने में ठेकेदार में पल भर की भी देरी नहीं की और आर्बिटेÑशन के जिला जिला कोर्ट में अर्जी लगा कर बोर्ड के लिए नयी मुसीबत खड़ी कर दी।

जवाब तैयार करने में छूट रहे पसीने

कोर्ट में मामला विचाराधीन होने के बावजूद सर्वे कराए जाने से रक्षा मंत्रालय के आला अफसर खिन्न हैं। शिकायत में इसका पूरा ब्योरा दिया है। इस चूक में जिम्मेदारी तय करने के लिए स्पष्टीकरण मांग लिया है। बोर्ड के कुछ अपुष्ट सूत्र बताते हैं कि मंत्रालय के अफसरों को भेजे जाने वाला जवाब तैयार करने में अब अफसरों के पसीने छूट रहे हैं।

रेवेन्यू सेक्शन की भूमिका पर सवाल

इस पूरे मामले में कैंट बोर्ड के रेवेन्यू सेक्शन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल ठेकेदार से वसूली का यह पूरा मामला रेवेन्यू सेक्शन के अधीन आता है। किस आधार पर सर्वे कराए जाने की राय बोर्ड को दी गयी। इसके निहितार्थ भी तलाशे जा रहे हैं।

दूध के धुले सदस्य भी नहीं

इस पूरे मामले में रक्षा मंत्रालय के निशाने पर अफसर हैं, लेकिन कैंट बोर्ड के अपुष्ट सूत्रों की मानें तो दूध के धुले बोर्ड के सदस्य भी नहीं। सदस्यों पर ही अफसरों पर ठेकेदार के लिए रास्ते निकालने का दबाव बनाने का दवाब दिए जाने की बात कही जा रही है।

…तो फिक्सिंग थी बोर्ड बैठक के नाम

टोल ठेकेदार को रियायत के नाम पर जो खबरे छन-छन कर कैंट बोर्ड से बाहर आ रही हैं उन पर यदि यकीन किया जाए तो कुछ सदस्य क्रिकेट खिलाड़ियों की तर्ज पर ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए बोर्ड बैठक भी फिक्स कर लेते थे। इस बात का खास ध्यान रखा जाता था कि अफसरों को इसकी भनक न लगे।

पूरी बोर्ड बैठक कुछ ही सदस्य पूरी तरह से घुमा कर रख देते थे। हालांकि कैंट अफसर व सभी सदस्य इस खेल का हिस्सा नहीं होते थे। ये पूरा मामला सरकार का राजस्व की हानि पहुंचाने का नजर आता है। विधि विशेषज्ञों की राय में एक गंभीर चूक है।

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