Sunday, October 6, 2024
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मुस्लिमों का अल्पसंख्यक दर्जा हो समाप्त: साक्षी महाराज

  • उन्नाव से भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने बागपत में पत्रकारों से की बातचीत
  • कहा, भोले किसानों को बहकाकर राजनीतिक जमीन की तलाश कर रहे विपक्षी दल

मुख्य संवाददाता |

बागपत: उन्नाव से भाजपा सांसद साक्षी महाराज अपने बयान को लेकर हमेश सुर्खियों में रहते हैं। इस बार भी उन्होंने मुस्लिमों को लेकर बड़ा बयान जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब मुस्लिमों की संख्या देश में 32 करोड़ हो गई है तो उन्हें अल्पसंख्यक नहीं माना जा सकता।

इसलिए उनका अल्पसंख्यक का दर्जा समाप्त होना चाहिए। केंद्र सरकार को जनसंख्या नियंत्रण पर सख्त कानून बनाना चाहिए, ताकि बढ़ती जनसंख्या विकराल रूप धारण न कर ले। इसके अलावा उन्होंने कृषि कानून को लेकर भी विपक्षी दलों पर निशाना साधा है और कहा कि विपक्षी दलों की राजनीति खत्म हो गई है। वह किसानों के सहारे अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं। कृषि कानून किसानों के हित में है।

उन्नाव से भाजपा सांसद साक्षी महाराज शुक्रवार को पानीपत जा रहे थे। कुंडली की ओर रास्ता बंद होने के कारण वह बागपत से गुजर रहे थे। इस बीच बागपत मुख्यालय स्थित पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में पत्रकारों से वार्ता की। सांसद साक्षी महाराज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में देश व प्रदेश सरकार किसान हित में कदम उठा रही है।

हाल में जिन बिल को लेकर किसान आंदोलन पर है वह किसानों के हित में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के कल्याण के लिए छह हजार रुपये प्रति वर्ष देना शुरू कर दिया है। किसी सरकार ने किसान हित के लिए कदम नहीं उठाया है। विपक्षी राजनीतिक दलों की जमीन पूरी तरह से खिसक गई है।

वह भोले किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर अपना हित साध रहे हैं। अपनी राजनीतिक जमीन की तलाश में जुटे हैं, जबकि उनकी राजनीति पूरी तरह से हाशिए पर जा चुकी है। एनआरसी के समय भी दलों ने इसी तरह विरोध किया था, लेकिन जनता इसे समझ चुकी थी।

अब किसानों की आड़ में अपनी राजनीति चमकाने का प्रयास कर रहे राजनीतिक दलों की सोच को भी जनता पहचानती है। देश की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है। मोदी भी किसानों के साथ है। किसानों व सरकार के बीच वार्ता हुई है और आगे भी वार्ता से ही रास्ता निकलेगा।

साक्षी महाराज ने एक ओर बड़ा बयान दे दिया है। उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर जहां सरकार से आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न स्रोतों के माध्यम से पता चल रहा है कि देश में मुस्लिमों की जनसंख्या 32 करोड़ हो चुकी है, जो विभाजन के समय तीन करोड़ थी। पाकिस्तान की कुल जनसंख्या 20 करोड़ है। उस समय जातीय आधार पर देश का बटवारा हुआ था।

वह सरकार से आग्रह करना चाहते हैं कि मुस्लिमों का अल्पसंख्यक का दर्जा समाप्त होना चाहिए। जिनकी जनसंख्या 32 करोड़ हो चुकी है वह अल्पसंख्यक नहीं हो सकते। इसके अलावा जनसंख्या की स्थिति भयावह होती जा रही है। उच्च न्यायालय भी इस पर चिंता जता चुका है।

उन्होंने कहा कि वह और साधु समाज लगातार मांग कर रहा है कि राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए जनसंख्या को लेकर कड़ा कानून लाना चाहिए। अन्यथा स्थिति विकराल रूप धारण कर लेगी। हम दो व हमारे दो या फिर इससे भी बड़ा कानून होना चाहिए। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अन्य दलों को भी इसका समर्थन करना चाहिए।

बढ़ती जनसंख्या देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन रही है। इसका समाधान होना अनिवार्य है। गन्ना भुगतान के मामले पर सांसद ने कहा कि पिछले 70 सालों में किसानों का उत्पीड़न हुआ है। किसानों के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। चीनी मिलों को बेच दिया गया, बंद करा दिया गया।

भाजपा की सरकार चीनी मिलों का संचालन कर रही है, किसानों के भुगतान का कराने के प्रयास में लगी है। किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए सरकार गंभीर है। इस दौरान भाजपा नेता एवं श्री विनायक कालेज के प्रबंधक परवेंद्र धामा, अजय तोमर, देवेंद्र धामा, हबीब आदि मौजूद रहे।

जो वाराणसी में हुआ, वही पूरे प्रदेश में होगा

भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने आम आदमी पार्टी द्वारा यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के सवाल के जवाब में कहा कि केजरीवाल की पार्टी कहीं भी चुनाव लड़ सकती है, इसके लिए वह स्वतंत्र है, लेकिन जो हाल वाराणसी में हुआ था वही पूरे प्रदेश में होगा। एक-दो दशक तक भाजपा का कोई तोड़ नहीं है। 2022 में भाजपा फिर से भारी बहुमत के साथ प्रदेश में सरकार बनाएगी।

किसानों को समझाने में नाकाम रहे सांसद

सांसद साक्षी महाराज ने अपने सांसदों व जनप्रतिनिधियों को भी घेरे में लिया। उन्होंने कहा कि कृषि कानून लागू करते ही पार्टी की ओर से सभी सांसदों व अन्य की जिम्मेदारी लगाई गई थी कि किसानों के बीच जाकर इसे समझाया जाए। किसानों को संतुष्ट किया जाए, लेकिन कहीं न कहीं इसमें खामियां रही हैं। अपने कर्तव्यों के प्रति जनप्रतिनिधियों ने जिम्मेदारी समझते हुए कार्य नहीं किया। किसानों को संतुष्ट कर दिया होता तो आज यह स्थिति न होती, लेकिन सरकार किसानों के साथ वार्ता कर रही है और बातचीत के माध्यम से ही हल निकालने का प्रयास जारी है।

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