जनवाणी संवाददाता |
खतौली: श्री 1008 पदम् प्रभु दिगम्बर जैन मंदिर मोहल्ला कानून गोयंन खतौली स्थित में श्री 1008 मुनिसुव्रत नाथ भगवान के मोक्ष कल्याण के बहुत भक्ति भाव के साथ विशाल स्तर पर मनाया गया।
प्रभु मुनिसुव्रतनाथ जैन धर्म के 20 वें तीर्थंकर है। मुनिसुव्रतनाथ का जन्म कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को राजगृही में हुआ था। प्रभु के पिता का नाम सुमित्र तथा माता का नाम पद्मावती था। प्रभु के शरीर का वर्ण श्याम (काला) था। तथा प्रभु मुनिसुव्रतनाथ का प्रतीक चिह्न कछुआ था। प्रभु मुनिसुव्रतनाथ का जन्म हरिवंश में हुआ था। प्रभु अरिष्टनेमी और प्रभु मुनिसुव्रतनाथ का वर्णन हरिवंश पुराण में विस्तार के साथ हुआ है।
प्रभु मुनिसुव्रतनाथ के समय रामायण की घटना घटित हुई थी। जैन मान्यतानुसार इनके शासन काल में आठवें बलदेव पद्म राम जी तथा आठवें वासुदेव लक्ष्मण हुए तथा इनके शासन काल में प्रतिवासुदेव के रूप में रावण दशानन हुए थे। प्रभु मुनिसुव्रतनाथ की आयु 30,000 वर्ष थी तथा प्रभु के देह की ऊंचाई धनुष थी। इसके पश्चात प्रभु ने वैशाख कृष्ण दशमी के दिन दीक्षा ग्रहण की दीक्षा के समय प्रभु को मनः पर्व ज्ञान की प्राप्ती हुई और प्रभु चार ज्ञान के धारक हो गये। प्रभु के साधनाकाल की अवधी 11 माह की थी।
11 माह के पश्चात वैशाख कृष्ण नवमी के दिन प्रभु को निर्मल कैवलय ज्ञान की प्राप्ती हुई , प्रभु सर्वज्ञ , जिन , केवली , अरिहंत प्रभु हो गये। प्रभु ने चार घाती कर्मो का नाश कर परम दुर्लभ कैवलय ज्ञान की प्राप्ती हुई थी। इसके पश्चात् प्रभु ने चार तीर्थो की साधु/ साध्वी व श्रावक/ श्राविका की स्थापना की और स्वयं तीर्थंकर कहलाये। प्रभु का संघ विस्तृत था प्रभु मुनिसुव्रत के संघ में गणधरो की संख्या 18 थी।
इसके पश्चात प्रभु ने सम्मेद शिखरजी में फाल्गुन कृष्ण द्वादशी के दिन निर्वाण प्राप्त किया। प्रभु के मोक्ष के साथ ही प्रभु ने अष्ट कर्मो का क्षय कर सिद्ध हो गये।
अरुण जैन नंगलीवाले ने बताया कि 17 फरवरी दिन शुक्रवार तीर्थंकर मुनिसुब्रतनाथ का मोक्ष कल्याणक शिखरजी में निरजर कूट पर हुआ था। आज के ही दिन रात्रि के पिछले प्रहर व श्रवण नक्षत्र में 1000 मुनिराजों के साथ सिद्ध लोक में विराजमान हो गये थे। इस कूट से 99 कोड़ा कोड़ी 97 करोड़ 9 लाख 999 मुनि सिद्ध भये प्रभु जन्म मरण के भव बंधनो को काट कर हमेशा के लिए मुक्त हो गये।
कार्यक्रम में अरुण नंगली, सतीश, रवि, उमेश, पंडित सुनील जी , ऋषभ, कनिष्क, राकेश अम्बर, रामकुमार जी, अंजू, मंजू, वर्षा, संगीता, कांता देवी, माया देवी, उषा, प्रकाशो देवी, अजय , पवन सुनील नीरज जैन प्रवक्ता, सार्थक आदि उपस्थित रहे।