- उज्जवला योजना की घरेलू सिलेंडरों की कमाई में भी बंदरबाट का महाखेल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: इन दिनों गांव देहात से लेकर शहर में शादी समारोह की घूम है। शादी समारोह से लेकर मेरिज होम, मिठाइयों के प्रतिष्ठान, रेस्तर, होटल, ढाबे, ठेले आदि पर प्रतिदिन काफी संख्या में घरेलू सिलेंडरों की कालाबाजारी कर हजारों सिलेंडर बेचे जा रहे हैं, लेकिन इस ओर विभागीय अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। ये ही नहीं प्रतिदिन हाइवे से लेकर गली मोहल्लों में घरेलू सिलेंडरों का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है।
इससे गैस एजेंसियों से लेकर विभागीय अधिकारियों को मोटा मुनाफ होता है। जिसका खामियाजा भोलीभाली जनता को भुगतना पड़ता है। इससे प्रशासानिक अधिकारियों से लेकर विभागीय अधिकारियों की योग्यता को जनता बखूबी समझ रही है। घरेलू सिलेंडरों का यह कारोबार सालों साल चलता हैं, लेकिन किसी का भी इस ओर कोई ध्यान नहीं है।
जिसके कारण सरकार व पेट्रोलियम कंपनियों को भारी रकम की चपत लगाई जा रही है। हालांकि जिम्मेदार बंद कमरे में कुर्सियों पर बैठकर कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति घरेलू गैस सिलेंडरों का व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर इस्तेमाल करता पाया जाएगा तो उनके खिलाफ नियम विरुद्ध कार्रवाई होगी।
केंद्र और राज्य सरकारें कालाबाजारी के खिलाफ सख्ता है और गरीब जनता को इस बीमारी से मुक्ति दिलाने का दावा करती है। इनकी सरकारों के अधिकारी भी सरकार को बदमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। जबकि निष्पक्ष कार्रवाई के ढोल पीटे जाते हैं, लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण गरीब जनता में भय का माहौल बना हुआ है।
जिले में खुलेआम पेट्रोलियम के नियमों को धज्जियां उड़ाई जा रही है और विभागीय अधिकारियों और एजेंसियों की मिलीभगत से मोटी रकम कमाने के चक्कर में घरेलू सिलेंडर का व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर इस्तेमाल हो रहा है। सिलेंडरों की कालाबाजारी दिन प्रतिदिन घटने का नाम नहीं ले रही है। न ही विभागीय अधिकारियों का इस ओर ध्यान है और न ही प्रशासानिक अधिकारियों का। बढ़ती महंगाई से गरीब जनता जुझ रही है। जिसके पाल घर चलाने के लिए दिनभर मेहनत मजदूरी कर दो वक्त की रोटी जुटाई रहे हैं।
वहीं, अमीर उनका खून चुसने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। विभागीय अधिकारियों ने मिली जानकारी से यह पता चला है कि दुकानदारों ने व्यावसायिक सिलेंडरों का रजिस्ट्रेशन तो करा रखा है, लेकिन ये सिलेंडर महंगा पड़ने की वजह से सब्सिडी वाले घरेलू सिलेंडरों का उपयोग खुलेआम अपनी दुकानों पर कर रहे हैं।
सब्सिडी वाला सिलेंडर सस्ता होने की वजह से शहर के मुख्य चौराहे से लेकर दुकानदार और ठेलेवाले और होटल संचालक तक के पास व्यावसायिक गैस सिलेंडरों का कनेक्शन नहीं होने से वे घरेलू गैस सिलेंडरों का खुलेआम उपयोग कर रहे हैं। अब तो इतनी हद हो गई है कि उज्जवला योजना के सिलेंडरों का इस्तेमाल व्यावसायिक प्रष्ठिानों पर होने लगा है।
व्यावसायिक सिलेंडरों का दिखावा
विभागीय अधिकारियों से लेकर गैस एजेंसियां घरेलू सिलेंडर में गैस भरकर व्यावसायिक सिलेंडरों को बेचने का दिखा कर रही है। ये नियम के विरुद्ध है, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वहीं कई दुकानदार कार्रवाई से बचने के लिए सामने तो व्यावसायिक सिलेंडर रखते हैं और प्रतिष्ठानों के अंदर घरेलू गैस सिलेंडरों का उपयोग होता पाया जाता है। खास बात ये है कि इन सिलेंडरों का खुलेआम उपयोग होने के बाद भी खाद्य विभाग का इस ओर कोई ध्यान ही नहीं है न ही इस पर कोई कार्रवाई की जा रही है।
व्यावसायिक गैस सिलेंडरों के नियम
व्यावसायिक गैस सिलेंडरों के नियम यह है कि व्यापारी प्रतिष्ठानों पर केवल गैर घरेलू सिलेंडरों का इस्तेमाल अनिवार्य है। और घरेलू के लिए केवल घरेलू सिलेंडर का इस्तेमाल किया जाता है। अगर जिले की बात करें तो यह हजारों की संख्या में व्यापारिक प्रतिष्ठान है। जहां ज्यादातर घरेलू सिलेंडरों का इस्तेमाल होता है। ओर तो ओर अब तो काफी संख्या में उज्जवला योजन के सिलेंडरों का प्रयोग किया जा रहा है इससे गैस एजेंसियों लेकर खाद्य विभाग को मोटी कमाई होती है।
गैर घरेलू सिलेंडर सस्ता पड़ता है घरेलू गैस सिलेंडर से
वैसे तो व्यापारिक गैस सिलेंडर करीब साढ़े उन्नीस किलो का होता है जो कि वर्तमान में जिसकी कीमत करीब 1775.50 रुपये है और घरेलू गैस सिलेंडर 14.4 किलो को होता है। वर्तमान यह सिलेंडर 903 रुपये है। ऐसे में व्यापारिक गैस सिलेंडर में घरेलू गैस की प्रति सिलेंडर के हिसाब से 250 रुपये सस्ती पड़ती है। उज्जवला योजना के सब्सिडी मिलने की दशा में यह गैस लगभग फ्री पड़ रही है। जिस वजह से व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग खुलेआम किया जा रहा है।